अयोध्या के राम मंदिर के उद्घाटन में कांग्रेस ने शामिल होने से मना कर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी समेत सभी पार्टी नेता रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में नहीं जाएंगे. उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया है. बुधवार को कांग्रेस ने जैसे ही अपना स्टैंड क्लीयर किया तो बीजेपी आक्रमण मोड में आ गई और कांग्रेस पर हिंदू विरोधी होने के आरोप लग रहे हैं. 1988 का एक किस्सा है, जब नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में सोनिया गांधी को प्रवेश की अनुमति नहीं मिली थी और फिर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने नेपाल के साथ रिश्ते तल्ख कर लिए थे.


उस वक्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे और उनके नेपाल के पूर्व राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम सिंह के साथ अच्छे रिश्ते थे. राजीव गांधी नेपाल दौरे पर थे और उनके साथ सोनिया गांधी भी गई थीं. गांधी परिवार पशुपतिनाथ मंदिर दर्शन के लिए जाना चाहता था, लेकिन सोनिया गांधी के ईसाई होने की वजह से उन्हें एंट्री नहीं मिली. इसके बाद राजीव गांधी ने नेपाल पर नाकाबंदी लगा दी, जिसे सोनिया गांधी को पशुपतिनाथ मंदिर में प्रवेश नहीं मिलने के बदले के तौर पर देखा गया.


क्या है सोनिया गांधी को पशुपतिनाथ मंदिर में प्रवेश न मिलने की कहानी
नवंबर, 1987 में दक्षेस शिखर सम्मेलन में शामिल होने बाद 1988 में राजीव गांधी फिर से नेपाल दौरे पर गए. इस दौरान सोनिया गांधी भी उनके साथ गई थीं और राजीव गांधी चाहते थे कि वह सपरिवार पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन के लिए जाएं. इसके लिए वह राजा बिक्रम सिंह से बात करने गए. दरअसल, पशुपतिनाथ मंदिर में हिंदुओं के अलावा किसी और धर्म के लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं है. भारत के जगन्नाथ पुरी मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर में भी ऐसी ही व्यवस्था है. इस वजह से राजावी गांधी राजा बिक्रम सिंह से सोनिया गांधी की मंदिर में सुरक्षित एंट्री का आश्वासन चाहते थे.


जब नेपाल के राजा भी नहीं कर सके थे राजीव गांधी की मदद
राजा बीरेंद्र बिक्रम सिंह इस मामले में राजीव गांधी की कोई मदद नहीं कर सके और इस मामले में पुजारियों को ऐसा आदेश देने में अपनी असमर्थता जताई. राजा बिक्रम सिंह की पत्नी और नेपाल की तत्कालीन महारानी ऐशवर्या का मंदिर के प्रबंधन में काफी दखल रहता था और उन्हें भी गैर-हिंदुओं के मंदिर में प्रवेश पर आपत्ति थी. ऐसा माना जाता है कि राजीव गांधी ने इस घटना को अपने अपमान के तौर पर लिया और वह मंदिर के दर्शन एवं पूजा किए बिना ही वापस लौट आए. 


इस घटना के कुछ समय बाद ही नेपाल पर नाकाबंदी लगा दी गई, जिसे मंदिर में सोनिया गांधी को प्रवेश नहीं मिलने पर बदले के तौर पर देखा गया. हालांकि, विश्लेषकों का ऐसा भी मानना है कि नाकाबंदी के पीछे का एक कारण नेपाल द्वारा चीन से विमानभेदी तोपों और अन्य हथियारों की खरीद भी था.


पुरी के जगन्नाथ में भी सोनिया गांधी को नहीं मिला था प्रवेश
उस समय नेपाल एकलौता हिंदू राष्ट्र था और पशुपतिनाथ मंदिर हिंदुओं का पवित्र तीर्थ है. एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि सोनिया गांधी ने उसी समय इंडियन सिटीजनशिप ली थी और वह पुरी के जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करना चाहती थीं, लेकिन पुरी के शंकराचार्य ने उन्हें अनुमति नहीं दी थी. पुरी के पीठ के शंकराचार्य के अंतर्गत नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर भी आता है तो उन्हें वहां भी अनुमति नहीं मिली. उन्होंने कहा कि नेपाल पर पाबंदी का फैसला इसी घटना से संबंधित है क्योंकि सरकार तो ऐसा साफ तौर पर कहेगी नहीं.


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