Rajasthan Politics Live Updates: स्पीकर को SC से न राहत, न झटका, हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं, और अमल भी नहीं

राजस्थान की सियासी तकरार सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है. राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. कपिल सिब्बल ने सीपी जोशी की तरफ से अदालत में दलीलें पेश की हैं. सीपी जोशी ने सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही 24 जुलाई तक टालने के हाई कोर्ट के निर्देश के खिलाफ याचिका दायर की है.

एबीपी न्यूज़ Last Updated: 23 Jul 2020 03:00 PM
राजस्थान के स्पीकर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई एसएलपी पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की जरुरत है, इस पर जल्दबाजी में फैसला नहीं हो सकता. हरीश साल्वे ने कहा कि हाई कोर्ट में सारे तथ्यों पर बहस हुई है अब फैसले पर रोक नहीं लगनी चाहिए. जबकि कपिल सिब्बल की मांग की कि हाई कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट के आने वाले फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट बागी गुट की अपील पर अपना फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हाईकोर्ट को आदेश पर रोक नहीं लगा सकते. हालांकि हाइकोर्ट के किसी आदेश पर अभी अमल नहीं होगा. उसपर अमल हमारे फैसले के बाद होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस पूरे मामले को कानून के तहत सुनेगा. अगली सुनवाई सोमवार को होगी. अदालत का कहना है कि पहले HC अपना निर्णय दे दे, उसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट फिर इस मामले को सुनेगा. राजस्थान विधानसभा स्पीकर की ओर से पेश होते हुए कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि HC के फैसले को रद्द किया जाए, किसी निर्णय से पहले स्पीकर के मामले में दखल नहीं दिया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल हाई कोर्ट जो भी फैसला दे लेकिन उसपर अमल हमारे फैसले के बाद होगा. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस पूरे मामले को कानून के तहत सुनेगा. राजस्थान हाई कोर्ट कल बागी गुट की अपील पर अपना फैसला सुनाएगा.
राजस्थान संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने संतुलन बनाते हुए कहा है कि हम हाईकोर्ट को आदेश पर रोक नहीं लगा सकते. हालांकि हाइकोर्ट के किसी आदेश पर अभी अमल नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई सोमवार को होगी. अदालत का कहना है कि पहले HC अपना निर्णय दे दे, उसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट फिर इस मामले को सुनेगा.

