Rajasthan University Election Result 2022: 27 अगस्त को राजस्थान में छात्रसंघ के चुनाव के परिणाम घोषित कर दिए गए. छात्रसंघ चुनाव में कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) को तगड़ा झटका लगा है. प्रदेश में सरकार होने के बावजूद एनएसयूआई की बुरी हार आगामी विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. वहीं वहीं बीजेपी की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की है. जबकि वामपंथी संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने भी संतोषजनक प्रदर्शन किया है. लेकिन इन सब के बीच एक छात्र संगठन ऐसा भी है जिसने राजस्थान के सभी राजनीतिक पार्टियों की नींद उड़ा दी है.
दरअसल, उदयपुर संभाग के आदिवासी बहुल क्षेत्रों के कॉलेजों में आए रिजल्ट से एक नए स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन का जन्म हुआ है. यहां एनएसयूआई, एबीवीपी और एसएफआई को नकार दिया गया है. उदयपुर संभाग में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा (BPVM) जिसने शानदार चुनाव लड़ते हुए जीत के साथ अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई है. भील समुदाय के स्थानीय लोगों के मुताबिक वे इस परिणाम से काफी उत्साहित हैं.
वहीं स्थानीय लोगों का उत्साह इस ओर संकेत कर रहा है कि वे कांग्रेस और बीजेपी को छोड़कर अपने नए दल को वोट कर सकते हैं. वहीं ये नतीजे कांग्रेस और बीजेपी के लिए चौंकाने वाले हैं.
राजस्थान का उदयपुर संभाग जो प्रदेश का एक मात्र टीएसपी क्षेत्र (50% से ज्यादा आदिवासी वाला क्षेत्र) है, क्योंकि यहां आदिवासी समुदाय की आबादी ज्यादा है. इस क्षेत्र में आदिवासियों के लिए विधानसभा और लोक सभा की सीटें भी आरक्षित हैं. पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो किसी इलाके में कांग्रेस तो कहीं बीजेपी का वर्चस्व रहा, लेकिन दोनों ही पार्टियों के लिए पहले ही भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) सामने चुनौती बनकर खड़ी थी.
लेकिन भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा (बीपीवीएम) ने छात्र संघ चुनाव में बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर में एबीवीपी और एनएसयूआई के सूपड़ा साफ कर दिया. 21 कॉलेज में बीपीवीएम ने जीत दर्ज की.
वर्ष 2016 में रखी गई थी नींव
सवाल ये है कि आखिर इतनी जल्दी एक पूरे क्षेत्र में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करवाने वाली बीपीवीएम चमकता सितारा कैसे बनी? एबीपी न्यूज़ ने BPVM संगठन के प्रदेश संयोजक पोपट लाल खोखरिया से बात की. उन्होंने बताया कि "वर्षों से छात्रों की राजनीति देखते आ रहे थे, या तो एबीवीपी या फिर एनएसयूआई चुनाव के समय हमारे बच्चों यानी कॉलेज के छात्रों के पास आते थे, लेकिन चुनाव के बाद जब बच्चों को समस्या होती तो कोई सुनता नहीं था. फिर हमारे आदिवासी परिवार (पूरा समाज) ने बैठक की और एबीवीपी-एनएसयूआई के पदाधिकारियों से बात की कि एक नई पार्टी बनाई जाए. लेकिन हमारे समाज ने अलग चुनाव लड़ने के फैसला किया."
2016 में 4 कॉलेज में जीत दर्ज
BPVM संगठन के प्रदेश संयोजक पोपट लाल खोखरिया ने आगे बताया कि "हमने फिर वर्ष 2016 में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा की शुरुआत की. शुरुआत में संगठन में 15 ही युवक थे, लेकिन हमने सभी लोगों से संपर्क किया. जिसके बाद 2016 में हम नामांकन भरने गए तो सैकड़ों लोगों और छात्रों का साथ मिला. 2016 में हमारे संगठन ने 4 कॉलेज में जीत दर्ज की थी. मगर, इसके बात हमें निरंतर जीत मिलती गई. वहीं इस इलेक्शन में हम एकजुट हुए और 21 कॉलेज में जीत दर्ज की."
हम किसी पार्टी से नहीं
संगठन के प्रदेश संयोजक पोपट लाल खोखरिया से यह पूछने पर कि आप किस पार्टी को सपोर्ट करते हैं? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि "हम स्वतंत्र हैं, किसी पार्टी को सपोर्ट नहीं करते. वहीं यह पूछने पर कि विधानसभा चुनाव लड़ने की क्या रणनीति है? इसपर खोखरिया ने कहा कि अभी हमारी विधानसभा चुनाव लड़ने की कोई रणनीति नहीं है और न हमने कोई ऐसी योजना बनाई है. हालांकि लोगों का कहना है कि 84 विधानसभा सीटों पर भारतीय ट्राईबल पार्टी (बीटीपी) के विधायक राजकुमार रौत ने इलेक्शन में बीपीवीएम का समर्थन किया और प्रचार में भी जुटे. लोग तो यह भी कहते हैं कि विधायज राजकुमार रौत की बात बीपीवीएम के छात्र मानते हैं. लेकिन अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, सही तस्वीर विधानसभा चुनाव के समय ही साफ हो पाएगी.
बीजेपी और कांग्रेस के लिए चुनौती
बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ की बात करे तो यहां बांसवाड़ा की 5 सीटों में से 2 बीजेपी, 2 कांग्रेस और 1 निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं. डूंगरपुर में 4 में से 2 बीटीपी और एक कांग्रेस और एक पर बीजेपी को जीत मिली है. वहीं प्रतापगढ़ की एक सीट पर कांग्रेस जीती है. भील बाहुल्य इस इलाके में अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को नुकसान हो सकता है. लेकिन कांग्रेस को ज्यादा नुकसान होने की संभावना है.
बीजेपी-कांग्रेस पर संकट के बादल
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जानकर बता रहे हैं कि बीटीपी विधायक राजकुमार रौत वर्ष 2013 में एनएसयूआई से स्टूडेंट इलेक्शन में प्रेसिडेंट रह चुके हैं. इसी कारण कांग्रेस को ज्यादा नुकसान हो सकता है. हालांकि कांग्रेस का एक मजबूत पक्ष भी है. बांसवाड़ा में विधायक अर्जुन बामणिया और विधायक महेन्द्रजीत सिंह मालवीय हैं जो कांग्रेस सरकार में मंत्री पद पर हैं. इनके विधानसभा क्षेत्र में काफी पकड़ है. फिर भी जिस प्रकार से बीपीवीएम की हवा चली है इससे बीजेपी और कांग्रेस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
बता दें कि राजस्थान के 17 विश्वविद्यालयों और 450 कॉलेजों में छात्रसंघ के चुनाव हुए थे, जिसका शनिवार 27 अगस्त को गिजल्ट आया. 17 में से 6 विश्वविद्यालयों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जीत हासिल की. 9 विश्वविद्यालयों में निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली,वहीं 2 विश्वविद्यालयों में एसएफआई के उम्मीदवार जीते हैं.
इनपुट (विपिन चंद्र सोलंकी)