राजस्थान के दौसा जिले में इलाज के दौरान हुई प्रसूता की मौत के बाद हुई कार्रवाई के बाद लेडी डॉक्टर अर्चना शर्मा ने आत्महत्या कर ली थी. अब ये मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इस घटना की वजह से राजस्थान के डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं. बुधवार को दिल्ली में भी डॉक्टरों की ओर से इस घटना के विरोध में धरना प्रदर्शन किया गया.


दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े डॉक्टरों ने दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के गेट के बाहर काली पट्टी बांधकर धरना प्रदर्शन किया. धरना प्रदर्शन करने वाले इन सभी डॉक्टरों की मांग थी कि जिन पुलिसवालों ने डॉ अर्चना शर्मा को प्रताड़ित किया, उन पर हत्या जैसी धाराएं लगाईं जाएं और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. 


'सीरियस हालात में डॉक्टर के पास आई थी मरीज'


दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नीलम लेखी ने राजस्थान की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा, "जो मरीज थी, वो बहुत ही सीरियस हालात में डॉक्टर के पास आई थी. उनकी उम्र 22 साल थी और चौथा बच्चा होने को था. सभी डॉक्टरों ने उसे भर्ती करने से मना कर दिया था, इसके बावजूद भी डॉक्टर अर्चना ने उसका इलाज किया. पीपीएच की वजह से प्रसूता की मृत्यु हुई है." 


उन्होंने आगे बताया, "पीपीएच एक कॉम्प्लिकेशन है जो कि 25% प्रेगनेंसी में प्रूवन है, लेकिन जिस तरह से उस डॉक्टर को प्रताड़ित किया गया और जिसकी वजह से डॉक्टर ने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए आत्महत्या कर ली. अब ऐसे में कोई भी डॉक्टर सीरियस मरीज को भर्ती नहीं करेगा, सभी दूसरी जगह के लिए रेफर कर दिया करेगें."


क्या होता है पीपीएच?


दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के फाइनेंस सेक्रेटरी डॉ एस.एस. पोपली बताते हैं, "पीपीएच एक तरह का जाना माना कॉम्प्लिकेशन है, जिसमें किसी भी प्रसूता को ब्लीडिंग शुरू हो जाती है, जो कि कई बार नियंत्रण से बाहर होती है. यही राजस्थान वाले मामले में भी हुआ था. मुझे जो राजस्थान से जानकारी मिली है उसके अनुसार राजस्थान में उस प्रसूता को सारी सुविधाएं दी गईं थीं, लेकिन फिर भी वो लोग ब्लीडिंग कंट्रोल नहीं कर पाए, जिससे उसकी मृत्यु हो गई."


सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उल्लंघन का आरोप


दिल्ली के एसोसिएशन ऑफ सर्जन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट डॉ एस के पोद्दार बताते हैं, "मैथयू वर्सेज पंजाब स्टेट एक बहुत पुराना सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है, जिसमें कोई भी क्रिमिनल धारा लगाने से पहले खासकर 302, जब तक कोई मेडिकल एक्सपर्ट कमेटी चाहे वह मेडिकल काउंसिल की ओर से बनाई गई हो या किसी भी डिस्ट्रक्ट हॉस्पिटल की हो, राय जरूरी है. आप कंजूमर कोर्ट में जा सकते थे, आप कहीं भी जा सकते थे, धारा 302 के तहत आरोप लगाना यह गलत है. आप मर्डर चार्ज नहीं लगा सकते, यह एक तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है."


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