(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
नया नहीं है बड़ी संख्या में MPs के निलंबन का मसला, राजीव गांधी सरकार ने 1989 में एक दिन में सस्पेंड किए थे 63 सांसद
Parliament: संसद के दोनों सदनों से अब तक 143 MP निलंबित किए हैं. कांग्रेस व विपक्ष लगातार BJP सरकार पर हमलावर हैं. ऐसे में राजीव सरकार के समय सस्पेंड MPs के मामले की भी खूब चर्चा हो रही है.
Rajiv Gandhi Government Suspended 63 MPs: 31 अक्टूबर 1984 की सुबह जब इंदिरा गांधी एक इंटरव्यू के सिलसिले में अपने घर से साथ में ही 1 अकबर रोड पर स्थित अपने दफ्तर के लिए पैदल निकलीं तो सुबह 9.30 बजे उनके बॉडीगार्ड बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी. जिसके चलते देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपनी जान गंवानी पड़ी. इस निंदनीय घटना के 20 दिन बाद इंदिरा गांधी की हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमपी ठक्कर (M.P. Thakkar) की अध्यक्षता में एक इंक्वायरी कमीशन का गठन किया गया था, जिसे ठक्कर कमीशन भी कहा जाता है.
ये इंक्वायरी 4 साल तक चली और जब इस कमीशन की रिपोर्ट सामने आई तो इस रिपोर्ट में इंदिरा गांधी के स्पेशल असिस्टेंट आर के धवन (R.K Dhawan) को लेकर काफी चौंकाने वाले खुलासे किए गए थे जिसके चलते इस पूरी रिपोर्ट के 5 संस्करण में से सिर्फ 2 संस्करणों को ही संसद में पेश किया गया. वो समय मार्च, 1989 का था. इस रिपोर्ट के बाहर आते ही संसद में कोहराम मच गया और तत्कालीन राजीव गांधी सरकार बैकफुट पर आ गई थी, लेकिन आप सोच रहे होंगे कि आज हम आपको ये कहानी क्यों सुना रहे हैं?
ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार के शीतकालीन सत्र में लोकसभा और राज्यसभा के 141 सांसदों (Member of Parliament) को सस्पेंड किया जा चुका है. नई संसद में केंद्र सरकार ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है और वो रिकॉर्ड एक ही दिन में 78 विपक्षी सांसदों (Opposition MPs) को निलंबित (Suspension) किया जाना है. इस प्रकरण की देश भर में चर्चा हो रही है, लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि इससे पहले एक ही दिन में सबसे ज्यादा सांसदों को सस्पेंड करने का रिकॉर्ड मार्च, 1989 में बना था, जब 400 से भी ज्यादा सीटों के साथ सत्ता में बैठी राजीव गांधी सरकार ने 63 विपक्षी सांसदों को सस्पेंड कर दिया था, लेकिन उस वक्त ये सस्पेंशन हुआ क्यों था? इसी के तार उस ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट से जुड़े हैं.
बजट सत्र में उठी थी ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग
असल में इंदिरा गांधी की मौत के बाद ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक पार्टियों में काफी सस्पेंस बना हुआ था. राजनेताओं के बीच यह खबर फैल चुकी थी कि रिपोर्ट में काफी चौंकाने वाले खुलासे होंगे. इसके बाद संसद के बजट सत्र के दौरान 15 मार्च 1989 को जनता दल और बाकी विपक्षी दलों के सांसदों ने लोकसभा में ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग जोर शोर से उठाई.
एक हफ्ते के लिए सस्पेंड 63 सांसद अगले दिन किए गए बहाल
लोकसभा में राजीव गांधी सरकार को काफी विरोध का सामना करना पड़ा. इसके चलते 63 सांसदों को लोकसभा से सस्पेंड कर दिया गया. लेकिन उस सस्पेंशन में आज के सस्पेंशन के मुकाबले फर्क ये था कि इन 63 सांसदों को एक हफ्ते के लिए सस्पेंड किया गया था और अगले दिन माफी मांगने पर इनका सस्पेंशन वापस भी ले लिया गया था. जबकि इस बार ये सस्पेंशन पूरे सेशन के लिए किया गया है.
