नई दिल्ली: सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन के ट्रायल के दौरान एक वॉलेंटियर के बीमार होने के दावे पर स्वास्थ्य सचिव ने कमेंट करने से मना कर दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि मामला कोर्ट में है इसलिए इस पर कमेंट नहीं करेंगे. इसके साL ही उन्होंने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन के ट्रायल में तय प्रक्रिया का पालन हुआ है.
बता दें कि चेन्नई के एक वॉलेंटियर ने दावा किया था कि ट्रायल के बाद 'वर्चुअल न्यूरोलॉजिकल ब्रेकडाउन' समेत कई और साइड इफेक्ट दिखे थे. इसी के बाद वैक्सीन को लेकर सवाल खड़े हो रहे थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि ट्रायल में शामिल होने वाले वॉलेंटियर्य से पहले ही किसी भी तरह के रिएक्शन को लेकर सहमति ले ली जाती है. इसके बाद भी अगर किसी भी तरह का कोई रिएक्शन होता है तो इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी 30 दिन के भीतर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को रिपोर्ट करती है. एथिक्स कमेटी लगातार इस तरह के मामलों पर नजर रखती है.
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि इसके साथ ही एक डेटा सेफ्टी एंड मॉनिटरिंग बोर्ड भी होता है. यह बोर्ड और सरकार और वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से पूरी तरह अलग होता है. ट्रायल के दौरान रिएक्शन होने पर बोर्ड इसकी रिपोर्ट भेजता है. इसके साथ ही बोर्ड यह सुझाव भी देता है कि परीक्षण रोकना चाहिए या नहीं. सभी तरह ट्रायल नियमों के तहत ही होते हैं.
उन्होंने बताया कि जब सभी तरह की रिपोर्ट ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को मिल जाती हैं तो यह देखा जाता है कि प्रतिकूल घटना और वैक्सीनेशन में क्या संबंध है. कारण क्या रहा घटना का? सभी तरह की रिपोर्ट मिलने के बाद ही DCGI ट्रायल को अगले फेस में जाने की अनुमति देते हैं. वर्तमान में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन की ट्रायल तीसरे फेस में प्रवेश कर चुके है. यानी उसको इन सब कागज़ातों के विश्लेषण के बाद फेस तीन की अनुमति दी गई है.
भूषण ने कहा कि अगर किसी भी तरह का रिएक्शन होता है तो सबसे पहले देखा जाता है कि इसका वैक्सीन से कोई संबंध है या नहीं. इस तरह के सभी सवालों के जवाब मिलने के बाद ही वैक्सीन को अगले चरण में भेजा जाता है. सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन तीसरे चरण में है. इसका मतलब है कि उसे सभी तरह की प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही इजाजत दी गई है.