नई दिल्ली: 21 मई का दिन इतिहास में एक दर्दनाक घटना के लिए याद किया जाता है. आज ही के दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की लिट्टे उग्रवादियों ने जान ले ली थी. इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. आइए जानते हैं उस घटना के बारे में और साथ ही राजीव गांधी के बारे में भी...


राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 में मुंबई में हुआ. जब भारत को अंग्रेजी शासन की गुलामी से आजादी मिली तो इनकी उम्र महज तीन साल थी. देश आज़ाद हुआ और राजीव गांधी के नाना यानी जवाहर लाल नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने.



राजीव गांधी का बचपन तीन मुर्ति भवन में बीता. उनकी शिक्षा की बात करें तो वे कुछ समय के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल गए लेकिन जल्द ही उन्हें हिमालय की तलहटी में स्थित आवासीय दून स्कूल में भेज दिया गया. वहां उनके कई मित्र बने जिनके साथ उनकी आजीवन दोस्ती बनी रही. बाद में उनके छोटे भाई संजय गांधी को भी इसी स्कूल में भेजा गया जहां दोनों साथ पढ़े. स्कूली शिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद राजीव गांधी आगे की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए. जल्द ट्रिनिटी कॉलेज को उन्होंने अलविदा कह दिया और लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज चले गए जहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.


कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान हुई सोनिया गांधी से मुलाकात


राजीव गांधी कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर रहे थे उसी वक्त उनकी मुलाकात सोनिया गांधी से हुई. सोनिया गांधी इतालवी मूल की छात्रा थीं और उस वक्त कैम्ब्रिज में अंग्रेजी की पढ़ाई कर रही थीं. दोनों ने एक दूसरे को पसंद किया और फिर बात परिवार तक पहुंची. दोनों ने 1968 में शादी की. दोनों के बच्चों का नाम राहुल गांधी और प्रियंका गांधी है.



पायलट बनना चाहते थे


राजीव गांधी की रुचि राजनीति में कभी नहीं रही. वह तो पायलट बनना चाहते थे लेकिन, जब 1980 में संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हुई तो अचानक से राजीव गांधी के लिए भी परिस्थियां बदल गई. उन्हें राजनीति में आना पड़ा और संजय गांधी की मृत्यु से खाली हुए उत्तर प्रदेश के अमेठी संसदीय क्षेत्र से राजीव गांधी ने पहली बार उपचुनाव लड़ा. वह इस सीट से जीत गए और पहली बार संसद पहुंचे.


31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके निजी सुरक्षा कर्मियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ घंटो बाद ही राजीव को प्रधानमंत्री की शपथ दिलाई गई. इंदिरा गांधी की हत्या के ठीक दो महीने बाद यानि दिसंबर 1984 में लोकसभा चुनाव हुए और इस चुनाव में कांग्रेस ने 524 सीटों में से 415 सीटों पर जीत दर्ज की.



21 मई 1991 की रात हुई दर्दनाक मौत


राजीव गांधी 1984 से 1989 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. 21 मई 1991 की रात वह तमिलनाडु में चुनावी रैली को संबोधित करने पहुंचे तो मंच की ओर आती एक महिला आत्मघाती हमलावर ने उन्हें माला पहनाने की कोशिश की. जैसे ही महिला हमलावर ने उन्हें माला पहनाई और पैर छूने के लिए झुकी उसने अपने कमर पर बंधे बम का बटन दबा दिया. इस धमाके में राजीव गांधी की दर्दनाक मौत हो गई.


बतौर प्रधानमंत्री वो उपलब्धियां जिसके लिए आज भी याद किए जाते हैं


1-वोट करने की आयु सीमा घटाई


पहले देश में वोट करने की आयु सीमा 21 वर्ष थी, जो युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नजर में गलत थी. उन्होंने 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार देकर उन्हें देश के प्रति और जिम्मेदार व सशक्त बनाने की पहल की. 1989 में संविधान के 61वें संशोधन के जरिए वोट देने की आयु सीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई. इस प्रकार अब 18 वर्ष के करोड़ों युवा भी अपना सांसद, विधायक से लेकर अन्य निकायों के जनप्रतिनिधियों को चुन सकते हैं. यह अधिकार उन्हें राजीव गांधी ने ही दिलाया था.


2-कंप्यूटर क्रांति


राजीव गांधी का मानना था कि विज्ञान और तकनीक की मदद के बिना उद्योगों का विकास नहीं हो सकता. राजीव गांधी को भारत में कंप्यूटर क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने ना सिर्फ कंप्यूटर को भारत के घरों तक पहुंचाने का काम किया बल्कि भारत में इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को आगे ले जाने में अहम रोल निभाया. उन्होंने कुछ ऐसा किया कि कंप्यूटर आम लोगों तक पहुंच गया. उस दौर में कंप्यूटर लाना इतना आसान नहीं था. तब कंप्यूटर महंगे होते थे, इसलिए सरकार ने कंप्यूटर को अपने कंट्रोल से हटाकर पूरी तरह ऐसेंबल किए हुए कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया जिसमें मदरबोर्ड और प्रोसेसर थे. उन्होंने कंप्यूटर तक आम जन की पहुंच को आसान बनाने के लिए कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने की भी पहल की.


3- पंचायतीराज व्यवस्था की नींव


पंचायतीराज व्यवस्था की नींव रखने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है. दरअसल, राजीव गांधी का मानना था कि जब तक पंचायती राज व्यवस्था मजबूत नहीं होगी, तब तक निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच सकता. उन्होंने अपने कार्यकाल में पंचायतीराज व्यवस्था का पूरा प्रस्ताव तैयार कराया. 21 मई 1991 को हुई हत्या के एक साल बाद राजीव गांधी की सोच को तब साकार किया गया, जब 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायतीराज व्यवस्था का उदय हुआ. राजीव गांधी की सरकार की ओर से तैयार 64वें संविधान संशोधन विधेयक के आधार पर नरसिम्हा राव सरकार ने 73वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराया. 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई. इस व्यवस्था का मकसद सत्ता का विकेंद्रीकरण था.



4-नवोदय विद्यालयों की नींव


ग्रामीण और शहरी वर्गों में नवोदय विद्यालयों की नींव भी राजीव गांधी ने ही रखी. उनके कार्यकाल में ही जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली गई. ये आवासीय विद्यालय होते हैं. प्रवेश परीक्षा में सफल मेधावी बच्चों को इन स्कूलों में प्रवेश मिलता है. बच्चों को छह से 12वीं तक की मुफ्त शिक्षा और हॉस्टल में रहने की सुविधा मिलती है.


5-NPE की घोषणा


NPE की घोषणा भी राजीव गांधी ने ही की. राजीव गांधी की सरकार ने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति(NPE) की घोषणा की गई. इसके तहत पूरे देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था का आधुनिकीकरण और विस्तार हुआ.



6-दूरसंचार क्रांति


कम्प्यूटर क्रांति की तरह ही दूरसंचार क्रांति का श्रेय भी उन्हीं को जाता है. राजीव गांधी की पहल पर ही अगस्त 1984 में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना के लिए सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स(C-DOT) की स्थापना हुई. इस पहल से शहर से लेकर गांवों तक दूरसंचार का जाल बिछना शुरू हुआ. जगह-जगह पीसीओ खुलने लगे. जिससे गांव की जनता भी संचार के मामले में देश-दुनिया से जुड़ सकी. इसके बाद 1986 में राजीव की पहल से ही एमटीएनएल की स्थापना हुई, जिससे दूरसंचार क्षेत्र में और प्रगति हुई.