नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज 75वीं जयंती है. 40 वर्ष की उम्र में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव गांधी ने अपनी मां इंदिरा गांधी की हत्या किए जाने के बाद देश के प्रधानमंत्री की गद्दी संभाली थी. हाालंकि राजीव गांधी का अंत भी राजनीति में आने के बाद दुखद ही हुआ और 21 मई, 1991 की रात दस बज कर 21 मिनट पर तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में उनकी भी हत्या कर दी गई. आज उनकी 75वीं जयंती पर आइए जानते हैं देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री के बारे में.....
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 में मुंबई में हुआ. जब भारत को अंग्रेजी शासन की गुलामी से आजादी मिली तो उनकी उम्र महज तीन साल थी. देश आज़ाद हुआ और राजीव गांधी के नाना यानी जवाहर लाल नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने.
राजीव गांधी के पिता का नाम फिरोज गांधी और माता का नाम इंदिरा गांधी था. उनका बचपन दिल्ली के तीन मुर्ति भवन में बीता. उनकी शिक्षा की बात करें तो वे कुछ समय के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल गए लेकिन जल्द ही उन्हें हिमालय की तलहटी में स्थित आवासीय दून स्कूल में भेज दिया गया. वहां उनके कई मित्र बने जिनके साथ उनकी आजीवन दोस्ती बनी रही. बाद में उनके छोटे भाई संजय गांधी को भी इसी स्कूल में भेजा गया जहां दोनों साथ रहे.
स्कूली शिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद राजीव गांधी आगे की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए. जल्द ट्रिनिटी कॉलेज को उन्होंने अलविदा कह दिया और लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज चले गए जहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.
राजनीति में नहीं थी रुचि
राजीव गांधी की रुचि राजनीति में कभी नहीं रही. इंग्लैंड से घर लौटने के बाद उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब की प्रवेश परीक्षा पास की और पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया. जल्द ही वे घरेलू राष्ट्रीय जहाज कंपनी इंडियन एयरलाइंस के पायलट बन गए. राजनीति से इतर उनका जुनून हवाई जहाज उड़ाने का था.
सोनिया गांधी से मुलाकात और शादी
जिस वक्त राजीव गांधी कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर रहे है उसी वक्त उनकी मुलाकात सोनिया गांधी से हुई. सोनिया गांधी इतालवी मूल की छात्रा थीं और उस वक्त कैम्ब्रिज में अंग्रेजी की पढ़ाई कर रही थीं. दोनों ने एक दूसरे को पसंद किया और फिर बात परिवार तक पहुंची और फिर दोनों ने 1968 में शादी की. राजीव गांधी और सोनिया गांधी से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी उनके दो बच्चे हैं.
राजीव गांधी का राजनीति में आना
एक राजनीतिक परिवार में रहने और आस-पास राजनीतिक गतिविधियों की ऐसी हलचल देखने के बावजूद राजीव गांधी अपना निजी जीवन जीते रहे. उन्हें कभी राजनीति में दूर-दूर तक कोई दिलचस्पी नहीं रही. हालांकि वक्त को कुछ और ही मंजूर था. जब 1980 में संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हुई तो अचानक से राजीव गांधी के लिए भी परिस्थियां बदल गई. कांग्रेस के नेता और अन्य लोगों द्वारा उनपर राजनीति में प्रवेश करने और अपनी मां इंदिरा गांधी का सहयोग करने का दबाव बनने लगा. आखिरकार उन्हें राजनीति में आना पड़ा और संजय गांधी की मृत्यु से खाली हुए उत्तर प्रदेश के अमेठी संसदीय क्षेत्र से राजीव गांधी ने पहली बार उपचुनाव लड़ा. वह इस सीट से जीत गए और पहली बार संसद पहुंचे. 1981 में उन्हें युवा कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया गया.
राजीव गांधी को उस वक्त यह मालूम भी नहीं था कि आने वाला वक्त राजनीति में उनकी कैसी परीक्षा लेने वाला है. जब 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की क्रूर हत्या कर दी गई तो उनपर फिर बड़ी जिम्मेदारी आ गई. इंदिरा की मौत के कुछ घंटे बाद ही कांग्रेस की पूरी बागडोर राजीव गांधी के हाथों में सौंप दिया गया.
राजीव कांग्रेस अध्यक्ष और देश के प्रधानमंत्री बने. वह 40 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले सबसे कम उम्र के युवा प्रधानमंत्री थे. वे 31 अक्टूबर 1984 से 1 दिसंबर 1989 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे.
यह वक्त उनके लिए व्यक्तिगत रूप से काफी दुखद रहा लेकिन उन्होंने संतुलन, मर्यादा और संयम के साथ राष्ट्रीय जिम्मेदारी का अच्छे से निर्वहन किया.
राजीव गांधी किन चीजों के लिए याद रखे जाएंगे
1-राजीव गांधी ही थे, जिन्होंने भारत में दूरसंचार क्रांति लाई.आज जिस डिजिटल इंडिया की चर्चा है, उसकी संकल्पना राजीव गांधी अपने जमाने में कर चुके थे. उन्हें डिजिटल इंडिया का आर्किटेक्ट और सूचना तकनीक और दूरसंचार क्रांति का जनक कहा जाता है.
2-पहले देश में वोट देने की उम्र सीमा 21 वर्ष थी. मगर युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नजर में यह उम्र सीमा गलत थी. उन्होंने 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार देकर उन्हें देश के प्रति और जिम्मेदार तथा सशक्त बनाने की पहल की. 1989 में संविधान के 61 वें संशोधन के जरिए वोट देने की उम्रसीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई.
3-देश में पहले कंप्यूटर आम जन की पहुंच से दूर थे. मगर राजीव गांधी ने अपने मित्र सैम पित्रोदा के साथ मिलकर देश में कंप्यूटर क्रांति लाने की दिशा में काम किया. राजीव गांधी का मानना था कि विज्ञान और तकनीक की मदद के बिना उद्योगों का विकास नहीं हो सकता.उन्होंने कंप्यूटर तक आम जन की पहुंच को आसान बनाने के लिए कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने की पहल की. भारतीय रेलवे में टिकट जारी होने की कंप्यूटरीकृत व्यवस्था भी इन्हीं पहलों की देन रही.
4-पंचायतीराज से जुड़ी संस्थाएं मजबूती से विकास कार्य कर सकें, इस सोच के साथ राजीव गांधी ने देश में पंचायतीराज व्यवस्था को सशक्त किया. राजीव गांधी का मानना था कि जब तक पंचायती राज व्यवस्था सबल नहीं होगी, तब तक निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच सकता. उन्होंने अपने कार्यकाल में पंचायतीराज व्यवस्था का पूरा प्रस्ताव तैयार कराया. 21 मई 1991 को हुई हत्या के एक साल बाद राजीव गांधी की सोच को तब साकार किया गया, जब 1992 में 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायतीराज व्यवस्था का उदय हुआ.
5-मौजूदा समय देश में खुले 551 नवोदय विद्यालयों में 1.80 लाख से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. गांवों के बच्चों को भी उत्कृष्ट शिक्षा मिले, इस सोच के साथ राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली थी.