Rajasthan News: बांसवाड़ा से 85 किलोमीटर दूर प्रतापगढ़ जिले के अरनोद तहसील के गौतमेश्वर महादेव मंदिर को वागड के हरिद्वार के नाम से जाना जाता है. भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर है. भगवान शिव के मन्दिर के ऊपर से झरना बहता है. बारिश के सीजन में यहां चारो ओर हरियाली की चादर के बीच गौतमेश्वर महादेव मंदिर हरीभरी वादियों से घिरा हुआ है.
गौतमेश्वर महादेव मन्दिर की एक अलग ही खासियत है. ये एक मोक्षदायिनी कुंड, मंदाकनी कुंड के नाम से भी जाना जाता है. यहां मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं. यहां मन्दिर ट्रस्ट की ओर से पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट भी दिया जाता है.
कहा जाता है कि सप्तऋषि में से एक गौतम ऋषि पर भी गाय हत्या का कलंक लगा था. तब गौतम ऋषि ने इसी कुंड में स्नान कर अपना पाप मिटा दिया था. तब से स्थानीय लोगों में विश्वास है कि जैसे गौतम ऋषि को इस मंदाकिनी कुंड में स्नान करने से मुक्ति मिली थी, वैसे ही उनके भी सारे पाप धुल जाएंगे.
यहां लोगों में आज भी गौतमेश्वर महादेव में बने इस कुंड के प्रति आस्था है. मिली जानकारी के अनुसार गौतमेश्वर महादेव मंदिर में बने इस कुंड का पानी आज तक कभी खत्म नहीं हुआ. इसी धर्म स्थल से बनी हुई आदिवासियों कि पुरानी कचहरी भी है. कचहरी से औपचारिक तौर पर छपा हुआ और मोहर लगा पाप मुक्ति प्रमाण पत्र भी जारी किया जाता है.
खास बात ये है कि पूरे देश में एक मात्र यही धाम है, जहां पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट दिया जाता है, आदिवासियों के हरिद्वार के नाम से जाने जाने वाले प्रसिद्ध गौतमेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालु राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात महाराष्ट्र से यहां वैशाख में आते हैं. उस समय इन राज्यों से लाखों श्रद्धालु इस आस्था के दरबार में बने कुंड में डुबकी लगाकर अपना पाप धोते हैं, साथ ही इस कुंड के पानी को गंगा जल समझकर अपने साथ भी ले जाते हैं.
1 रुपये में मिलता है पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट
गौतमेश्वर तीर्थ पर पाप निवारण के लिए मंदाकनी नाम का कुंड है. यहां श्रद्धालु स्नान करने के बाद एक रुपये जमा करते हैं और कचहरी कि ओर से उन्हें पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट दिया जाता है.
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