जयपुर: राजस्थान विधानसभा ने मॉब लिंचिंग (भीड़ हत्या) की घटनाओं पर लगाम लगान के लिए एक विधेयक सोमवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. इस विधेयक के तहत मॉब लिंचिंग की घटनाओं में पीड़ित की मौत पर दोषी को कठोर आजीवन कारावास और एक से पांच लाख रुपये तक के जुर्माना का प्रावधान रखा गया है. विधानसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमारी धारीवाल ने कहा कि राजस्थान ऐसा पहला राज्य है, जहां माब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए कानून बनाया जा रहा है.


धारीवाल ने कहा, ''हाल के वर्षों में राज्य में मॉब लिंचिंग की कुछ घटनाओं से राजस्थान के हर नागरिक का सर शर्म से झुक गया.'' वहीं विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने इस विधेयक को विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेजे जाने की सिफारिश की.


कटारिया ने कहा कि भावावेश में किसी कानून को इतना सख्त भी नहीं बना देना चाहिए कि लोग जानबूझकर उसकी अवहेलना करने लग जाएं. उन्होंने कहा,''बीजेपी मौजूदा रूप में इस विधेयक का कभी समर्थन नहीं करेगी.''


विधेयक पर चर्चा और मंत्री धारीवाल के जवाब के बाद विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित हुआ घोषित किया.


बता दें कि ''राजस्‍थान लिंचिंग से संरक्षण विधेयक 2019'' को धारीवाल ने 30 जुलाई को सदन में पेश किया था. विधेयक के अनुसार,'कथित सम्मान के लिए की जाने वाली हिंसा और ऐसा करना भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध है और इन्हें रोकना जरूरी है.''


सुप्रीम कोर्ट ने 17 जुलाई को अपने निर्णय में इस संबंध में एक कानून बनाने की सिफारिश की थी. विधेयक में मॉब लिंचिंग के मामलों में पीड़ित को चोट लगने की स्थिति में दोषी को अधिकतम 10 साल तक के कारावास और तीन लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव भी किया गया है.


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