Rajiv Gandhi Assassination Case: सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे नलिनी और आरपी रविचंद्रन समेत छह आरोपियों को रिहा करने का निर्देश दिया था. 12 नवंबर 2022 को इन्हें जेल से रिहा कर दिया गया. रिहाई के बाद अब इनमें से एक दोषी आरपी रविचंद्रन का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि लोगों को उन्हें आतंकवादियों या हत्यारों के बजाय पीड़ितों के रूप में देखना चाहिए. समय उन्हें "निर्दोष" के रूप में देखेगा.


मदुरै सेंट्रल जेल से रिहा होने के रविचंद्रन ने कहा, "उत्तर भारत के लोगों को हमें आतंकवादियों या हत्यारों के बजाय पीड़ित के रूप में देखना चाहिए. समय और शक्ति निर्धारित करती है कि कौन आतंकवादी या स्वतंत्रता सेनानी है लेकिन, समय हमें निर्दोष के रूप में न्याय दिलाएगा. भले ही हम आतंकवादी होने के लिए दोषी हों."


नलिनी ने खटखटाया था SC का दरवाजा


इससे पहले राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन ने अपनी समय से पहले रिहाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. नलिनी ने मद्रास हाईकोर्ट के 17 जून के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने उनकी जल्द रिहाई के लिए याचिका खारिज कर दी थी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए सह-दोषी एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था. हालांकि, कोर्ट ने बीते शुक्रवार मामले में सुनवाई करते हुए रिहा करने का निर्देश दे दिया. 


राजीव गांधी हत्या मामला 


राजीव गांधी की 21 मई 1991 की रात को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा हत्या कर दी गई थी, जिसकी पहचान धनु के रूप में एक चुनावी रैली में हुई थी. मई 1999 के अपने आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथान और नलिनी की मौत की सजा को बरकरार रखा था. 2014 में सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था लेकिन, नलिनी की मौत की सजा को 2001 में इस आधार पर आजीवन कारावास में बदल दिया गया था कि क्योंकि उसकी एक बेटी है.


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