राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने बुधवार को राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 06 में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए राज्य के 31 नगरीय निकायों में 167 सदस्यों का मनोनयन किया. उल्लेखनीय है कि राज्य में लगभग 30,000 राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं और विशेषकर पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट व उनके समर्थक विधायक लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं.


स्वायत्त शासन विभाग द्वारा जारी सूची के अनुसार, आबूरोड़ में 6, सिरोही में 3, शिवगंज में 2, माउण्ट आबू में 2, पिण्डवाड़ा में 2, गंगानगर में 3, सादुलशहर में 5, पदमपुर में 6, केसरीसिंपुर में 6, श्रीकरणपुर में 6, भरतपुर में 6, दौसा में 8, पोकरण में 6, देवगढ़ में 5, सांचैर में 6, ईटावा में 6, रामगंजमण्डी में 5, सांगोद में 2, इन्दरगढ़ में 5, कापरेन में 6, केश्वरापाटन में 6, लाखेरी में 6, छबड़ा में 1, बारां में 8, बीकानेर में 12, जैतारण में 6, सवाईमाधोपुर में 8, निवाई में 6, लाडनूं में 6, बगरू में 6, विराटनगर में 6 सदस्य मनोनीत किये गये हैं.


इससे पूर्व सोमवार (14 जून) को 33 निकायों में 196 नगर पालिका व नगर परिषद सदस्यों का मनोनयन किया गया था. उल्लेखनीय है कि राज्य में राजनीतिक नियुक्तियों, मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर लगभग ढाई साल से, गहलोत सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस तरह की नियुक्तियों से सत्तारूढ़ पार्टी अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को उपकृत करती है.


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