Rajasthan firecrackers: राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हवाला देकर प्रदेश भर में पटाखों की बिक्री और हर तरह की आतिशबाजी पर रोक लगा दी थी लेकिन अब उनका मन बदल गया है. उन्होंने अपने पुराने फैसलों में सुधार करते हुए प्रदेशवासियों की खुशी बढ़ा दी है. सरकार ने ग्रीन पटाखों की बिक्री और आतिशबाजी की इजाजत दी है. पहले के दिए फैसलों में आंशिक संशोधन करते हुए सरकार की ओर से कहा गया है कि एनसीआर को छोड़कर प्रदेश भर में सिर्फ ग्रीन पटाखों की बिक्री और आतिशबाजी की जा सकेगी. एनसीआर क्षेत्र में किसी भी कीमत पर पटाखे बेचने और जलाने पर प्रतिबंध रहेगा. एनसीआर को छोड़ते हुए पूरे राजस्थान प्रदेश में केवल ग्रीन पटाखों को ही बेचने और चलाने की अनुमति होगी.


ग्रीन आतिशबाजी कब और किस वक्त?
राजस्थान सरकार ने ग्रीन आतिशबाजी करने की छूट तो दी है लेकिन इसमें भी पटाखे जलाने को लेकर कई शर्तें हैं. प्रशासन की ओर से साफ तौर से कहा गया है कि ग्रीन आतिशबाजी सिर्फ दिवाली, गुरुपर्ब और अन्य त्यौहार पर रात्रि 8 से 10 बजे तक ही की जा सकेगी. इसके अलावा छठ पर्व , क्रिसमस और न्यू ईयर पर भी ग्रीन पटाखे छोड़ने की अनुमति दी गई है. गहलोत प्रशासन की ओर से कहा गया है कि छठ पर्व पर सुबह 6 बजे से 8 बजे तक जबकि क्रिसमस और न्यू ईयर पर  देर रात 11 बजकर 55 मिनट से रात साढ़े बारह बजे तक ग्रीन पटाखे जलाए जा सकेंगे.


ग्रीन आतिशबाजी की पहचान हर पटाखे के बॉक्स पर नीरी(NEERI)की ओर से जारी QR कोड को स्कैन करके की जा सकती है. जिस शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 'POOR'या उससे भी खराब है, वहां पर उस दिन ग्रीन आतिशबाजी करने पर भी रोक रहेगी. एयर क्वालिटी इंडेक्स आम जन एवं प्रवर्तन एजेंसी द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट से ज्ञात की जा सकती है.






क्या हैं ग्रीन पटाखे?


ग्रीन पटाखे वो हैं जो तय लिमिट में आवाज और धुएं देते हैं. ऐसे ही पटाखों को कोर्ट ने ग्रीन यानी इकोफ्रेंडली माना है. इनमें नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की कम मात्रा इस्तेमाल होती है. ऐसे पटाखे जलाने से बेहद ही कम मात्रा में प्रदूषण की गुंजाइश रहती है.


अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रतिबंध के बावजूद शादी समारोह, धार्मिक आयोजनों में पटाखे चलाए जाते हैं.चुनाव जीतने पर आतिशबाजी होती है.कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि जिनके पास आदालती आदेशों के पालन की जिम्मेदारी होती है वे खुद ही इसका उल्लंघन करते हैं. 


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