China की सीमा के पास बने पुलों और सड़कों का हुआ उद्घाटन, Doklam Dispute के बाद भारत ने जाल बिछाना कर दिया था शुरू
Defence Minister Rajnath Singh Inaugurated Bridges And Roads: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमावर्ती इलाकों में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा तैयार किए गए 24 पुलों का उद्घाटन किया.
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Defence Minister Rajnath Singh Inaugurated Bridges And Roads: डोकलाम विवाद (Doklam dispute) को भले ही चार साल हो चुके हैं, लेकिन सिक्किम से सटे विवादित इलाके में भारत भी अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जुटा है, क्योंकि डोकलाम से सटे भूटान (Bhutan) में चीन अपने नए गांव से लेकर सैन्य तैयारियों को मजबूत करने में जुटा है. यही वजह है कि मंगलवार को भारत ने पूर्वी सिक्किम में डोकला रोड (Dokla Road) पर एक नया ब्रिज तैयार किया है, जिस पर टैंक भी आसानी से दौड़ सकते हैं. फ्लैग हिल-डोकला रोड पर बना ये स्वदेशी पुल बीआरओ (BRO) के उन 24 ब्रिज में शामिल है, जिनका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने किया है.
मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने एक ई-उद्घाटन समारोह में सीमावर्ती इलाकों में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) द्वारा तैयार किए गए जिन 24 पुलों का उद्घाटन किया, उनमें से 16 चीन सीमा से सटे इलाकों में है. इनमें से दो पुल पूर्वी लद्दाख की डीएसडीबीओ रोड और एक पूर्वी सिक्किम में डोकलाम के करीब है. डोकलाम में भारत और चीन की सेनाओं में 73 दिन लंबा सीमा विवाद चला था, तो पूर्वी लद्दाख में भी पिछले डेढ़ साल से तनातनी चल रही है.
क्लास- 70 ब्रिज 11,000 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया- रक्षा मंत्री
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया, "फ्लैग हिल डोकला रोड वाले ब्रिज के बारे में मुझे बताया गया कि 140 फीट डबल लेन वाला यह मॉड्यूलर क्लास- 70 ब्रिज 11,000 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है." रक्षा मंत्री ने कहा, "पहले इस तरह के मॉड्यूलर ब्रिज बनाने के लिए भारत को दूसरे देशों से मदद लेनी पड़ती थी. इसके अलग-अलग हिस्से बाहर से आयात करने पड़ते थे, पर आज हम इसके निर्माण में आत्मनिर्भर हो चुके हैं. बीआरओ ने इस ब्रिज को जीआरएसई कंपनी के साथ मिलकर तैयार किया है. क्लास-70 ब्रिज पर टैंक और बीपीएम व्हीकल आसानी से पार कराए जा सकते हैं."
भारत ने सिक्किम में सड़क-पुलों का जाल बिछाना किया था शुरू
बता दें कि डोकलाम विवाद (Doklam dispute) के बाद से ही भारत ने सिक्किम में सड़क और पुलों का जाल बिछाना शुरू कर दिया था. विवादित डोकलाम इलाके तक पहुंचने के लिए बीआरओ ने तीन नई सड़कों का निर्माण शुरू किया था. ये सड़क सिक्किम की राजधानी गंगटोक से नाथूला बॉर्डर तक जाने वाले हाईवे के करीब बाबा हरभजन मंदिर से सटे कूपूप से सीधे डोकला पास (दर्रे) तक जाती है. डोकलम विवाद से पहले ये एक कच्चा ट्रैक था. सैनिक, कूपूप से डोकलाम पहुंचने के लिए पैदल या फिर खच्चर का सहारा लेते थे. यहां से डोकाला पास पहुंचने में चार से पांच घंटे लगते थे, लेकिन अब यहां पक्की सड़क बन गई है, जो भीमबेस से होकर गुजरती है और गाड़ी से मात्र 40 मिनट में सैनिक डोकलाम प्लैट्यू तक पहुंच सकते हैं. कोलतार से बनी इस सड़क पर टैंक भी दौड़ सकते हैं.
पूर्वी सिक्किम के फ्लैग-हिल से एक और नई सड़क बनाई गई है
कूपूप-भीमबेस एक्सेस के अलावा बीआरओ ने पूर्वी सिक्किम के फ्लैग-हिल से भी एक और नई सड़क बनाई है, जो डोकला दर्रे तक पहुंचती है. करीब 38 किलोमीटर लंबी इस स्ट्रेटेजिक रोड पर काफी काम पूरा हो चुका है और मंगलवार को उद्घाटन किए गए ब्रिज के साथ ही ये इस सड़क पर आवाजाही शुरू हो सकेगी.
