Rajiv Gandhi Assassination Case: जिस राजीव गांधी हत्याकांड से 1991 में हिल गई थी पूरी दुनिया, आज वो हत्यारे वापस श्रीलंका लौटे
Rajiv Gandhi Assassination Case: प्रतिबंधित लिट्टे की एक आत्मघाती हमलावर ने 21 मई, 1991 को एक चुनावी सभा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की श्रीपेरंबुदूर के पास हत्या कर दी थी.
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Rajiv Gandhi Assassination Case: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले के 3 दोषी बुधवार (3 मार्च) को श्रीलंका लौट गए और पहुंचने पर अपने बयान दर्ज कराए. तीनों दोषी मुरुगन उर्फ श्रीहरन, जयकुमार और रॉबर्ट पायस श्रीलंका के नागरिक हैं तथा पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के मामले में तीन दशक तक जेल की सजा काटने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने करीब दो वर्ष पहले उन्हें रिहा कर दिया था.
अधिकारियों के मुताबिक मुरुगन, जयकुमार और रॉबर्ट पायस श्रीलंका के एक विमान से बुधवार को चेन्नई से कोलंबो रवाना हुए. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मुरुगन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार सुबह करीब 11 बजे (स्थानीय समय) कोलंबो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे.
करीब 5 घंटे तक दर्ज किए तीनों के बयान
अधिकारियों ने कहा कि उनके बयान 5 घंटे से अधिक समय तक दर्ज किए गए. इन तीनों के साथ ही चौथे दोषी संथन को 2022 में जेल से रिहा कर दिया गया था और उन्हें तिरुचिरापल्ली में एक विशेष शिविर में रखा गया था. श्रीलंका वापस भेजने के लिए उन्हें मंगलवार (2 मार्च) रात चेन्नई लाया गया था. संथन की हाल में गुर्दे की बीमारी की वजह से मौत हो गई थी. उसके शव को एक मार्च को श्रीलंका भेज दिया गया था.
नवंबर 2022 में रिहा किए गए थे 7 दोषी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नवंबर 2022 में 7 दोषियों को रिहा कर दिया था, जिनमें ये तीनों श्रीलंकाई नागरिक भी शामिल थे. मामले में दोषी ठहराए गए और रिहा किए गए अन्य लोग पेरारिवलन, रविचंद्रन और नलिनी भारतीय हैं. प्रतिबंधित लिट्टे की एक आत्मघाती हमलावर ने चुनावी सभा के दौरान राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को श्रीपेरंबुदूर के पास हत्या कर दी थी. हत्या के लिए श्रीलंका के तमिल अलगाववादी समूह लिट्टे को दोषी ठहराया गया था.
राजीव गांधी ने निभाई थी भारत-श्रीलंका शांति समझौते में अहम भूमिका
राजीव गांधी ने 1987 में भारत-श्रीलंका शांति समझौते में अहम भूमिका निभायी थी, जिससे श्रीलंका के संविधान में 13वें संशोधन के माध्यम से 9 श्रीलंकाई प्रांतों के लिए प्रांतीय परिषद प्रणाली तैयार हुई थी. भारत अब भी श्रीलंका में तमिल समस्या के समाधान के रूप में 13ए के पूर्ण कार्यान्वयन पर जोर दे रहा है.
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