नई दिल्ली: रक्षाक्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों ने आज एक बड़ी कामयाबी हासिल की है. डीआरडीओ ने सफलतापूर्वक ने एचएसटीडीवी यानी हाइपर टेक्नॉलिटी डेमॉन्सट्रेटर व्हीकल का परीक्षण किया है. इस परीक्षण के साथ ही भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा ऐसा देश बन गया जिसके पास यह तकनीक है.डीआरडीओ ने यह परीक्षण  ओडिशा तट के पास डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप से किया.


रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज इसकी जानकारी साझा करते हुए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि डीआरडीओ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में जुटा है.



रक्षामंत्री राजनाथ ने ट्वीट कर कहा, 'डीआरडीओ ने आज स्वदेशी रूप से विकसित स्क्रैमजेट प्रोपल्शन सिस्टम का उपयोग कर हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. इस सफलता के साथ, सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां अब अगले चरण की प्रगति के लिए स्थापित हो गई हैं.''


उन्होंने आगे लिखा, ''मैं डीआरडीओ को इस महान उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं जो पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में है. मैंने परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों से बात की और उन्हें इस महान उपलब्धि पर बधाई दी. भारत को उन पर गर्व है.''


क्यों खास है हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल?
इस तकनीक का सबसे पहला परीक्षण भारत ने 2019 में भी किया था. हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने और काफी कम खर्च में सैटेलाइन लॉन्च करने में इस तकनीक का इस्तमाल किया जाएगा. एचएसटीडीवी के परीक्षण का समय मात्र 20 सेकेंड था. इसकी रफ्तार 12,251 किलोमीटर थी. इस तकनीक के बाद उम्मीद बढ़ गयी है कि भारत के पास जल्द ही 12 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से मार करने वाले मिसाइल और विमान होंगे.


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