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'भर्ती प्रक्रिया में महिलाओं की छाती मापने का नियम मनमाना और अपमानजनक'- राजस्थान हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी
Rajasthan Forest Recruitment: महिलाओं की छाती मापने का ये मामला तब सामने आया जब भर्ती प्रक्रिया से बाहर हुई महिलाओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, हालांकि हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया.
!['भर्ती प्रक्रिया में महिलाओं की छाती मापने का नियम मनमाना और अपमानजनक'- राजस्थान हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी Rajasthan High Court on rule of measuring women chest in forest recruitment process called arbitrary and humiliating 'भर्ती प्रक्रिया में महिलाओं की छाती मापने का नियम मनमाना और अपमानजनक'- राजस्थान हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/08/17/ca74fa0234e0990f9bc203edc74e8a3b1692263493913356_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Rajasthan Forest Recruitment: राजस्थान में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती में महिलाओं की छाती मापने के मामले को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है. अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि ये मनमाना और अपमानजनक है. साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि ये महिला की गरिमा का अपमान करने जैसा है. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में नौकरी पाने के लिए महिलाओं की छाती मापने का मामला तब सामने आया जब भर्ती प्रक्रिया से बाहर हुई महिलाओं ने हाईकोर्ट का रुख किया था. जिसके बाद कोर्ट ने ये इस पर कड़ी आपत्ति जताई.
हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
लाइव लॉ के मुताबिक राजस्थान हाईकोर्ट की जस्टिस दिनेश मेहता की बेंच ने इस दौरान कहा कि किसी भी महिला की ताकत का अंदाजा उसकी छाती का आकार देखकर नहीं लगाया जा सकता है. ये न सिर्फ साइंटिफिक तौर पर गलत है, बल्कि अशोभनीय भी है. हाईकोर्ट ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत निजता के अधिकार की गारंटी दी गई है.
नियम पर विचार करने की दी सलाह
हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि इस तरह का मामला अतार्किक होने के साथ साथ एक महिला की गरिमा और मानसिक अखंडता को भी प्रभावित करता है. इस मामले में हाईकोर्ट ने अधिकारियों की संवेदनशीलता को लेकर भी सवाल उठाए. हाईकोर्ट ने कहा कि उसका आदेश मुख्य सचिव को भेजा जाए. साथ ही सुझाव दिया कि राजस्थान सरकार के सचिव को ऐसे मानदंड या नियम पर फिर से विचार करना चाहिए. इसके वैकल्पिक समाधान के लिए एक्सपर्ट्स की राय भी ली जा सकती है.
दरअसल उन महिला अभ्यर्थियों की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिन्हें छाती मापने के मापदंड में खरा नहीं उतरने पर बाहर कर दिया गया था, जबकि उन सभी ने बाकी शारीरिक दक्षता को पूरा कर लिया था.
याचिकाओं को किया खारिज
हालांकि हाईकोर्ट ने इन सभी याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं को खारिज कर दिया और पूरी हो चुकी भर्ती प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं किया. इसके लिए कोर्ट की तरफ से मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट मांगी गई थी, जिसने बताया कि याचिका दायर करने वाली युवतियों के छाती का माप पात्रता के हिसाब से कम था, जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए अपना फैसला सुनाया.
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