नई दिल्ली: कोटा में बच्चों की मौत से नाराज चल रहीं सोनिया गांधी ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत की बजाए डिप्टी सीएम सचिन पायलट को अपना नुमाइंदा बनाकर कोटा भेजा. अब पायलट ने अपनी ही सरकार को आज कटघरे में खड़ा कर दिया. पायलट ने कोटा में कहा कि हमारा रवैया संतोषजनक नहीं है और आंकड़ों के जाल में हम चर्चा को ले जाएं यह उन लोगों को स्वीकार्य नहीं है जिन्होंने अपने बच्चे खोए हैं. हम लोगों को जवाबदेही तय करनी पड़ेगी.


बता दें कि एबीपी न्यूज़ की खबर पर प्रियका गांधी ने भी मुहर लगाते हुए कहा था कि हमने एक टीम विस्तृत जांच रिपोर्ट के लिए आज कोटा भेजी है, जो अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को सौंपेगी. अब बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह रिपोर्ट राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत से क्यों नहीं मांगी.


दरअसल, अशोक गहलोत और स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा की ओर से बच्चों की मौत पर दिए गए बयानों से सोनिया गांधी नाराज थीं. उन्होंने यह नाराजगी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के सामने भी जाहिर की. यहां तक कि प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे को 10 जनपथ तलब कर मामले में गंभीरता दिखाने के निर्देश भी दिए थे. साथ ही सोनिया गांधी ने गहलोत से भी जानकारी मांगी थी लेकिन आखिर में सचिन पायलट के नेतृत्व में एक टीम कोटा भेजी. जिसने वहां जाकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और अपनी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया. खास बात यह है कि सचिन पायलट और मंत्री रमेश मीणा, उदयलाल आंजना सरकार के पहले प्रतिनिधि है, जिन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की है.


पायलट ने कोटा में मीडिया के सामने रूबरू होते हुए गहलोत की ओर से लगातार आंकड़ों को लेकर दिए जा रहे बयानों पर कहा, सत्ता में आए 13 महीने हो चुके हैं, दूसरे के सिर दोष देना ठीक नहीं है. जिन परिवारों ने अपने बच्चे खोए हैं उन्हें मदद के साथ यह एहसास कराना होगा कि प्रदेश में एक जिम्मेदार सरकार है. बता दें कि अभी तक लड़ाई अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही थी. अब दिल्ली आलाकमान और अशोक गहलोत के बीच भी लड़ाई साफ नजर आने लगी है.


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