Defense Sector में प्राईवेट कंपनियों को बढ़ावा देने की तरफ अग्रसर होते हुए मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने पुणे (pune) में भारत-फोर्ज (Bharat Forge) कंपनी की स्वदेशी तोप को दुनिया के सामने पेश किया. 155X39 एमएम मल्टी-टेरेन आर्टिलरी गन यानि 'एमआरजी 155-बीआर' को दुनिया की पहली ऐसी तोप माना जा रहा है जो किसी ट्रक पर 'माउंट' है. सोमवार को ही रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने संसद में बताया था कि पिछले पांच सालों में रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों को कुल 194 औद्योगिक लाइसेंस जारी किए गए हैं.
भारत-फोर्ज कंपनी ने एक आधिकारिक बयान और रक्षा मंत्री की एमआरजी-155 बीआर तोप के साथ तस्वीरें जारी करते हुए बताया कि करीब 18 टन वाली ये तोप 4X4 एचएमवी (हैवी मोटर व्हीकल) पर लगाई गई है और ये पर्वतीय इलाकों में भी तैनात की जा सकती है. भारतीय सेना के तोपखाने में जो बोफोर्स इत्यादि गन हैं वे टोएड है यानि उन्हें खींचकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाना पड़ता है. लेकिन भारत-फोर्ज की ये देशी तोप क्योंकि ट्रक पर लगी है इसलिए इसे खींच कर ले जाने की जरूरत नहीं है.
भारत-फोर्ज के मुताबिक, ये गन 30 सेकेंड में 03 राउंड फायर कर सकती है और 60 मिनट यानि एक घंटे में 42 राउंड. ट्रक में एक बार में 18 राउंड गोले उठाने की क्षमता है. ये दिन में महज डेढ़ मिनट में एक्शन के लिए तैयार हो सकती है, जबकि रात में मात्र दो मिनट में. कंपनी का दावा है कि मार्ग तोप सभी नाटो-स्टैंडर्ड और सभी गोला-बारूद को दाग सकती है.
आपको बता दें कि ये देश की तीसरी प्राईवेट आर्टिलरी गन है. इससे पहले भारतीय सेना में 100 के-9 'वज्र' तोप शामिल की जा चुकी है, जों एलएंडटी कंपनी ने दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर तैयार की हैं. इसके अलावा टाटा कंपनी भी डीआरडीओ के साथ मिलकर एक तोप बना रही है जिसके ट्रायल जारी हैं.
सोमवार को ही रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने एक लिखित सवाल के जवाब में राज्य सभा को जानकारी दी थी कि पिछले पांच सालों में रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों को गोला-बारूद, आर्टिलरी गन, एयर डिफेंस गन, यूूएवी, युद्धपोत, नाइट विजन डिवाइस, रडार और ऑप्टो-इलेक्ट्रोनिक उपकरण इत्यादि के निर्माण के लिए कुल 194 औद्योगिक लाईसेंस जारी किए गए हैं. साथ ही सरकार ने 209 तरह हथियार और दूसरे सैन्य साजो सामान के आयात पर प्रतिबंध लगाते हुए एक निगेटिव लिस्ट भी जारी की है ताकि स्वदेशी कंपनियां इन सामान को देश में ही तैयार करें.