Rajasthan Politics: एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में 8 से 18 साल की लड़कियों को स्टांप पेपर पर बेचा जाता है. कोई अगर इसका विरोध करता है तो लड़कियों की माताओं से बलात्कार किया जाता है. इस खबर को लेकर बीजेपी (BJP) ने राजस्थान की गहलोत सरकार और कांग्रेस (Congress) पर आरोप लगाया है. बीजेपी नेता संबित पात्रा ने कहा है कि अब बेटियों का राजस्थान में रहना मुश्किल हो गया है.
वहीं, इस खबर पर संज्ञान लेते हुए NHRC (राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग) ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें आयोग ने इस मामले की पूरी जांच कर रिपोर्ट सौंपने की बात कही है. आयोग ने कहा है कि राजस्थान के आधा दर्जन जिलों में 8-18 वर्ष की आयु की लड़कियों को स्टांप पेपर पर बेचा जाता है, और यदि नहीं, तो उनकी माताओं के साथ बलात्कार किया जाता है और ऐसी घटनाओं का निपटारा पंचायतों के फरमान से किया जा रहा है.
संबित पात्रा ने लगाया आरोप
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए राजस्थान सरकार पर आरोप लगाया है कि राजस्थान में बेटियों की खुलेआम नीलामी चल रही है और कांग्रेस के कुशासन से तंग आकर राजस्थान में बेटियों का रहना मुश्किल हो गया है. दरअसल, एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 340 किलोमीटर दूर भीलवाड़ा जिले के एक गांव पंडेर में लड़कियों की खरीद-बिक्री की जाती है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि गांव की कई बस्तियों में लड़कियों को बेचकर देह व्यापार करवाया जाता है. गांव में कई ऐसी बस्तियां हैं जहां दो पक्षों के किसी विवाद पर जातीय पंचायत बैठती है यहां से लड़कियों के शोषण का खेल शुरू हो जाता है.
स्टांप पेपर पर होती है लड़कियों की खरीद-बिक्री
रिपोर्ट में कहा गया है कि पंडेर गांव में लड़कियों की बिक्री के लिए दलाल स्टांप पेपर का इस्तेमाल करते हैं. रिपोर्ट में कुछ पीड़ित लड़कियों से बातचीत कर उनके अनुभव को भी साझा किया गया है. अब बीजेपी ने इस मीडिया रिपोर्ट को लेकर राजस्थान सरकार पर बड़ा हमला बोला है.
संबित पात्रा ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी का नारा है ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’, लेकिन कांग्रेस सरकार वाले राजस्थान में इसकी हकीकत कुछ और है, जहां बहन-बेटियों की खुलेआम नीलामी हो रही है. पात्रा ने लिखा कि कांग्रेस के कुशासन से तंग आकर अब राजस्थान की बेटियां कह रही हैं; ‘लड़की हूं बच सकती हूं, तभी राजस्थान में रह सकती हूं.’
क्या कहा गया है मीडिया रिपोर्ट में?
जानकारी के मुताबिक, पंडेर गांव में रहने वाले अधिकांश लोगों के पास खुद की जमीन नहीं है जिसके चलते गांव के अधिकतर लोग बाहरी इलाकों में मजदूरी का काम करते हैं. इस गांव में हुए किसी भी विवाद में जातीय पंचायत जिसको दोषी मानती है उस पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है और जुर्माना नहीं होने पर पंचों की ओर से घर की बहन-बेटी को बेचने का दबाव बनाया जाता है. इसके बाद यही पंच दलाल बनकर लड़कियों को खरीदने और बेचने का काम करते हैं और अपना कमीशन लेते हैं. बताया गया है कि किसी भी लड़की को बेचने की पूरी प्रक्रिया स्टांप पेपर पर होती है.
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