जयपुर: स्पीकर के नोटिस के खिलाफ सचिन पायलट गुट की याचिका पर राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सुनवाई के दौरान स्पीकर की ओर से पेश हो रहे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोर्ट को अभी स्पीकर के फैसले में दखल नहीं देना चाहिए. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, '' नोटिस में विधायकों से पूछे गए सवालों को लेकर अभी भी फैसला बाकी है. सभी 19 विधायकों के अपनी निजी वजहें हो सकती हैं. इसलिए स्पीकर उन पर फैसला दे सकते हैं. कोर्ट को स्पीकर के फैसले में दखल नहीं देना चाहिए.''
शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हाइकोर्ट ने 21 जुलाई शाम 5:30 बजे तक रोक लगा दी थी. इसका मतलब था कि तब तक विधानसभा के स्पीकर विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे.
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गये नोटिस को चुनौती दी थी
सचिन पायलट गुट के विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी और हरीश साल्वे पेश हुए थे. वहीं विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए थे. सचिन पायलट और 18 अन्य बागी कांग्रेस विधायकों ने उन्हें राज्य विधानसभा से अयोग्य करार देने की कांग्रेस की मांग पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गये नोटिस को चुनौती दी थी.
गहलोत गुट ने कहा- पायलट समर्थन विधायकों ने नहीं पानी व्हिप
गहलोत गुट ने विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी कि 'बागी विधायकों' ने कांग्रेस विधायक दल की सोमवार और मंगलवार को हुई दो बैठकों में भाग लेने के लिए जारी पार्टी के व्हिप की अवमानना की है. हालांकि पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी का व्हिप सिर्फ तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो.
विधानसभा अध्यक्ष को भेजी गई शिकायत में कांग्रेस ने पायलट और अन्य बागी विधायकों के खिलाफ संविधान की दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है. इस प्रावधान के तहत अगर कोई विधायक अपनी मर्जी से उस पार्टी की सदस्यता छोड़ता है, जिसका वह प्रतिनिधि बनकर विधानसभा में पहुंचा है तो वह सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाता है.
अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत को लेकर सचिन पायलट के साथ इन्हें भी कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. नोटिस पाने वाले अन्य विधायकों में दीपेंद्र सिंह शेखावत, भंवरलाल शर्मा और हरीश चन्द्र मीणा भी शामिल हैं. इन्होंने भी गहलोत सरकार को चुनौती देते हुए मीडिया में बयान दिए थे.