नई दिल्ली: तमिलनाडु की राजनीति में एक के बाद एक कयास सामने आ रहे हैं, फिल्मी अभिनेताओं का राजनीति में आना तमिलनाडु की राजनीति की मानो परंपरा रही हो. करुणानिधि, एमजीआर, जे जयललिता, विजयकांत और कितने ही ऐसे लोग है जिन्होंने अपने फिल्मी कैरियर से राजनीति की शुरुआत की है.


इसी क्रम में रजनीकांत और कमल हासन की चर्चा भी सूबे के राजनीतिक गलियारे में काफी तेज है. वैसे तो दोनों ही अभिनेता अपने राजनीति में आने के संकेत बार बार देते रहे हैं. कमल हासन ने जहां पहले ही इस बात का ऐलान कर दिया है कि वे राजनीति में पहले ही एंट्री कर चुके हैं. तो रजनीकांत भी वैसे तो कई बार इस तरह के संकेत दे चुके हैं कि वे राजनीति में एंट्री करेंगे लेकिन कब इसके केवल कयास कगाये जा रहे हैं. ताज़ा संकेत उन्होंने 31 दिसंबर के दिया है.


 31 दिसंबर को रजनीकांत कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं


ऐसे में माना जा रहा है कि 31 दिसंबर को रजनीकांत कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं. इस बाबत रजनीकांत कई बार अपने फैन्स से मुलाक़ात भी करते रहे हैं. फिर एक बार रजनीकान्त ने 6 दिवसीय बैठक बुलाई है जहां रजनीकांत अपने फैन्स से मिल रहे हैं और चर्चा भी कर रहे हैं. वैसे तो कई बार रजनीकांत का झुकाव बीजेपी या ये कहे कि मोदी के प्रति देखा गया है. लेकिन जिस राज्य में बीजेपी का अब तक कोई अस्तित्व नहीं क्या रजनीकांत वहां बीजेपी के साथ जाएंगे?


 फेन्स को उनकी पोलिटिकल एंट्री का इंतज़ार


कमल हासन और रजनीकांत दोनों ही राजनीतिक संकेत तो देते रहे हैं लेकिन दोनों ही बड़े अभिनेताओं के फेन्स को उनकी पोलिटिकल एंट्री का इंतज़ार है. रजनीकांत की उनके फैंस के साथ ये बैठक 26 से 31 दिसंबर तक चलेगी. इससे पहले हुई फेन्स के साथ बैठक में रजनीकांत ने कहा था कि "सही समय का इंतज़ार करें." पहले भी वो इसी तरह के सम्मेलन में कह चुके हैं कि 'ईश्वर ने चाहा तो वो राजनीति में उतर सकते हैं'. जिसे सुनकर उनके प्रशंसकों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई थी लेकिन उसका इंतजार आज भी है कि रजनीकांत राजनीति में आएंगे या नहीं, ये वो सवाल है जिसका जवाब तमिलनाडु का हर व्यक्ति जानना चाहता है.


रजनीकांत के लिए तमिलनाडु की राजनीति में संभावनाएं काफ़ी हैं


एआईएडीएएमके प्रमुख जयललिता के निधन और डीएमके प्रमुख करूणानिधि अधिक उम्र के चलते उनकी राजनीतिक सक्रियता में कमी के चलते रजनीकांत के लिए तमिलनाडु की राजनीति में संभावनाएं काफ़ी हैं. हालांकि इसमें भी कोई दो राय नहीं कि कई बार रजनीकांत को उनकी फिल्म रिलीज़ होने से पहले ऐसे इशारे देते रहे है. लेकिन इस बार राज्य के हालात को देखते हुए उनका ये इशारा काफी अहम देखा जा रहा है. राजनीतिक जानकार भी इसे मूवी रिलीस से पहले का पोलिटिकल स्टंट देख रहे हैं.


रजनीकांत राजनीतिक बयानों के लिए जाने जाते रहे है


हालांकि पहले से ही रजनीकांत राजनीतिक बयानों के लिए जाने जाते रहे है. 1996 में जब रजनीकांत ने जयललिता के खिलाफ ये बयान दिया "कि अगर जयललिता जीती तो भगवान् भी तमिलनाडु को नहीं बचा सकते. " इसका ऐसा असर हुआ कि एआइएडीएमके को उस वक़्त करारी हार चखनी पड़ी. 1996 के लोक सभा चुनाव में रजनीकांत ने बीजेपी को समर्थन दिया लेकिन बावजूद इसके बीजेपी कोई कमाल नहीं कर पायी.  उस वक़्त एआइएडीएमके ने 30 जबकि डीएमके ने 9 सीटें जीती थी. 2008 में रजनीकांत ने अपने फंस को पीएमके को वोट देने को कहा, लेकिन पीएमके एक भी सीट नहीं जीत पायी. 2014 में मोदी ने रजनीकांत से चुनाव से पहले मुलाक़ात की, फिर भी बीजेपी कोई ख़ास कमाल नहीं कर पायी.


द्रविड़ियन राजनीती के लिए जाना जाने वाला राज्य तमिलनाडु


बात अगर बीजेपी की करे, तो इसमें कोई दो राय नहीं कि जब देश भर में मोदी मैजिक था उस वक़्त तमिलनाडु ऐसा राज्य था जहां बीजेपी कोई बड़ा मैजिक नहीं कर पायी. द्रविड़ियन राजनीती के लिए जाना जाने वाला राज्य तमिलनाडु में अगर रजनीकांत बीजेपी का हाथ थामते है तो ये कितना ख़ास कर पायेगा ये तो बाद की बात लेकिन कई फेंस उनके इस बात से नाराज़ हो सकते है. बीजेपी के साथ हाथ थामने का रिस्क जयललिता ने भी हाल के किसी भी चुनाव में नहीं लिया था. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि रजनीकांत का ये स्टंट फिर एक बार फ़िल्म को लेकर होगा या वाक़ई में वे राज्य की राजनीति में एंट्री करेंगे.