राजस्थान में 2.5 रुपये प्रति लीटर सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल, राजे सरकार ने वैट 4% घटाया
राजस्थान सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर वैट (वैल्यू ऐडेड टैक्स) को 4-4 फीसदी कम करने की घोषणा की है. इससे राज्य में पेट्रोल व डीजल 2.5 रुपये प्रति लीटर तक सस्ता होगा.
नई दिल्लीः पेट्रोल-डीजल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों से राजस्थान के लोगों को थोड़ी राहत मिली है. राजस्थान सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर वैट (वैल्यू ऐडेड टैक्स) घटा दिया है जिसके बाद पेट्रोल, डीजल की कीमत 2.5 रुपये प्रति लीटर सस्ती हो गई हैं. दरअसल पेट्रोल-डीजल पर वैट राज्य सरकारें वसूलती हैं और इन्हें घटाना-बढ़ाना राज्य की सरकारों के हाथ में होता है. राजस्थान सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर वैट (वैल्यू ऐडेड टैक्स) को 4-4 फीसदी कम करने की घोषणा की है. इससे राज्य में पेट्रोल व डीजल 2.5 रुपये प्रति लीटर तक सस्ता होगा.
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपनी राजस्थान गौरव यात्रा के तहत हनुमानगढ़ के रावतसर कस्बे में एक सभा में पेट्रोलियम ईंधन सस्ता करने वाले इस फैसले की घोषणा की. इसके तहत राज्य में वैट पेट्रोल पर 30 से घटाकर 26 फीसदी और डीजल पर 22 से घटाकर 18 फीसदी किया गया है. मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि राज्य की आम जनता, किसानों व गृहिणियों को राहत देने के लिए राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि इससे सरकार को 2000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा.
राजे ने यह घोषणा ऐसे समय में की है जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने पेट्रोल व डीजल के बढ़ते दाम के खिलाफ सोमवार को भारत बंद की घोषणा कर रखी है. पेट्रोल और डीजल की कीमतें रविवार को एक नये रिकॉर्ड पर पहुंच गईं. वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम और रुपये में गिरावट से ईंधन की कीमतों में तेजी बनी हुई है.
सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनी द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक रविवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 12 पैसे और डीजल की 10 पैसे प्रति लीटर बढ़ गई. दिल्ली में रविवार को पेट्रोल की कीमत 80.50 रुपये और डीजल की कीमत 72.61 रुपये प्रति लीटर हो गई. यह फ्यूल की कीमत का नया उच्च स्तर है. सभी मेट्रो शहरों और अधिकतर राज्यों की राजधानी के मुकाबले दिल्ली में फ्यूल की कीमत सबसे कम है.
ईंधन के दामों में उछाल की अहम वजह विभिन्न कारणों से कच्चे तेल के बाजार में लगातार तेजी और अमेरिकी डॉलर की रिकार्ड मजबूती है. इससे कुल मिला कर कच्चे तेल का आयात महंगा हुआ है. भारत को अपनी जरूरत का 80 फीसदी से अधिक तेल इंपोर्ट करना होता है.