Karanpur Election Result 2024: राजस्थान के विधानसभा चुनाव में बंपर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी को पहले ही चुनाव में तगड़ा झटका लगा है. विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनने के पहले ही सरकार में मंत्री बनने वाले सुरेंद्र पाल सिंह को विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रूपिंदर सिंह के हाथों बड़ी हार मिली है. इस हार के साथ ही सुरेंद्र पाल सिंह टीटी का मंत्री पद भी खतरे में आ गया है.
नवंबर 2023 में जब राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए तो विधानसभा की कुल 200 में से महज 199 सीटों पर ही चुनाव हो पाए थे. श्रीगंगानगर की एक सीट करणपुर पर चुनाव हो ही नहीं पाया, क्योंकि यहां से कांग्रेस के विधायक और 2023 विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशी रहे गुरमीत सिंह कुन्नर का अचानक से निधन हो गया. तब विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी थी और चुनाव प्रचार शुरू हो चुका था.
इस वजह से चुनाव आयोग ने उस सीट पर चुनाव टाल दिया. चुनाव आयोग की ओर से इलेक्शन की नए सिरे से तारीख तय हुई. फिर 5 जनवरी, 2024 में इस चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी बनाए गए थे दिवंगत कांग्रेस विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर के बेटे रूपिंदर सिंह.
कांग्रेस ने क्यों आपत्ति जताई थी?
इस बीच 199 सीटों के रिजल्ट आ गए थे, जिनमें बीजेपी ने अकेले 115 सीटों पर जीत दर्ज की. कांग्रेस के खाते में महज 69 सीटें ही गई. इस बंपर जीत के बाद 15 दिसंबर को बीजेपी ने भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना दिया. भजनलाल शर्मा ने अपना कैबिनेट विस्तार किया और एक ऐसे नेता को मंत्री बना दिया, जो विधायक भी नहीं थे. उनका नाम था सुरेंद्रपाल सिंह टीटी.
अब सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बने रहने के लिए विधायक बनने की जरूरत थी. पाल का छह महीने के अंदर राजस्थान की किसी भी सीट से चुनाव जीतना जरूरी था, क्योंकि राजस्थान में विधानपरिषद तो है नहीं. ऐसे में जब करणपुर विधानसभा सीट पर चुनाव होने ही थे तो बीजेपी ने सुरेंद्रपाल सिंह को ही वहां से उम्मीदवार बना दिया ताकि वो जीतकर मंत्री पद पर बने रह सकें.
कांग्रेस ने इसपर आपत्ति भी जताई और कहा कि इतिहास में आज तक ऐसा नहीं हुआ है कि मंत्री पहले बनाया गया हो और बाद में मंत्री को विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया गया हो. कांग्रेस ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन भी बताया, लेकिन बीजेपी ने अपना प्रत्याशी नहीं बदला.
बीजेपी के लिए क्यों झटका है?
ऐसे में 5 जनवरी को वोटिंग हुई. 81 फीसदी से भी ज्यादा वोटिंग हुई. फिर 8 जनवरी को जो नतीजे आए उसमें पता चला कि बीजेपी ने अपने मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को जिस विधानसभा चुनाव में उतारा था, वो मंत्री कांग्रेस के प्रत्याशी रूपिंदर सिंह के सामने 12 हजार वोटों से चुनाव हार गए हैं. ऐसे में महज 10 दिन पहले ही मंत्री बने सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को अब या तो किसी दूसरी विधानसभा सीट से चुनाव जीतना होगा या फिर छह महीने बीतने के साथ ही उन्हें अपने मंत्रीपद से भी इस्तीफा देना होगा.
हालांकि ये झटका जितना बड़ा सुरेंद्र पाल सिंह के लिए है, उससे भी बड़ा झटका बीजेपी के लिए है, क्योंकि सरकार बनने के साथ ही ये पहला बड़ा चुनाव था, जिसमें पार्टी की साख दांव पर थी और बड़ी हार ने बीजेपी की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
ये सवाल इसलिए भी बड़े हैं, क्योंकि चंद महीने में ही लोकसभा के चुनाव भी होने हैं. और राजस्थान में बीजेपी के सामने अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है, क्योंकि लगातार दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस के लिए कुछ भी नहीं छोड़ा है और 25 की 25 सीटों पर जीत हासिल करती आई है.
ऐसे में विधानसभा की ये हार बीजेपी को तब तक सालती रहेगी, जब तक बीजेपी लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को बेहतर न कर ले. क्योंकि इस हार ने मौका दिया है कांग्रेस को तो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा तक ने हमले का मौका नहीं छोड़ा है और कहा है कि सरकार मंत्री बना सकती है, विधायक नहीं. ये सही बात है. सरकार ने सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री तो बना दिया, लेकिन जनता ने उन्हें विधायक नहीं बनाया है.
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