कपिल सिब्बल ने आशंका जताई है कि राजस्थान सरकार को अस्थिर करने की कोशिश हो सकती है. इसलिए मामले को हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए.
राजस्थान के सियासी संकट पर SC ने कहा कि इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की जरुरत है, इस पर जल्दबाजी में फैसला नहीं हो सकता. हरीश साल्वे ने कहा कि हाई कोर्ट में सारे तथ्यों पर बहस हुई है अब फैसले पर रोक नहीं लगनी चाहिए. जबकि कपिल सिब्बल की मांग है कि हाई कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने जब सवाल किया कि आखिर विधायकों को नोटिस किस आधार पर दिया गया, तो स्पीकर का पक्ष रख रहे कपिल सिब्बल ने कहा कि पायलट गुट के विधायकों की गतिविधियां पार्टी विरोधी लग रही हैं इसलिए नोटिस दिया गया.
कुछ देर पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विधायकों को जनता ने चुनकर भेजा है और अगर इनको कोई असंतोष है तो उसको सुना जाना चाहिए. इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि स्पीकर के पास संवैधानिक अधिकार हैं और वो विधायकों को नोटिस भेज सकते हैं.
सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि मान लीजिए किसी नेता का किसी पर भरोसा नहीं, तो क्या आवाज उठाने पर उसे अयोग्य करार दिया जाएगा. पार्टी में रहते हुए वे अयोग्य नहीं हो सकते, फिर ये यह एक उपकरण बन जाएगा और कोई भी आवाज नहीं उठा सकेगा. लोकतंत्र में असंतोष की आवाज इस तरह बंद नहीं हो सकती.
सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने बेहद बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा है कि सिर्फ विधायक दल की बैठक में न आने का सवाल नहीं है, इन विधायकों की गतिविधयां पार्टी विरोधी लग रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या कांग्रेस पार्टी ने विधायकों को पार्टी से निकाला गया है तो कपिल सिब्बल ने कहा कि अभी विधायक पार्टी में ही हैं लेकिन बार-बार पार्टी बैठकों में नहीं आने के बाद जब व्हिप जारी किया गया तो इसका भी विधायकों ने उल्लंघन किया है. उन्होंने हेमाराम चौधरी का नाम लेते हुए कहा कि विधायक पार्टी बैठक में तो आए नहीं और सीधा मीडिया में चले गए. ये पूरी तरह गलत है.
कपिल सिब्बल ने कहा कि पायलट गुट ने स्पीकर के नोटिस का जवाब नहीं दिया और सीधे कोर्ट चले गए, वो स्पीकर के नोटिस को चुनौती नहीं दे सकते हैं. कोर्ट ने पूछा है कि क्या पार्टी में रहते हुए किन्हीं विधायक को अयोग्य ठहराने का अधिकार है तो कोर्ट ने कहा कि असंतोष की आवाज़ को नहीं दबाया जा सकता है.
कपिल सिब्बल ने कहा कि स्पीकर ने विधायकों से 17 जुलाई तक जवाब देने के लिए कहा था लेकिन इससे पहले ही सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. ये पूरी तरह स्पीकर के अधिकारों का हनन हो रहा है. कानून के मुताबिक स्पीकर अगर विधायकों को अयोग्य ठहराने का फैसला सुनाते हैं तो
उसके खिलाफ अदालत में जाया जा सकता है लेकिन सिर्फ नोटिस को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जाने का मतलब क्या है.
सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल से पूछा है कि स्पीकर ने विधायकों को जो नोटिस भेजा है वो कहां है और अब कपिल सिब्बल उस नोटिस को अदालत को पढ़कर सुना रहे हैं.
कपिल सिब्बल ने ये भी कहा कि विधानसभा स्पीकर के फैसले से पहले विधायकों का कोर्ट में जाना न्यायसंगत नहीं है. स्पीकर को विधायकों को नोटिस देने का हक है. स्पीकर ने सिर्फ नोटिस दिया था और कोर्ट ने जब ये पूछा कि किसी विधायक की याचिका लंबित हो और उस पर विधायक अदालत चले जाएं तो आगे की स्थिति क्या होगी इस सवाल पर कपिल सिब्बल ने कहा कि स्पीकर ने संविधान में दिए गए अधिकारों के अनुरूप ही विधायकों को नोटिस दिया है.
कपिल सिब्बल ने ये भी कहा कि विधानसभा स्पीकर के फैसले से पहले विधायकों का कोर्ट में जाना न्यायसंगत नहीं है.
कपिल सिब्बल से कोर्ट ने सवाल पूछा कि बागी विधायक कोर्ट में गए ही क्यों और इस पर आपको क्या कहना है तो कपिल सिब्बल ने कहा कि स्पीकर ने फिलहाल सिर्फ विधायकों को नोटिस दिया है और इसके खिलाफ विधायकों को कोर्ट जाने की जरूरत नहीं थी. अगर स्पीकर कुछ फैसला लेते हैं तो उसके खिलाफ कोर्ट का रुख किया जा सकता था.
विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से जिरह कर रहे कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा है कि स्पीकर के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई रोकी जाए.
कपिल सिब्बल ने अदालत में दलील दी है कि स्पीकर की तरफ से अगर बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया जाता है तो उसके खिलाफ विधायक अदालत में याचिका दाखिल कर सकते हैं. लेकिन फिलहाल स्पीकर ने सिर्फ विधायकों से जवाब मांगा है और इसके खिलाफ विधायकों को अदालत में याचिका दाखिल करने की जरूरत नहीं थी.
कपिल सिब्बल ने 1992 के किहोटो होलोहान केस का हवाला दिया है और 10वें शिड्यूल मे दिए गए स्पीकर के आदेश का हवाला दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी की याचिका पर सुनवाई शुरू हो गई है. स्पीकर की तरफ से कपिल सिब्बल दलीलें रख रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. जयपुर की एक अदालत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं. क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में जांच के आदेश दिए गए हैं.
राजस्थान सरकार में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने एबीपी न्यूज से कहा कि राजस्थान की सरकार गिरान की कोशिश हो रही है. उन्होंने ये भी कहा कि जो ऑडियो क्लिप कांग्रेस द्वारा जारी किए गए हैं उनकी जांच से गजेंद्र सिंह शेखावत डर क्यों रहे हैं, अगर उनकी आवाज़ उस ऑडियो क्लिप में नहीं है.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसी मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कल चिट्ठी लिखी थी और कहा था कि मेरी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश हो रही है. उन्होंने चिट्ठी में लिखा कि पिछले कुछ समय से जनमत द्वारा चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है और मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि ये सब कितना आपकी जानकारी में है.
सुप्रीम कोर्ट में इस अहम मामले की सुनवाई 11 बजे से होने वाली है और सबकी नजरें इस मामले पर लगी हुई हैं. क्या शीर्ष अदालत राजस्थान के स्पीकर की बात को सही ठहराएगी या सचिन पायलट खेमे के विधायकों को जो कल तक की मोहलत मिली है उसे बरकरार रखती है, इस पर स्थिति आज साफ होने की उम्मीद है.
14 जुलाई को स्पीकर ने सचिन पायलट खेमे के 19 विधायकों को अयोग्य ठहराने का नोटिस जारी किया था और इसके बाद सचिन पायलट ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर स्पीकर के इस नोटिस को चुनौती दी थी. पहले हाई कोर्ट ने 21 जुलाई तक स्पीकर को बागी विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा था और फिर 24 जुलाई तक स्पीकर को कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा. इसके बाद 22 जुलाई यानी कल स्पीकर सीपी जोशी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है जिस पर आज सुनवाई होनी है.

बैकग्राउंड

Rajasthan Politics Crisis: राजस्थान की सियासी जंग अब सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गई है. राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है. सीपी जोशी ने सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही 24 जुलाई तक टालने के हाई कोर्ट के निर्देश के खिलाफ याचिका दायर की है. वहीं सचिन पायलट खेमे ने भी शीर्ष अदालत में कैविएट दाखिल कर कहा है कि हमारा पक्ष सुने बिना आदेश जारी नहीं करें.


 


विधानसभा स्पीकर ने वकील सुनील फर्नांडिस के जरिए दायर याचिका में कहा है कि अयोग्य ठहराए जाने की प्रक्रिया विधानसभा की कार्यवाही का हिस्सा है और इसलिए अदालत शुक्रवार तक इसे टालने की बात कहकर इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती. जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी.


 


राजस्थान हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा था कि वह 19 विधायकों की याचिका पर 24 जुलाई को उचित आदेश सुनायेगा. इस याचिका में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधायकों को भेजे गए अयोग्य ठहराए जाने संबंधी नोटिस को चुनौती दी गई है. अदालत ने विधानसभा स्पीकर से अयोग्यता की कार्यवाही 24 जुलाई तक टालने को कहा था.

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