अब भारतीय सैनिकों डोकलाम पहुंचने में लगते हैं 40 मिनट
इसके अलावा पश्चिम बंगाल और सिक्किम की सीमा से सटे ज़ुलुक एक्सेस पर भी बीआरओ ने काम शुरू कर दिया है. ये सड़क ऐसे समय में काम आएगी, जब सिलीगुड़ी से गंगटोक जाने वाली सड़क बारिश या फिर लैंडस्लाइड के चलते बंद हो जाएगी. करीब 87 किलोमीटर लंबी ये सड़क रिशी और रोंगली से होते हुए कूपूप पहुंचेगी. इस सड़क को डबल लेन बनाया जा रहा है. अब भारतीय सैनिकों को डोकलाम पहुंचने में महज 40 मिनट लगते हैं, जबकि पहले डोकलाम पहुंचने में 4-5 घंटे लगते थे, वो भी पैदल या फिर खच्चर पर.
चीन ने चुंबी वैली से होकर डोकलाम में सड़क बनाने की कोशिश की थी
बता दें कि भारतीय सेना के लिए 13 हजार फीट की ऊंचाई पर डोकला दर्रा ही डोकलाम प्लैट्यू (पठार) तक पहुंचने का रास्ता है. करीब चार साल पहले यानी 16 जून 2017 को चीन ने चुंबी वैली से होकर एक सड़क डोकलाम में बनाने की कोशिश की थी. चीन का मकसद इस सड़क को भूटान की जाम्फेरी रिज तक बनाने की थी, ताकि भारत के बेहद ही संवदेनशील सिलीगुड़ी कोरिडोर पर चीन निगरानी रख सके, लेकिन डोकला दर्रे पर तैनात भारतीय सैनिकों ने चीन की इस सड़क को तोरसा नाला से आगे बढ़ने पर एतराज जताया था, जिसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच 72 दिन लंबा फेसऑफ चला था. चीन की सेना आखिरकार पीछे हट गई थी और सड़क भी नहीं बनाई थी. डोकलाम के लिए भारतीय सेना ने बाकयदा एक ऑपरेशन छेड़ा था, जिसका कोडनेम ज्यूनिपर था.
भारतीय सेना को डोकलाम तक पहुंचने में आई थीं दिक्कतें
हालांकि, डोकलाम में (सैनिकों के ) मोबिलाइजेशन के दौरान भारतीय सेना को डोकलाम तक पहुंचने में भारी दिक्कत आई थी. इसलिए फेसऑफ खत्म होने के बाद भारत ने डोकला दर्रे तक पहुंचने के लिए तीन नई सड़क बनाने की जिम्मेदारी बीआरओ को सौंपी थी. इनमें से एक रोड, पूर्वी लद्दाख से सटे डेमचोक में है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 24 ब्रिज राष्ट्र को समर्पित किए
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को जिन 24 ब्रिज को राष्ट्र को समर्पित किए, उनमें 05 केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में, 09 केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में, 03 उत्तराखंड में, 05 हिमाचल प्रदेश में और 01 अरुणाचल प्रदेश में शामिल है. राजनाथ सिंह ने तीन सीमावर्ती सड़कों का भी इस दौरान उद्घाटन किया.
स्थानीय लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में होगा सुधार
इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें न केवल सामरिक जरूरतों के लिए होती हैं, बल्कि राष्ट्र के विकास में दूरदराज के क्षेत्रों की भी बराबर भागीदारी सुनिश्चित करती हैं. इस तरह ये पुल, सड़कें और सुरंगें हमारी सुरक्षा और संपूर्ण राष्ट्र को सशक्त करने में अपनी अहम भूमिका निभाती हैं. इस सड़क से न केवल इस क्षेत्र में सशस्त्र बलों को तेजी से भेजा जा सकेगा, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. इन सीमावर्ती सड़कों पर बीआरओ ने पर्यटकों के लिए 75 कैफे भी शुरू किए हैं. रक्षा मंत्री के मुताबिक, पिछले 6-7 वर्षों के दौरान बीआरओ के बजट में 3 से 4 गुना की बढ़ोतरी होना कोई मामूली बात नहीं है.
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