सस्पेंशन रिवोक होने के बाद ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को लेकर लोकसभा में विरोध जारी रहा. इस विरोध के दवाब के चलते राजीव गांधी सरकार ने 27 मार्च 1989 को कमीशन की रिपोर्ट के 2 संस्करणों को लोकसभा में पेश कर दिया, जिसके बाद इंदिरा गांधी की सिक्योरिटी को लेकर काफी विवादस्पद बातें भी बाहर आईं.
ठक्कर कमीशन की इस रिपोर्ट में आरके धवन से लेकर सुरक्षा सलाहकार राम नाथ राव, 1984 में दिल्ली पुलिस कमिश्नर रहे एस टंडन (S. Tandon) और खुफिया एजेंसी आईबी के ज्वाइंट डॉयरेक्टर एस. रामामूर्ति (S. Ramamurthy) पर अपनी ड्यूटी सही ढंग से न करने का आरोप लगाया गया. लेकिन 314 पन्नों की इस रिपोर्ट में 213 पेज तो सिर्फ आर के धवन पर ही उंगली उठा रहे थे.
सिक्योरिटी से हटाने वाले बॉडीगार्ड्स को धवन लेकर आए थे वापस
जस्टिस एमपी ठक्कर ने इस रिपोर्ट में आरोप लगाए कि इंदिरा गांधी को गोली मारने वाले बॉडीगार्ड्स सतवंत सिंह और बेअंत सिंह को जब इंदिरा गांधी की सिक्योरिटी से हटा दिया गया था तो धवन उन्हें दोबारा वापस लेकर आए. यही नहीं रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया था कि इंदिरा गांधी की हत्या को फैसिलिटेट करने के लिए धवन ने उनके इंटरव्यू का शेड्यूल भी बदला था, जिसके बाद धवन ने अपने ट्रैक्स को छुपाने के लिए अपॉइंटमेंट डायरी में इंटरव्यू के वक्त में छेड़छाड़ भी की.
धवन पर लगे थे बेअंत सिंह से नजदीकी होने के आरोप
ठक्कर ने अपनी रिपोर्ट में धवन पर बेअंत सिंह से नजदीकी होने का भी आरोप लगाया जिसके लिए उन्होंने बेअंत की पत्नी विमल कौर खालसा (Bimal Kaur Khalsa) और पुलिस वालों के बयान को आधार बनाया. साथ ही इंदिरा के हत्यारे सतवंत सिंह के बयान की भी बात की जिसमें वो कहता है कि बेअंत ने उसे कहा था कि ध्यान रखना आर के धवन को कोई गोली न लगे. इसके साथ ही ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट में इस बात पर भी उंगली उठाई गई कि इंदिरा गांधी को गोली लगने के बाद धवन तुरंत उनकी सहायता के लिए नहीं आए.
इंदिरा की सिक्योरिटी से जुड़ी आईबी रिपोर्ट को छुपाने के भी आरोप
जस्टिस ठक्कर ने इंदिरा की मौत से पहले की घटनाओं का भी इस रिपोर्ट में हवाला दिया कि धवन ने इंदिरा से उनकी सिक्योरिटी से जुड़ी इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट को छुपाया और धवन पर CIA के लिए जासूसी करने के भी आरोप लगाए. लेकिन इन सब आरोपों के बाद ये सवाल उठना लाज़मी है कि धवन जिनका पूरा राजनीतिक करियर इंदिरा गांधी के इर्द गिर्द ही घूमता था वो इंदिरा की हत्या की साजिश क्यों करेंगे?
