नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट में बागी विधायकों की याचिका पर चल रही कार्रवाई को रोकने से मना कर दिया है. हाईकोर्ट कल पायलट खेमे के बागी विधायकों की याचिका पर फैसला देगा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि हाईकोर्ट के फैसले पर अमल फिलहाल नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट 27 जुलाई को मामले में आगे की सुनवाई करेगा.


राज्य विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी ने हाईकोर्ट की कार्रवाई को अपने अधिकार क्षेत्र में दखल बताते हुए इसे रोकने की मांग की थी. उनका कहना था कि 1992 में आए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक कोई भी कोर्ट अयोग्यता के मामले में स्पीकर का फैसला आने के बाद ही दखल दे सकता है. लेकिन यहां कुछ विधायकों ने स्पीकर की तरफ से भेजे गए नोटिस को चुनौती दी और हाई कोर्ट ने उस पर सुनवाई शुरू कर दी. इतना ही नहीं स्पीकर से फिलहाल अपनी कार्रवाई न करने के लिए भी कहा.


कपिल सिब्बल ने क्या दलील दी
विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से जिरह करते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, अयोग्यता पर स्पीकर के फैसले की न्यायिक समीक्षा हो सकती है. लेकिन फैसले से पहले कोर्ट दखल नहीं दे सकता. इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने पूछा कि विधायक हाईकोर्ट क्यों गए हैं? सिब्बल का जवाब था, उन विधायकों ने स्पीकर की तरफ से भेजे गए नोटिस को चुनौती दी है. लेकिन ऐसा नहीं किया जा सकता.


इस पर जजों ने सवाल किया कि स्पीकर ने नोटिस क्यों जारी किया? सिब्बल ने बताया, “यह विधायक पार्टी की तरफ से बुलाई गई बैठक में नहीं शामिल नहीं हुए. हरियाणा के एक रिसॉर्ट में चले गए. वहां से सरकार के खिलाफ बयानबाज़ी करने लगे. पार्टी के चीफ व्हिप ने स्पीकर के सामने इस बारे में याचिका दायर की थी. उनकी गतिविधियों को पार्टी विरोधी बताकर अयोग्यता की कार्रवाई शुरू करने की दरख्वास्त की. तब नोटिस जारी किया गया.“


जज ने पूछा- क्या पार्टी में रहते हुए भी अयोग्य करार दिया जा सकता है?
जज इस दलील पर आश्वस्त नज़र नहीं आए. उन्होंने पूछा, “क्या इन लोगों ने पार्टी छोड़ दी है? क्या किसी को पार्टी में रहते हुए भी अयोग्य करार दिया जा सकता है?” सिब्बल ने जवाब दिया कि पहले कुछ मामलों में ऐसा हुआ है. इस पर जजों ने कहा कि असंतोष की आवाज़ को इस तरह से दबाया नहीं जा सकता. इन विधायकों को भी जनता ने ही चुना है.


सिब्बल ने इसका बचाव करते हुए कहा, “MLA स्पीकर के सामने आए. बताएं कि पार्टी की बैठक में आने की बजाय हरियाणा के रिसॉर्ट में क्यों गए? अगर स्पीकर उनके जवाब से संतुष्ट होंगे तो कार्रवाई नहीं करेंगे. लेकिन यहां तो स्पीकर को फैसला लेने से ही रोका जा रहा है. यह पूरी तरह गलत है.“


बेंच ने कहा, “हाईकोर्ट ने स्पीकर को कोई निर्देश नहीं दिया. सिर्फ उनसे आग्रह किया है. आप एक दिन इंतज़ार क्यों नहीं कर सकते.“ बागी खेमे के वकील मुकुल रोहतगी ने दखल देते हुए कोर्ट को बताया कि स्पीकर ने खुद 2 बार हाईकोर्ट में फिलहाल कार्रवाई टालने पर सहमति दी है. अब यहां आकर अपने अधिकार क्षेत्र का हवाला दे रहे है.


सिब्बल ने स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में हनन का मसला उठाया
इसके बाद जजों ने सिब्बल से कोई ऐसा फैसला दिखाने को कहा जिसमें पार्टी की बैठक में न आने के लिए किसी पर अयोग्यता की कार्रवाई को सही ठहराया गया है. सिब्बल ऐसा कोई फैसला नहीं रख सके. उन्होंने फिर से स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में हनन का मसला उठाया.


जजों ने कहा कि वो इस सवाल पर सुनवाई को तैयार हैं. इस पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है. सिब्बल ने स्थिति को भांपते हुए हाईकोर्ट को आदेश देने से रोकने की मांग दोहराई. उन्होंने कहा, “जब तक आप विस्तार से सुनवाई करेंगे, तब तक हाईकोर्ट फैसला दे देगा. उसके बाद सरकार को अस्थिर करने की कोशिश शुरू हो सकती है. आप मामला अपने पास ट्रांसफर कर लीजिए. या फिर यहां सुनवाई लंबित रहने तक हाईकोर्ट को आदेश देने से रोक दीजिए.“


पायलट खेमे के वकील ने किया विरोध
सचिन पायलट खेमे की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने इसका विरोध करते हए कहा, “हाई कोर्ट में 5 दिन बहस चली है. स्पीकर ने वहां खुद अपनी कार्रवाई रोकने पर सहमति दी थी. अब हाई कोर्ट को आदेश जारी करने से नहीं रोका जा सकता.“


आखिरकार जस्टिस अरुण मिश्रा बीआर गवाई और कृष्ण मुरारी की बेंच ने आदेश लिखवाया, “हम हाईकोर्ट को फैसला लेने से नहीं रोक रहे हैं. लेकिन यह फैसला आगे होने वाली हमारी सुनवाई के निष्कर्ष पर निर्भर करेगा.“ यानी सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से यह साफ कर दिया हाईकोर्ट को फैसला लेने से तो नहीं रोका जा रहा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट स्पीकर की इस अर्जी पर विस्तार से सुनवाई कर फैसला लेगा कि हाईकोर्ट को मामले में दखल देने का अधिकार था या नहीं.


इस फैसले का व्यवहारिक असर यह होगा कि अगर हाईकोर्ट का फैसला पायलट खेमे के 19 विधायकों के हक में भी आता है, तब भी गहलोत सरकार को 27 जुलाई तक कोई सीधा खतरा नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में चली कार्रवाई की वैधता पर सुनवाई लंबित रख ली है. अगर सुप्रीम कोर्ट यह फैसला देगा कि हाई कोर्ट में हुई सुनवाई स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में हनन है, तो स्पीकर की तरफ से शुरू की गई अयोग्यता की कार्रवाई जारी रहेगी.


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