Rajnath Singh Birthday: यूपी के सीएम रहे राजनाथ सिंह कहलाने लगे थे 'घोषणानाथ', एक भविष्यवाणी ने बदल थी किस्मत
Rajnath Singh: केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह राजनीति में करीब 5 दशक का अनुभव रखते हैं. वह यूपी के सीएम, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कई बार केंद्र में मंत्री बने हैं. जन्मदिन पर पढ़ें उनकी कहानी.
Rajnath Singh Birthday Special: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का 10 जुलाई को जन्मदिन होता है. 10 जुलाई 2023 को उनकी उम्र 72 साल हो गई है. 1974 में वह राजनीति के अखाड़े में उतरे थे. इस तरह राजनीति में उनका करीब 50 साल का अनुभव है.
विधायक, लोकसभा सांसद, राज्यसभा सांसद, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, बीजेपी अध्यक्ष, केंद्र में कई बार मंत्री पद संभालने वाले राजनाथ सिंह वर्तमान में देश के रक्षा मंत्री हैं. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में 30 मई 2019 को वह रक्षा मंत्री बनाए गए थे.
अपने अलग अंदाज और जीवनशैली के कारण राजनाथ सिंह को राजनीति में एक दिग्गज के तौर पर ख्याति प्राप्त है. 13 वर्ष की उम्र और 1964 से वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं. 1972 में उन्हें मिर्जापुर का शाखा कार्यवाह बनाया गया था. इससे पहले 1969 से 1971 तक वह आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद गोरखपुर के संगठनात्मक सचिव रहे थे.
राजनाथ सिंह को लेकर की गई भविष्यवाणी हुई सच
1974 में राजनाथ सिंह को बीजेपी के पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ की मिर्जापुर इकाई का सचिव नियुक्त किया गया था. 1975 में 24 वर्ष की उम्र में वह जनसंघ के जिलाध्यक्ष बने थे. उन वर्षों के दौरान राजनाथ सिंह 1970 के जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से प्रभावित थे.
1975 में देश में इमरजेंसी लगी थी. इमरजेंसी में राजनाथ सिंह ने यूपी की एक जेल में थे. उस दौरान का एक किस्सा बड़ा मशहूर है. वर्ष 1976 था. इमरजेंसी के दौरान आरएसएस के एक और बड़े नेता राम प्रकाश गुप्त भी राजनाथ सिंह के साथ जेल में थे. एक दिन उन्होंने राजनाथ सिंह के हाथ की लकीरें देखकर भविष्यवाणी की.
उन्होंने कहा कि तुम एक दिन बहुत बड़े नेता बनोगे. कितने बड़े नेता बनेंगे पूछने पर जवाब मिला यूपी के सीएम जितना बड़ा. नियती कुछ ऐसी निकली कि जिन्होंने भविष्यवाणी की थी, उन्हीं राम प्रकाश गुप्त को 28 अक्टूबर 2000 को यूपी के सीएम पद से हटाकर राजनाथ सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया था. 8 मार्च 2002 तक करीब दो साल राजनाथ सिंह यूपी के सीएम रहे थे.
विरोधी कहने लगे 'घोषणानाथ'
यूपी का मुख्यमंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह ने कई घोषणाएं और वादे किए. उन्होंने अति पिछड़ों के कल्याण के लिए भी घोषणाएं कीं. 2002 का उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव राजनाथ सिंह के नेतृत्व में लड़ा गया लेकिन बीजेपी हार गई. तब राजनाथ सिंह की घोषणाओं और वादों का कोई औचित्य नहीं रहा. वे धरे के धरे रह गए. उस दौरान उनके विरोधी उन्हें 'घोषणानाथ' कहकर बुलाने लगे थे.
किसान परिवार में हुआ था जन्म, कॉलेज में रहे लेक्चरर
राजनाथ सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले (तब वाराणसी) की चकिया तहसील के गांव बभौरा में एक राजपूत परिवार में हुआ था, जो खेती-किसानी से जुड़ा था. उनके पिता का नाम रामबदन सिंह और माता का नाम गुजराती देवी है. उनके एक भाई हैं, जिनका नाम जयपाल सिंह हैं.
राजनाथ सिंह की प्राथमिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से हुई और गोरखपुर विश्वविद्यालय से उन्होंने फिजिक्स में मास्टर डिग्री हासिल की. राजनीति में सक्रिय होने से पहले वह कॉलेज के लेक्चरर रहे हैं.
मिर्जापुर के केबी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में वह फिजिक्स के लेक्चरर रहे. राजनाथ सिंह की पत्नी का नाम सावित्री सिंह है. उनके दो बेटे और एक बेटी है. उनके एक बेटे पंकज सिंह वर्तमान में नोएडा से विधायक हैं और उत्तर प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं.
चुनावी राजनीति में एंट्री
इमरजेंसी में जेल गए राजनाथ सिंह के वहां से निकलने के बाद उन्होंने जयप्रकाश नारायण की ओर से शुरू की गई जनता पार्टी ज्वाइन की और 1977 में मिर्जापुर से विधानसभा का चुनाव लड़ा. उन्हें जीत मिली और पहली बार वह मिर्जापुर से विधायक बने. 1980 में वह बीजेपी में शामिल हुए.
1984 में वह बीजेपी के युवा मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष, 1986 में राष्ट्रीय महासचिव और 1988 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए भी चुने गए.
राजनीति में राजनाथ सिंह
वर्तमान में लोकसभा में सदन के उपनेता राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री से पहले देश के गृह मंत्री थे. वह दो बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री और फिर कृषि मंत्री रहे.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वह देश के गृह मंत्री रहे हैं. दो बार वह यूपी की हैदरगढ़ विधानसभा सीट से विधायक रहे. 2009 में वह गाजियाबाद और 2014 और 2019 में लखनऊ से लोकसभा सांसद चुने गए. 1994 से 2001 और फिर 2002 से 2008 तक वह राज्यसभा सांसद भी रहे हैं.