Rajasthan Elections: राजस्थान के रण में प्रधानमंत्री मोदी को उतरे हुए एक दिन भी नहीं बीता कि अशोक गहलोत को मोदी नाम की ताकत का एहसास होने लगा. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने पीएम मोदी का पूरा भाषण सुना. इसके बाद वादों और दावों का पिटारा खोलना शुरू कर दिया. मुख्यमंत्री गहलोत के ट्विटर हैंडल से ट्वीट में कहा गया कि राजस्थान के लोगों को सौगात मिलने वाली है. 100 यूनिट मुफ्त बिजली का एलान कर दिया गया. 200 यूनिट तक सारे सरचार्ज खत्म कर दिए.


अशोक गहलोत ने ट्विटर पर लिखा, "100 यूनिट प्रतिमाह तक बिजली उपभोग वालों का बिजली बिल शून्य होगा. उन्हें पूर्ववत कोई बिल नहीं देना होगा. 100 यूनिट प्रतिमाह से ज्यादा उपभोग करने वाले वर्ग के परिवारों को भी पहले 100 यूनिट बिजली फ्री दी जाएगी यानी कितना भी बिल क्यों ना आए, पहले 100 यूनिट का कोई भी विद्युत शुल्क नहीं देना होगा."


मुफ्त बिजली के एलान पर बीजेपी हमलावर
सीएम गहलोत ने देर रात मुफ्त बिजली का ऐलान किया तो सुबह सियासत का करंट दौड़ गया. बीजेपी हमलावर हो गई. कह दिया कि चुनावी मौसम के वादे हैं. लोगों की चिंता थी तो ऐलान पहले क्यों नहीं किया.


राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा, "महंगाई राहत के नाम पर जादूगर मुख्यमंत्री इंद्रजाल की तरह भ्रम फैलाना चाहते हैं. गहलोत इस तरह की घोषणा करके अपने खोए हुए जनाधार को धूंधने की कोशिश कर रही है."


मगर सीएम गहलोत का कॉन्फिडेंस हाई है. अब वह कर्नाटक जैसे मॉडल पर चल निकले हैं जहां वादों और दावों की बरसात की गई थी. राजस्थान में कांग्रेस का दांव पुरानी पेंशन स्कीम पर भी है. एक बयान में गहलोत ने कहा, "सामाजिक सुरक्षा हमारा मुख्य विषय है जिसपर हम लोगों को पेंशन दे रहे हैं. हमने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि आप पूरे देश में सामाजिक सुरक्षा को लेकर संसद में कानून पारित कीजिए. ये वही OPS के लाभार्थी हैं, जिनकी खुशियां भाजपा छीनना चाहती है."



चुनावी साल है
राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी ने अपने कैंपेन की शुरुआत कर दी है और पीएम मोदी की रैली को रिस्पॉन्स भी अच्छा मिला लेकिन दूसरी तरफ गहलोत हैं जो पीएम मोदी और पायलट फैक्टर की काट के तौर पर अपनी सरकार के अचीवमेंट्स गिनाने की कोशिश कर रही हैं.


राजस्थान ने पुरानी पेंशन स्कीम को मार्च 2022 में लागू किया था और अब केंद्र सरकार पर इसे पूरे देश में लागू करने का दबाव बनाया जा रहा है. यानी गहलोत ने सियासी समीकरण साधने के लिए अब सरकारी योजनाओं को टूल बनाने की रणनीति बना ली है.


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