राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को रिहा करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी कांग्रेस, जल्द दायर होगी याचिका
Rajiv Gandhi Assassination Case: पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और दिवंगत राजीव गांधी की पत्नी ने चार दोषियों की मौत की सजा को कम करने का समर्थन किया था.
Rajiv Gandhi Assassination: कांग्रेस (Congress) पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को रिहा करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court का दरवाजा खटखटाएगी. कांग्रेस की तरफ से जल्द पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी. कांग्रेस ने कहा है कि वह राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए एक नया समीक्षा आवेदन दायर करेगी. कांग्रेस ने राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के दस दिन बाद फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है. गौरतलब है कि कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाधी के हत्यारों की रिहाई को दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य करार दिया था.
इससे पहले तमिलनाडु की जेल से एक महिला सहित छह लोगों को रिहा किए जाने के बाद केंद्र ने भी शुक्रवार (19 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर आदेश की समीक्षा करने के लिए कहा था. केंद्र ने तर्क दिया कि पर्याप्त सुनवाई के बिना दोषियों की रिहाई को मंजूरी दे दी गई है, जिसके कारण नेचुरल न्याय के सिद्धांतों का साफ तौर पर उल्लंघन हुआ है. केंद्र सरकार ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़े अन्य पक्षों को सुने बिना ही दोषियों की समय पूर्व रिहाई का फैसला दे दिया.
सोनिया ने सजा कम करने का किया था समर्थन
गौरतलब है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और दिवंगत राजीव गांधी की पत्नी ने चार दोषियों की मौत की सजा को कम करने का समर्थन किया था. यही नहीं उनकी बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी राजीव गांधी की हत्या के एक आरोपी से मुलाकात की थी और उसे माफ कर दिया था. हालांकि, पार्टी नेतृत्व ने गांधी परिवार से असहमति जताई है और कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस ने कहा था कि पूर्व पीएम राजीव गांधी के बाकी हत्यारों को रिहा करने का फैसला पूरी तरह से अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत है.
कोर्ट ने इस आधार पर सुनाया रिहाई का फैसला
मई 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार के दौरान एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में सात लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई का फैसला सुनाते हुए कहा था कि कैदियों के अच्छे व्यवहार और मामले में दोषी ठहराए गए एक अन्य व्यक्ति एजी पेरारिवलन की मई में रिहाई के आधार पर ये फैसला लिया गया था. कोर्ट ने कहा था कि गिरफ्तारी के समय वह 19 साल का था और 30 से ज्यादा साल तक जेल में रहा था.
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