कांग्रेस के जयपुर में होने वाले चिंतन शिविर का आखिर एजेंडा क्या है? इस चिंतन शिविर में आखिर कांग्रेस अपने किस रिवाइवल प्लान का खाका तैयार करेगी. एक के बाद एक मिल रही चुनावी हार के बाद कांग्रेस के सामने अब अपना अस्तित्व बचाने की चुनौती है. आपको बताते हैं कैसी है कांग्रेस की जयपुर में होने वाले चिंतन शिविर को लेकर तैयारी.


13, 14 और 15 मई यानी 3 दिन तक राजस्थान के उदयपुर शहर में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व समेत करीब 400 नेताओं का जमावड़ा लगेगा. कांग्रेस इस दौरान एक के बाद एक मिली चुनावी हार की समीक्षा के लिए 'नव संकल्प शिविर' चिंतन शिविर का आयोजन कर रही है, जिसमें पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत तमाम बड़े नेता डूबती पार्टी को उबारने के तरीकों पर मंथन करेंगे. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक चिंतन शिविर के लिए उदयपुर शहर का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि राजस्थान में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं.


क्या है शिविर का एजेंडा


एबीपी न्यूज को चिंतन शिविर की तैयारियों में जुटे एक वरिष्ठ नेता ने इस शिविर का पूरा एजेंडा बताया. जानकारी के मुताबिक इस चिंतन शिविर का एजेंडा है पार्टी को दोबारा से पटरी पर लाना और बीजेपी से मजबूती से लड़ाई की तैयारी करना. 


कांग्रेस इस चिंतन शिविर में खास तौर से आने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति बनाने पर जोर देगी. गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से कई दौर की बात भी की मगर बात बन नहीं पाई. सूत्रों ने ABP News को बताया कि चिंतन शिविर में कांग्रेस का मुख्य फोकस आर्थिक व्यवस्था और चुनावी राज्यों में गठबंधनों पर होगा.


आर्थिक और किसानों का मसला प्राथमिकता


कांग्रेस की प्राथमिकता आर्थिक हालात और किसानों के मसलों पर होगी. पार्टी का मानना है कि आम आदमी बढ़ती महंगाई से त्रस्त है. तेल के बढ़ते दामों ने लोगों को और चोट पहुंचाई है. कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इन मुद्दों पर बीजेपी सरकार को घेरा जा सकता है और चिंतन शिविर में इसके इर्द-गिर्द रणनीति बनाई जाएगी. हाल ही में कांग्रेस प्रवक्ता गौरव बल्लभ ने प्रधानमंत्री पर पलटवार करते हुए कहा था कि मोदी सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 200 फीसदी और डीज़ल पर एक्साइज ड्यूटी 500 फीसदी बढ़ा दी है.


सहयोगियों को ढूंढना भी एजेंडे में शामिल


यही नहीं, चिंतन शिविर के दौरान कांग्रेस के सामने दूसरा अहम एजेंडा होगा राज्यों में संभावित गठबंधन सहयोगी ढूंढना. पार्टी पहले ही तमिलनाडु, महाराष्ट्र और झारखंड में गठबंधन सरकारों का हिस्सा है, मगर कांग्रेस के सामने चुनौती इस बात की है कि उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में ताकतवर क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस के सामने खड़ी हैं. करीब 180 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस की कोई मौजूदगी नहीं है.


अहम मुकाबला राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में होना है. अगर 2024 में BJP को चुनौती देनी है तो इन राज्यों में कांग्रेस को बेहतर चुनाव लड़ कर जीत दर्ज करनी होगी. हालिया सांप्रदायिक झड़पों से भी कांग्रेस को उन राज्यों में नुकसान हो सकता है, जहां कांग्रेस इससे ठीक से निपट ना पाए. यही वजह है कि राजस्थान के जोधपुर में ईद के दिन झड़पें होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तुरंत बीजेपी पर हमला बोल दिया. ABP News के खास शो इंडिया चाहता है में संपादक सुमित अवस्थी से बात करते हुए अशोक गहलोत ने कहा कि बीजेपी जानबूझकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रही है.


कांंग्रेस ने बनाईं अहम कमेटियां


कांग्रेस ने चिंतन शिविर के लिए एजेंडे के मुताबिक ज़रूरी अहम मुद्दों पर कमेटियां भी गठित कर दी हैं. राजनीतिक मामलों की कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तो आर्थिक मामलों की कमेटी के अध्यक्ष पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, सामाजिक न्याय संबंधित कमेटी के अध्यक्ष सलमान खुर्शीद बनाए गए हैं. वहीं सचिन पायलट को आर्थिक मामलों की कमेटी में सदस्य बनाया गया है. वहीं किसानों के मामले से संबंधित कमेटी का अध्यक्ष हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नाराज़ गुट G23 के सदस्य भूपिंदर सिंह हुड्डा को बनाया गया है.


खास बात ये कि G23 के ही सदस्य और पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को राजनीतिक मामलों की कमेटी का सदस्य बनाया गया है तो आनंद शर्मा और मनीष तिवारी चिदंबरम की अध्यक्षता वाली आर्थिक कमेटी के सदस्य बनाए गए हैं.


कांग्रेस के उच्च सूत्रों ने एबीपी न्यूज को ये भी बताया कि चिंतन शिविर के दौरान पार्टी में संगठनात्मक बदलाव, संगठन के चुनाव और संगठन को मज़बूत किए जाने पर भी चर्चा की जाएगी.


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