जयपुर: राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ लंबे समय से मोर्चा खोले रहे बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) के वरिष्ठ नेता और विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने जयपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को लिखे पत्र को पढ़ते हुए पार्टी से अलग होने की घोषणा कर दी. अब वो अपनी नई राजनीतिक पार्टी भारत वाहिनी पार्टी के बैनर तले राजस्थान की सभी 200 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे.
सांगानेर विधानसभा सीट से विधायक तिवाड़ी
घनश्याम तिवाड़ी फिलहाल जयपुर की सांगानेर विधानसभा सीट से विधायक हैं. पिछले साल बीजेपी की अनुशासन समिति ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में अपना जवाब देने को कहा था. लेकिन उसके बाद पार्टी ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की थी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमित शाह को लिखे हुए पत्र को पढ़ते हुए तिवाड़ी ने कहा, "पिछले चार सालों में देश और प्रदेश में एक अघोषित आपातकाल लगाया जा चुका है, जो कि घोषित आपातकाल से ज्यादा खतरनाक है."
राजस्थान BJP 1 व्यक्ति की दुकान में बदल गई है
पत्र के जरिए उन्होंने आरोप लगाते हुए ये भी कहा कि राजस्थान में बीजेपी एक व्यक्ति की निजी दुकान में बदल गयी है. उन्होंने अमित शाह पर तंज कसते हुए कहा कि सत्ता के ग़ुरूर में पार्टी के निष्ठावान लोगों को किनारे किया गया. आपको बता दें कि राजस्थान में बीजेपी के कद्दावर नेता घनश्याम तिवाड़ी को इस बार वसुंधरा राजे ने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया था. जिसके बाद से उन्होंने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.
15 BJP विधायक संपर्क में होने का दावा
अपनी नई पार्टी भारत वाहिनी के बारे में बताते हुए घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि 3 जुलाई को जयपुर में पार्टी का एक राज्यस्तरीय कार्यक्रम रखा गया है जिसमें 2000 लोग शामिल होंगे. तिवाड़ी ने पार्टी में अपनी भूमिका के बारे में बताते हुए कहा कि लोग चाहते हैं कि उनकी अध्यक्षता में पार्टी चुनाव लड़े. उन्होंने ये भी दावा किया कि बीजेपी के 15 विधायक उनके संपर्क में हैं. उन्होंने ये भी कहा कि पार्टी बीजेपी और कांग्रेस के अच्छे लोगों को स्वीकार करेगी.
आपातकाल को याद करते हुए घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि उन्होंने जेल जाकर और मार खाकर सरकार के घोषित आपातकाल के खिलाफ लड़ाई जारी रखी. आज केंद्र और राज्य दोनों में ही अघोषित आपातकाल है क्योंकि अब सेंसरशिप लागू नही की जा सकती. लेकिन राजनीतिक हथकंडों और विज्ञापन न देने का भय दिखाकर मीडिया को दबाया जा रहा है.