Rajnath Singh in Karwar: अंडर वॉटर ऑपरेशनल तैयारियों को देखेंगे राजनाथ सिंह, पनडुब्बी में नौसैनिकों से भी करेंगे मुलाकात
प्रोजेक्ट सी-बर्ड नौसेना का बहुप्रतीक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान है जिसके तहत कारवार में नौसेना का एक बड़ा नेवल बेस बनाया जा रहा है. बनने के बाद ये एशिया का सबसे बड़ा नेवल बेस बन जाएगा.
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Indian Navy Submarine Base: भारतीय नौसेना (Indian Navy) के सामरिक बेस, कारवार के दो दिवसीय दौरे के आखिरी दिन शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) पूरा दिन एक पनडुब्बी में बिताएंगे. इस दौरान वे भारतीय नौसेना की अंडर-वाटर ऑपरेशन (Underwater Operational) तैयारियों का जायजा तो लेंगे ही साथ ही सबमरीन में तैनात नौसैनिकों से भी मुलाकात करेंगे. रक्षा मंत्री बनने के बाद ये पहली बार है कि राजनाथ सिंह पनडुब्बी (submarine) में सवार होंगे.
इससे पहले गुरुवार की शाम को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कारवार पहुंचे और कर्नाटक नेवल एरिया में तैनात नौसैनिकों से मुलाकात की. इसके अलावा रक्षा मंत्री ने कारवार में प्रोजेक्ट सी-बर्ड की तैयारियों का जायजा लिया. प्रोजेक्ट सी-बर्ड नौसेना का बहुप्रतीक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान है जिसके तहत कारवार में नौसेना का एक बड़ा नेवल बेस बनाया जा रहा है. बनने के बाद ये एशिया का सबसे बड़ा नेवल बेस बन जाएगा.
कहां है भारतीय नौसेना का स्ट्रेटेजिक बेस ?
इसके तहत एक साथ कई युद्धपोत तो यहां तैनात किए ही जा सकेंगे, इसके अलावा मिसाइल बेस का भी निर्माण किया जा रहा है. पिछले कई सालों से इसका निर्माण कार्य चल रहा है. माना जा रहा है कि निकट भविष्य में कारवार में नौसेना की मेरीटाइम थियेटर का कमान कारवार में ही होगा. गोवा के करीब कर्नाटक में नौसेना का स्ट्रेटेजिक बेस है. मेरीटाइम थियेटर कमान (एमीटीसी) के अंतर्गत देश की 7500 किलोमीटर लंबी समुद्री-सीमाओं की सुरक्षा तो होगी ही साथ ही नौसेना की सभी ऑपरेशनल जिम्मेदारी इस इंटीग्रेटेड कमान की होगी.
क्या होगी जिम्मेदारी ?
इसके तहत हिंद महासागर के करीब 7 करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की सुरक्षा और ऑपेरशन्स की जिम्मेदारी एमटीसी की होगी. इन ऑपेरशन्स में दुश्मन देशों के युद्धपोत और पनडुब्बियां की निगरानी उनसे होने वाले किसी खतरे का मुंहतोड़ जवाब देना, एंटी-पायरेसी पेट्रोलिंग, सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन्स, एचएडीआर ऑपरेशन्स यानी ह्यूमैनेटेरियन असिस्टेंट एंड डिजास्टर रिलीफ भी इसी कमान की प्रमुख जिम्मेदारी होगी.
माना जा रहा है कि हिंद महासागर के परे जितने भी समंदर हैं वहां भारतीय नौसेना की मौजूदगी और कोर्डिनेटेड-पेट्रोलिंग (दूसरे देशों की नौसेनाओं के साथ समुद्री-गश्त) की जिम्मेदारी भी एमटीसी की ही होगी. यही वजह है कि कारवार में प्रोजेक्ट सी-बर्ड के तहत बुनियादी ढांचे को बेहद मजबूत बनाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट की समीक्षा रक्षा मंत्री के दौरे का अहम हिस्सा है.
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