Rajasthan Politics: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) 10 मई को राजस्थान दौरे पर जाने वाले हैं, लेकिन उनके दौरे से पहले वहां की राजनीति में तूफान आ गया है. सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने जो गुगली फेंकी है उसमें बीजेपी (BJP) फंस गई है. टारगेट पर सीधा वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) हैं जिनका सियासी भविष्य गहलोत ने फंसा दिया है. सवाल ये है कि रानी को जादूगर ने क्लीन बोल्ड किया है या फिर रानी हिट विकेट हो गई हैं.
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की तारीफ करके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं. पहला बीजेपी में वसुंधरा को संदिग्ध बना दिया है. दूसरा बीजेपी का मजबूत विकेट चुनावी साल में कमजोर कर दिया है. असल में हुआ ये है कि अशोक गहलोत ने रविवार को धौलपुर के एक कार्यक्रम में अपने खिलाफ हुई बगवात का जिक्र किया और इसी दौरान अमित शाह पर हमला करते हुए यहां तक कह दिया कि वसुंधरा की वजह से उनके खिलाफ बगावत कामयाब नहीं हो पाई.
वसुंधरा राजे ने बताया बड़ा षड्यंत्र
जादूगर के नाम से मशहूर अशोक गहलोत के इस बयान ने मानो राजस्थान में बीजेपी की राजनीति को अपने जादू के लपेटे में ले लिया है. वसुंधरा राजे जो कि खुद को सीएम का दावेदार मानकर चल रही हैं, गहलोत के इस बयान से बेचैन हैं. उन्होंने एबीपी न्यूज से कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होने वाली हार से भयभीत होकर झूठ बोल रहे हैं. मुख्यमंत्री का मेरी तारीफ करना मेरे खिलाफ उनका एक बड़ा षड्यंत्र है. मेरा जितना अपमान गहलोत ने किया कोई कर ही नहीं सकता. वो मनगढ़ंत कहानियां गढ़ रहे हैं.
दरअसल, साल 2018 में जब अशोक गहलोत को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया तब से ही सचिन पायलट खुश नहीं थे. साल 2020 के जुलाई महीने में सचिन पायलट बागी हो गए और तब सरकार गिरने की नौबत आ गई. हालांकि गहलोत और कांग्रेस नेतृत्व ने किसी तरह बागियों को मना लिया और सरकार बच गई. राज्य की राजनीति को समझने वाले मानते हैं कि गहलोत और पायलट के झगड़े का नुकसान कांग्रेस को चुनाव में हो सकता है. बीजेपी भी इसी झगड़े में अपने लिये सत्ता का रास्ता देख रही है.
पीएम मोदी आने वाले हैं राज्य के दौरे पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 मई को राजस्थान के दौरे पर जा रहे हैं. श्रीनाथ मंदिर में पूजा पाठ और योजनाओं की सौगात के साथ ही सिरोही जिले में रैली भी करने वाले हैं., लेकिन मोदी के दौरे से पहले जादूगर ने रानी की तारीफ कर सियासी रूप से उन्हें पार्टी के अंदर कमजोर करने की कोशिश की है. मोदी के कार्यक्रम से ही तय हो जाएगा कि गहलोत के बयान को बीजेपी ने कितनी गंभीरता से लिया है.
राजस्थान में बरकरार रहेगा सत्ता परिवर्तन का रिवाज?
राज्य में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन का रिवाज है. 1993 के बाद से हर पांच साल पर सरकार बदल जाती है. पिछली बार कांग्रेस जीती तो इस बार रिवाज कायम रहने पर बीजेपी के जीतने के चांस हैं और बीजेपी के पास प्रदेश स्तर पर सबसे मजबूत नाम वसुंधरा राजे का है. वसुंधरा कैंप चाहता है कि पार्टी उनके नाम को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर चुनाव मैदान में जाए, लेकिन लगता नहीं कि रानी के ग्रह नक्षत्र ठीक हैं. नहीं तो भला विरोधी के मुंह से तारीफ सुनना किसे पसंद नहीं होता, लेकिन यहां खेल दूसरा है और जादूगर के जाल में बीजेपी फंस सी गई है.
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