जयपुर: पुलिस ने दर्ज की FIR तो अपनी ही पार्टी की जनसुनवाई में शिकायत लेकर पहुंचे उद्योग मंत्री
पुलिस के द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं करने के बाद राजस्थान के उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा को एक पीड़ित को इंसाफ दिलवाने के लिए प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में हो रही जन सुनवाई में शामिल होना पड़ा.
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जयपुर: "अपराधियों में भय और आमजन में विश्वास" ये नारा है राजस्थान पुलिस का. लेकिन ये महज एक नारा है और पुलिस खुद इस नारे पर खरी नहीं उतरती. आम जन के विश्वास के बात छोड़िये यहां तो ख़ास लोगों को ही पुलिस पर भरोसा नहीं है. एक काबीना मंत्री के साथ हुए घटनाक्रम ने जयपुर पुलिस की कार्यप्रणाली पर ही सवालिया निशान खड़ा कर डाला है. अब शर्मिंदा हुई पुलिस के अफसरों ने एक अधिकारी को सस्पेंड करके मंत्री जी को खुश करने की कोशिश की है.
परसादी लाल मीणा राजस्थान के उद्योग मंत्री हैं. मीणा पुराने कांग्रेस नेता है और कई दफा उन्हें मंत्री मंडल में जगह मिलती रही है. इस बार भी वो गहलोत सरकार में केबिनेट मंत्री है. अब इतना बड़ा मंत्री अगर इस बात से परेशान हो कि पुलिस उनकी भी नहीं सुनती तो इसे क्या कहा जाए. लेकिन मंत्री जी के साथ जब ऐसा हुआ तो अपनी फ़रियाद लेकर अपने से वरिष्ठ मंत्री के पास अपना दुखड़ा लेकर पहुंच गए.
परसादी लाल मीणा के पास उनके निर्वाचन क्षेत्र बामनवास के एक बुजुर्ग सावंल राम अपनी बेटी की हत्या की रिपोर्ट नहीं दर्ज करने की शिकायत लेकर पहुंचे थे. इन बुजुर्ग की बेटी जयपुर के जय सिंह पुरा थाना क्षेत्र में रहती थी.बुजुर्ग की फ़रियाद पर सुनवाई करते हुए खुद मंत्री परसादी लाल मीणा ने जय सिंह पुरा थाने के प्रभारी भारत सिंह को फोन कर बुजुर्ग की शिकायत पर मामला दर्ज करने को कहा लेकिन थाना प्रभारी ने परसादी लाल की बात को भी अनसुना कर एफआईआर दर्ज नहीं की.
इसके बाद मंत्री परसादी लाल उस बुजुर्ग को लेकर सीधे प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पहुंच गए. उस वक़्त वहां प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री शान्ति धारीवाल आम जनता की सुनवाई कर रहे थे. मंत्री परसादी लाल ने आम फरियादी की तरह मंत्री धारीवाल के सामने बुजुर्ग को पेश करते हुए अपना दर्द बताया. धारीवाल राज्य के सबसे सीनियर मंत्री है और सीएम अशोक गहलोत के बाद सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते है. अपने साथी मंत्री की बात सुनकर धारीवाल ने मौके से ही जयपुर के पुलिस कमिश्नर आंनद श्रीवास्तव को फोन कर मामले की पड़ताल का आदेश दिया.
धारीवाल के फ़ोन के बाद तो मानो पुलिस महकमे में हड़कंप सा मच गया. आनन फानन में थाना प्रभारी को कमिश्नर दफ्तर में तलब कर रिपोर्ट मांगी गई. पूरे मामले में थाना प्रभारी की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना बर्ताव को देखते हुए बुधवार को थाना प्रभारी भारत सिंह को सस्पेंड कर दिया गया.
मामला मंत्री ने उठाया तो फ़ौरन एक्शन भी हो गया लेकिन मामले ने जयपुर पुलिस के नारे और दावे दोनों की पोल खोल कर रख दी कि यहां जब ख़ास लोगों की परवाह नहीं की जाती तो आम आदमी की क्या बिसात? अब मंत्री को भी अगर पुलिस रिपोर्ट करवाने के लिए कांग्रेस दफ्तर में चल रही जन सुनवाई का आसरा तो आम आदमी को रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए थानों में कितने चक्कर काटने पड़ते होंगे अंदाजा लगाया जा सकता है.
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