नई दिल्ली: राजस्थान कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उन्होंने 24 जुलाई को आए राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है जिसमें पायलट खेमे के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही स्थगित रखने को कहा गया है। इससे पहले विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी भी इसे अपने अधिकार में दखल बताते हुए याचिका दायर कर चुके हैं.


राजस्थान कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने अपील में कहा है कि ये बागी विधायक राज्य में अशोक गहलोत सरकार को गिराने के नापाक प्रयासों में गंभीरतम दलबदल में संलिप्त थे.


अधिवक्ता वरूण चोपड़ा के माध्यम से दायर इस याचिका में महेश जोशी ने कहा है कि कि ‘किहोतो होलोहान प्रकरण’ में 1992 में शीर्ष अदालत के फैसले के आलोक में उच्च न्यायालय का आदेश पहली नजर में ही असंवैधानिक और गैरकानूनी है.


अध्यक्ष के समक्ष अयोग्यता की कार्यवाही की याचिका दायर करने को न्यायोचित बताते हुये मुख्य सचेतक ने अपनी अपील में कह है, ‘‘प्रतिवादियों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को तोड़ने तथा विधिवत चुनी हुयी कांग्रेस की राजस्थान सरकार को गिराने का गंभीर नापाक प्रयास किया था.’’


अपील में कहा गया है, ‘‘प्रतिवादी (पायलट और अन्य विधायक) नोटिस दिये जाने के बावजूद जानबूझकर कांग्रेस विधायक दल की 13 और 14 जुलाई की बैठकों से अनुपस्थित रहे और मीडिया में प्रतिवादियों द्वारा शक्तिपरीक्षण की मांग सुर्खियों में रहीं. प्रतिवादियों ने यहां तक आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने राजस्थान की जनता के साथ छल किया है.’’


अपील में 1992 में किहोतो होलाहान प्रकरण में शीर्ष अदालत की व्यवस्था का विस्तार से जिक्र किया गया है. इस मामले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि अयोग्यता की कार्यवाही पर फैसला करने का अधिकार अध्यक्ष का है और इस प्रक्रिया में न्यायिक हस्तक्षेप की इजाजत नहीं है.


राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी ने 29 जुलाई को उच्च न्यायालय के 24 जुलाई के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. उच्च न्यायालय ने कांग्रेस के इन बागी विधायकों को जारी अयोग्यता नोटिस के मामले में यथास्थिति बनाये रखने का निर्देश दिया था.


अध्यक्ष ने अपनी अपील में राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुये कहा था कि यह असंवैधानिक है ओर संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में प्रत्यक्ष अतिक्रमण है.


विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस की शिकायत पर इन बागी विधायकों को 14 जुलाई को कारण बताओ नोटिस दिया था. कांग्रेस का कहना था कि इन विधायकों ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया और विधायक दल की दो बैठकों में हिस्सा नहीं लिया है.


सचिन पायलट और अन्य बागी विधायकों ने उन्हें विधानसभा अध्यक्ष से मिले अयोग्यता के नोटिस को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.


इससे पहले, अध्यक्ष सी पी जोशी ने उच्च न्यायालय के 21 जुलाई के उस आदेश के खिलाफ दायर अपनी याचिका 27 जुलाई को वापस ले ली थी जिसमें उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त किए जा चुके सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही 24 जुलाई तक स्थगित करने के लिए कहा गया था.


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