सूरत: देश की रक्षा के लिए एक और खास हथियार सेना की ताकत बन गया है. इसका नाम K-9 वज्र तोप है. गणतंत्र दिवस से ठीक पहले गुजरात के सूरत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस तोप को हरी झंडी दिखाई है. K-9 वज्र तोप दुश्मन को पलक झपकते धूल चटा सकती है. ये एक ऐसी तोप है जो टारगेट को धवस्त करने के बाद अपनी लोकेशन भी बदल सकती है, इसलिए इसपर पलटवार करना बेहद मुश्किल है.


51 वज्र तोपों की खेप तैयार 

सूरत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मेन इन इंडिया के तहत भारत में ही तैयार की गई इस साउथ कोरियन तोप को हरी झंडी दिखाकर सेना में शामिल किया. भारतीय सेना ने लार्सन एंड टूब्रो कंपनी को 100 K-9 वज्र तोप बनाने का ऑर्डर दिया था, जिसमें से 51 वज्र तोपों की खेप तैयार है. तोप पर रक्षा मंत्री ने तिलक लगाया और कुमकुम से स्वास्तिक का निशान बनाया. पूजा के दौरान उन्होंने तोप पर फूल भी चढ़ाए और नारियल फोड़ा.



राफेल की तरह वज्र तोप की भी हुई पूजा

कुछ इसी तरह फ्रांस में रक्षामंत्री राजनाथ ने राफेल को भी हरी झंडी दिखाई थी. जब राफेल पर स्वास्तिक का निशान बनाकर उसका अनावरण किया था. फ्लैगशिप सेरेमनी के दौरान रक्षामंत्री ने खुद इस तोप पर बैठकर इस हथियार का निरीक्षण किया. इस तोप को रक्षामंत्री ने चलाकर भी देखा. मई 2018 में पहली बार ये तोप भारत आई थी तो पीएम मोदी भी इसमें सवार हुए थे.

K9 वज्र की खासियत

इस तोप का वजन 50 टन है. जिसमें 100 हॉर्स पावर का इंजन लगाया गया है. ये तोप ऑटोमेटिक है यानि गोले खुद ही बैरल में लोड हो जाते हैं. ये तोप 40 से 52 किलोमीटर तक अचूक निशाना लगाने के लिए मशहूर है. K-9 वज्र सिर्फ 15 सेकेंड में तीन गोले सकती है. K-9 वज्र तोप एक बार इंधन लेकर चले तो ये 480 किलोमीटर तक दुश्मन के इलाके को घुस सकती है.

खास बात ये है कि भारत में इस कोरियन तोप में लगे आधे से ज्यादा पार्ट्स स्वदेशी हैं. इन तोपों को पश्चिम सीमा यानि गुजरात, राजस्थान, पंजाब और जम्मू तक तैनात करने की योजना है. इसे थल सेना के लिए गेम चेंजर माना जा रहा है.

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