Ashok Gehlot In Delhi: राजस्थान कांग्रेस में उभरे संकट के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) बुधावर (28 सितंबर) को दिल्ली पहुंचे हैं. अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात करेंगे. दिल्ली पहुंचने पर अशोक गहलोत ने कहा कि हम कांग्रेस अध्यक्ष के अधीन काम करते हैं. आने वाले समय में उसी के अनुसार निर्णय लिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि मीडिया को देश के मुद्दों को समझना चाहिए. लेखकों, पत्रकारों को देशद्रोही कहा जा रहा है और जेल में डाला जा रहा है. हमें उनकी चिंता है और राहुल गांधी उनके लिए यात्रा पर हैं. गहलोत ने कहा कि ये घर की बात है, सब कुछ ठीक है. कल मैं सोनिया गांधी से मिलूंगा, तब मैं आपसे बात करूंगा. अभी मैं यही कहूंगा कि कांग्रेस प्रेजिडेंट, कांग्रेस के अंदर हमेशा अनुशासन रहा है. सोनिया गांधी के अनुशासन के बारे में पूरा देश जानता है.
क्या कहा अशोक गहलोत?
अशोक गहलोत ने कहा कि देश में महंगाई हो, बेरोजगारी हो या तानाशाही प्रवृत्ति, राहुल गांधी को इसकी चिंता है. कांग्रेस में हम सभी को इस बात की चिंता है कि देश किस दिशा में जा रहा है. इससे निपटना हमारे लिए ज्यादा जरूरी है. अंदरूनी राजनीति जारी रहती है, हम सुलझा लेंगे.
गहलोत के करीबियों को भेजा गया नोटिस
इससे पहले राजस्थान के घटनाक्रम को लेकर मंगलवार (27 सितंबर) को ही प्रभारी अजय माकन और पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस की अनुशासन समिति ने गहलोत के करीबियों को गंभीर अनुशासनहीनता के मामले में कारण बताओ नोटिस भेजा था. कांग्रेस ने धर्मेंद्र राठौर समेत संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल और मुख्य सचेतक महेश जोशी को नोटिस भेजकर दस दिनों में जवाब देने को कहा है.
पर्यवेक्षकों ने रिपोर्ट में और क्या कहा?
नौ पन्नों की इस रिपोर्ट में पर्यवेक्षकों ने विधायकों की प्रस्तावित विधायक दल बैठक की बजाय शांति धारीवाल के घर पर अलग से बैठक करने को अनुशासनहीनता माना है. पर्यवेक्षकों ने सोनिया गांधी को सौंपी रिपोर्ट में गहलोत को राज्य में संकट के लिए सीधे जिम्मेदार नहीं माना है, लेकिन समानांतर बैठक बुलाने वाले प्रमुख नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी. गहलोत समर्थक विधायकों ने रविवार (25 सितंबर) को बगावत करते हुए स्पीकर सीपी जोशी को सामूहिक इस्तीफा सौंपा था.
क्यों उठा राजस्थान कांग्रेस में तूफान?
दरअसल, अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव लड़ने के एलान के बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने की अटकलों के बाद ये बगावत हुई थी. गहलोत के बाद सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा थी, लेकिन गहलोत खेमे के विधायक सचिन पायलट के नाम पर राजी नहीं हैं. गहलोत खेमे के विधायकों की मांग है कि नया मुख्यमंत्री उन 102 विधायकों में से हो, जो जून 2020 में कांग्रेस पार्टी के प्रति वफादार थे, जब सरकार को गिराने का प्रयास किया गया था. राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी इस समय दिल्ली में ही हैं.
गौरतलब है कि कांग्रेस दो दशक से अधिक समय के बाद अपने पहले गैर-गांधी अध्यक्ष के लिए तैयारी कर रही है. गांधी परिवार के सदस्य 17 अक्टूबर को होने वाले अध्यक्ष पद के चुनाव से बाहर रहेंगे. अब तक कांग्रेस (Congress) के दो नेता, शशि थरूर (Shashi Tharoor) और पवन बंसल ने नामांकन पत्र लिया है. शशि थरूर 30 सितंबर को नामांकन दाखिल करेंगे. वहीं पवन बंसल का कहना है कि उन्होंने अपने लिए फॉर्म नहीं लिए हैं.
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