मास्को में चीन के रक्षा मंत्री से नहीं मिलेंगे राजनाथ सिंह, रूस की विक्टरी डे परेड में दोनों देशों के रक्षा मंत्री की रहेगी मौजूदगी
रक्षा मंत्रालय ने ग्लोबल टाइम्स की 'मिलने की संभावना' वाली खबर को खारिज़ कर दिया है. द्वितीय विश्वयुद्ध में मिली निर्णायक विजय की 75वीं वर्षगांठ पर बुधवार को मास्को में विक्टरी डे परेड है. इस मौके पर भारत और चीन के रक्षा मंत्री हिस्सा लेने पहुंचे हैं.
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नई दिल्लीः रूस के अपने दौरे के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीनी समकक्ष से नहीं मिलेंगे. इस बावत रक्षा मंत्रालय ने साफ किया कि राजनाथ सिंह मास्को में चीन के रक्षा मंत्री विई फेंग्हे से मुलाकात नहीं करेंगे. भारत और चीन के रक्षा मंत्री बुधवार को मास्को में होने वाली विक्टरी-डे परेड में हिस्सा लेने के लिए रूस की यात्रा पर हैं.
दरअसल, मंगलवार को चीनी सरकार के मुखपत्र, ग्लोबल टाइम्स ने खबर दी थी कि दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के मास्को में मिलने की संभावना है. लेकिन दिल्ली स्थित रक्षा मंत्रालय ने साफ तौर से मना कर दिया कि राजनाथ सिंह मास्को दौरे के दौरान चीनी समकक्ष से नहीं मिलेंगे.
आपको बता दें कि पिछले 50 दिनों से भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर टकराव की स्थिति बनी हुई है. पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक संघर्ष हो चुका है, जिसमें भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं. इस झड़प में चीन को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. उसके बाद से ही भारत और चीन की सेनाएं एलएसी पर आमने सामने हैं.
हालांकि, सोमवार को भारत और चीन के कोर कमांडर्स की बैठक के बाद दोनों देश डिसइंगेजमेंट के लिए तैयार हे गए हैं लेकिन तनाव अभी भी बरकरार है.
इस बीच मास्को की यात्रा पर गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस के उप-प्रधानमंत्री से हुई मीटिंग के बाद कहा कि 'अपनी यात्रा से संतुष्ट है' क्योंकि रूस ने भारत के सभी 'प्रस्ताव मान लिए हैं.' माना जा रहा है कि रूस ने भारत को जल्द एस-400 मिसाइल डिलवरी करने का भरोसा दिया है. इसके अलावा जिन रूसी हथियार, फाइटर जेट्स और दूसरे साजो सामान का भारत इस्तेमाल करता है उनके स्पेयर पार्ट्स के लिए भी रूस जल्द देने को तैयार हो गया है.
बुधवार को द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी पर अपनी निर्णायक विजय की 75वीं वर्षगांठ पर रूस ने राजधानी मास्को में एक भव्य सैन्य परेड का आयोजन किया है. इस परेड में रूस सहित दुनियाभर की करीब एक दर्जन देशों की सैन्य टुकड़ियां हिस्सा ले रही हैं. भारत और चीन के भी सैन्य दल इस परेड का हिस्सा हैं. यही वजह है कि भारत और चीन के रक्षा मंत्री इस परेड में अतिथि के तौर पर वहां मौजूद होंगे.
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