एनटी रामा राव सरकार के तख्तापलट में धवन की भूमिका
इस सवाल का जवाब ठक्कर अपनी रिपोर्ट में देते हैं कि हत्या के 2 महीने पहले ही एन टी रामा राव (N.T. Rama Rao) सरकार के तख्तापलट में धवन के रोल की वजह से उन्हें फटकार लगाई थी और इंदिरा गांधी धवन की जगह किसी और को लाने पर भी विचार कर रही थीं जिसके चलते धवन ने ये साजिश रची. लेकिन क्या ये वजह पर्याप्त थी? इसका जवाब ठक्कर के पास नहीं था. खैर इस रिपोर्ट के बाहर आते ही राजीव गांधी सरकार को कई आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा क्योंकि आरके धवन उस वक्त तक राजीव गांधी की टीम का हिस्सा थे और बाद में उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया गया.
हालांकि, राजीव गांधी सरकार ने संसद में ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट में धवन पर लगाए गए आरोपों का भी जवाब दिया. गृह मंत्रालय ने पार्लियामेंट को बताया कि इस रिपोर्ट के बाद एसआईटी (SIT) की तरफ से जो जांच पड़ताल की उसमें इंदिरा की हत्या में धवन का कोई हाथ नजर नहीं आता. सरकार ने 50 पेजों की रिपोर्ट को संसद में पेश नहीं किया. लेकिन इस रिपोर्ट में ठक्कर के एक-एक सवाल का जवाब दिया गया था.
इंदिरा गांधी और बेअंत सिंह का ब्लड ग्रुप था 'O' निगेटिव
मसलन, बेअंत सिंह को इंदिरा गांधी की ड्यूटी में इसलिए रखा गया था क्योंकि इंदिरा का ब्लड ग्रुप O Rh negative था और बेअंत सिंह का ब्लड ग्रुप भी वही था और रूल के मुताबिक इंदिरा से मिलते ब्लड ग्रुप का एक गार्ड उनके साथ रहना चाहिए. SIT रिपोर्ट में ये बताया गया कि बेअंत सिंह सिख गार्ड्स को वापस नहीं लाए थे बल्कि इंदिरा गांधी खुद वापस लेकर आई थीं. इस बारे में उन्होंने कई डेलिगेशंस के सामने भी यह बात कही थी सिख गार्ड उनकी रक्षा करते हैं. रही बात इंटरव्यू की टाइमिंग को बदलने की तो SIT कि रिपोर्ट में जवाब दिया गया कि सतवंत सिंह और बेअंत सिंह की ड्यूटी सुबह 7 बजे से 1.30 बजे तक थी ऐसे में इंटरव्यू की टाइमिंग में बदलाव करने से भी कुछ बदलने वाला नहीं था. इस सब के बाद आर के धवन को क्लीन चिट दे दी गई.
कांग्रेस के एमपी सस्पेंशन के रिकॉर्ड को बीजेपी ने तोड़ा
यह पूरा मामला इंदिरा गांधी की हत्या की जांच से जुड़ा था जिसकी वजह से 1989 में 63 सांसदों को कांग्रेस की ओर से सस्पेंड किया गया था जिसकी मिसाल बीजेपी सरकार में पहले भी दी जा चुकी हैं. 2015 में भी जब कांग्रेस के नेता 25 सांसदों को सस्पेंड करने के मामले में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तब संसदीय मामलों के मंत्री वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) ने कांग्रेस के नेताओं को इसी 1989 की घटना की याद दिलाई थी और कहा था कि अगर कांग्रेस 25 सांसदों के निलंबन को लोकतंत्र के लिए काला दिन (black day for democracy) बताती है तो उन्हें याद रखना चाहिए कि सबसे ज्यादा सांसदों को सस्पेंड करने का बेंचमार्क भी कांग्रेस पार्टी ने ही सेट किया था. लेकिन अब बीजेपी ने वो रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है और अब जब कांग्रेस प्रोटेस्ट करेगी तो बीजेपी के पास वेंकैया नायडू जैसा जवाब भी नहीं होगा...
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