Dausa Doctor Suicide Case: मरीज की हत्या का केस दर्ज होने से परेशान महिला डॉक्टर की आत्महत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (द्वारका) ने याचिका दाखिल कर घटना की सीबीआई जांच की मांग की है. याचिका में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए गाइडलाइन बनाने और इस तरह की घटनाओं में मारे जाने वाले डॉक्टरों को मुआवजा देने की व्यवस्था बनाने की भी मांग की गई है.


28 मार्च को राजस्थान के दौसा के एक निजी हस्पताल में आशा देवी नाम की महिला की प्रसव के बाद हुए रक्तस्राव से मृत्यु हो गई थी. इसे लेकर महिला के जानने वालों और स्थानीय नेताओं ने खूब हंगामा मचाया. पुलिस ने दबाव में डॉक्टर अर्चना और उनके पति डॉक्टर सुनीत उपाध्याय पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया. 


इससे तनाव में आकर डॉ अर्चना शर्मा ने आत्महत्या कर ली. अपने सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि महिला की मौत प्रसव से जुड़ी शारीरिक जटिलताओं के चलते हुई थी. अपने सुसाइड नोट में डॉक्टर अर्चना ने लिखा कि कोई डॉक्टर अपने मरीज की हत्या नहीं करता. डॉक्टरों को इस तरह परेशान करना बंद होना चाहिए.


अब वकील शशांक देव सुधि के माध्यम से दिल्ली के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (द्वारका) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में पूरे मामले में पुलिस की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की गई है.


डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश जारी करने का अनुरोध भी किया गया है. डॉक्टरों की संस्था ने यह मांग भी उठाई है कि देश भर की पुलिस के पास मेडिको-लीगल सेल हो, जो इलाज से जुड़ी जटिलताओं को समझने के बाद केस दर्ज करने पर विचार दे.


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