प्रतापगढ़:  राजस्थान के प्रतापगढ़ में खुले में शौच विवाद में मजदूर नेता की संदिग्ध मौत का विवाद गहरा रहा है. परिवार और चश्मदीद कह रहे हैं कि नगर निगम के कर्मचारियों ने जफर खान को बुरी तरह से पीटा, जिससे उनकी मौत हो गई. वहीं पुलिस और डॉक्टर दावा कर रहे हैं कि पोस्टमार्टम में मृतक के शरीर पर सिर्फ कुछ खरोंच मिले थे. दो दिन बाद भी आरोपी गिरफ्तार नहीं हुए हैं. ऐसे में विपक्ष का कह रहा है कि वसुंधरा सरकार पर आरोपियों को बचा रही है.


राजस्थान के प्रतापगढ़ में जफर खान नाम के मजदूर नेता की मौत की मिस्ट्री चश्मदीद के दावे और पोस्टमार्टम करने डॉक्टर और पुलिस के बयानों के बीच उलझी है.  पुलिस को अब फॉरेंसिक लैब की विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार है, जिससे मिस्ट्री सुलझेगी कि जफर खान की मौत मर्डर है या हादसा.


राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर कहा है, ‘’प्रतापगढ़ में जफर खान की मौत बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. जांच चल रही है, इंसाफ होकर रहेगा.’’


 


शुक्रवार को खबर आई थी कि राजस्थान के प्रतापगढ़ की कच्ची बस्ती में तीन महिलाएं खुले में शौच करने गई थीं, इसी दौरान नगरपालिका कमिश्नर की अगुवाई में स्वच्छ भारत अभियान की टीम मौके पर पहुंच गई, और उन महिलाओं की आपत्तिजनक तस्वीरें खींचने लगी. आरोप है कि मजदूर नेता जफर खान ने इसका विरोध तो नगरपालिका की टीम ने उन्हें बुरी तरह पीटा. अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई.



मृतक का परिवार आक्रोश में है. वारदात के वक्त मौके पर मौजूद नगरपालिका के कमिश्नर और आरोपी कर्मचारियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है. वहीं प्रतापगढ़ की प्रभारी और राजस्थान की उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी कह रही हैं कि विवाद सुलझा लिया गया है.


फॉरेंसिक लैब की विस्तृत रिपोर्ट आने से पहले ही उदयपुर के आईजी पुलिस भी कह रहे हैं कि जफरखान की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन सबूतों की मानें तो ये हत्या का मामला नहीं है. ऐसे में विपक्षी पार्टी कांग्रेस आरोप लगा रही है कि वसुंधरा सरकार जफर की मौत के गुनहगारों को बचाने में जुटी है.



जफर खान की संदिग्ध मौत के साथ सवाल प्रतापगढ़ में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर भी उठ रहे है. ऐसे में बड़ा सवाल ये भी है कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत प्रतापगढ़ में कच्ची बस्ती में शौचालय क्यों नहीं बनवाया गया और वहां के सार्वजनकि शौचालयों की हालत इतनी खराब क्यों है कि लोग खुले में शौच जाने पर मजबूर हो रहे हैं? जाहिर है ये दोनों बातें होती तों आज स्वच्छ भारत अभियान पर जफर खान की मौत की कालिख नहीं लगी होती.