Rajasthan Cabinet Expansion News: एक साल से राजस्थान कांग्रेस में जारी कलह के बीच अब राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा जोर पकड़ रही है. कांग्रेसी सूत्रों के मुताबिक, इस महीने के अंत तक राज्य मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है. इसके लिए कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अजय मकान और केंद्रीय नेता केसी वेणुगोपाल ने भी काफ़ी हद तक अपना होम वर्क पूरा कर लिया है. वेणुगोपाल तो राजस्थान के दौरे पर पहुंचकर सीएम अशोक गहलोत से इस मुद्दे पर मंत्रणा भी कर रहे हैं.
राजस्थान में इस पूरी संभावित कवायद के पीछे पंजाब कांग्रेस में हाल में ख़त्म हुए विवाद को माना जा रहा है कि पंजाब में विवाद सुलटा तो अब राजस्थान की बारी है. ख़ैर ये बात अपनी जगह लेकिन कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के लिए राजस्थान का विवाद आसानी से सुलझाने का फॉर्मूला निकालना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है.
इसकी वजह है राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के गुटों में अब तक जारी जंग है. ऐसे में दोनों गुटों का साध लेना वेणुगोपाल और अजय माकन के लिए बड़ी चुनौती रहेगी. अब किस गुट से कितने मंत्री बनाए जाएंगे ये बड़ा सवाल है क्योंकि अभी राजस्थान में सीएम गहलोत समेत कुल 21 मंत्री हैं और कुल विधायकों की दो सौ की संख्या के लिहाज़ से राज्य में अधिकतम 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं. अब मंत्रिमंडल की इन कुल नौ खाली जगहों के लिए दावेदार कितने होंगे इसको जान लेते हैं.
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कांग्रेस के सामने ये समस्या तो जरूर आ सकती है कि किस गुट को कितनी तवज्जो दी जाए. अगर मंत्रिमंडल विस्तार से पायलट कैंप के विधायकों को संतुष्ट किया तो वंचित रहने वाले गहलोत कैंप के विधायक नाराज हो सकते हैं.
गहलोत के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि उनके समर्थक 13 निर्दलीय और बीएसपी से कांग्रेस में आने वाले 6 विधायकों को संतुष्ट रखने की है. निर्दलीय और बीएसपी से आने वाले विधायक लगातार मांग कर रहे हैं कि उनकी वजह से सरकार बची है लिहाजा उन्हें मंत्री बनाया जाए. ऐसे में मंत्री पद के दावेदारों को सूची लगभग चार दर्जन के आसपास तक पहुंचती दिख रही है.
अब ऐसे में गहलोत के लिए अपने समर्थित निर्दलीय विधायकों और बीएसपी से आए आधा दर्जन विधायकों को ख़ुश रखने के साथ अपनी पार्टी विधायकों को संतुष्ट करना एक बेहद जटिल काम साबित होगा. कुल मिलाकर सीएम गहलोत के लिए समझौते की डगर बहुत कठिन है. अब ये देखना रोचक होगा कि ‘जादूगर’ गहलोत किस-किस को अपनी सियासी जादूगरी के ज़ोर से सम्मोहित कर पाते हैं.
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