Aadhaar Data Not For Census Use: सरकार का जनगणना (Census) के लिए आधार डेटा का इस्तेमाल करने का कोई प्लान नहीं है. ये जानकारी इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बुधवार (5 अप्रैल) को लोकसभा में दी.


उन्होंने एक लिखित जवाब में कहा, "भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त के कार्यालय ने सूचित किया है कि जनगणना के लिए आधार डेटा का इस्तेमाल करने की कोई योजना नहीं है."


कांग्रेस सदस्य के सवाल पर दिया जवाब


इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री चंद्रशेखर ने लोकसभा में कांग्रेस सदस्य प्रकाश अडूर के सवालों के जवाब में कहा, " मौतों की अनुमानित संख्या को समायोजित करने के बाद, जीवित बचे लोगों के आधार संख्या धारकों की अनुमानित संख्या 130.2 करोड़ है, जो 2022 के लिए अनुमानित कुल आबादी का 94 फीसदी से अधिक है." 


इसके अलावा, मंत्री ने कहा कि जन्म और मृत्यु के पंजीकरण को निष्क्रिय करने के लिए जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम,1969 के प्रावधानों के तहत राज्य सरकारों के नियुक्त रजिस्ट्रारों से मृतक व्यक्तियों की आधार संख्या हासिल करने की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे की मृतकों के आधार नंबर निष्क्रिय किए जा सकें.


136 करोड़ से अधिक आधार नंबर हुए जारी


भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के मुताबिक, फरवरी 2023 के अंत तक उसने 136 करोड़ से अधिक आधार नंबर जारी किए हैं. भारत में आखिरी जनगणना 2011 में कराई गई थी. इससे पहले देश में 15 बार जनगणना कराई जा चुकी है.


साल 2011 के बाद अगली जनगणना 2021 में कराई जानी थी, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से ये संभव नहीं हो पाई थी. दरअसल देश में जनगणना हर 10 साल के बाद की जाती है. देश में  साल 1951 की बाद की सभी जनगणनाएं 1948 के जनगणना अधिनियम के तहत कराई गई हैं. 


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