राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री से की मुलाकात, बोले- दोनों देशों के रिश्तों का विकास केवल...
Defence Minister Meeting: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ली शांगफू से कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के सभी मुद्दों को मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रतिबद्धताओं के अनुरूप सुलझाने की जरूरत है.
Rajnath Singh News: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने गुरुवार (26 अप्रैल) को नई दिल्ली में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक से पहले चीन के रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू से मुलाकात की. राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत-चीन संबंधों का विकास केवल सीमाओं पर शांति और शांति के प्रसार पर आधारित है. उन्होंने कहा कि एलएसी (LAC) पर सभी मुद्दों को मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रतिबद्धताओं के अनुसार हल करने की जरूरत है.
रक्षा मंत्रालय ने बैठक के बाद एक बयान में कहा कि दोनों मंत्रियों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के साथ-साथ द्विपक्षीय संबंधों के विकास के बारे में खुलकर चर्चा की. उन्होंने कहा कि एलएसी पर सभी मुद्दों को मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रतिबद्धताओं के अनुसार हल करने की जरूरत है. राजनाथ सिंह ने दोहराया कि मौजूदा समझौतों के उल्लंघन ने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे आधार को खत्म कर दिया है.
गलवान झड़प के बाद पहली भारत यात्रा
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए शांगफू के दिल्ली पहुंचने के बाद यह वार्ता हुई. भारत एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक की मेज़बानी कर रहा है. तीन साल पहले पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के बाद यह चीन के रक्षा मंत्री की पहली भारत यात्रा है. गोवा में एससीओ सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीनी विदेश मंत्री छिन कांग भी अगले सप्ताह भारत आने वाले हैं. बैठक चार और पांच मई को होनी है.
कई देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं
इसके अलावा राजनाथ सिंह ने कजाकिस्तान, ईरान और ताजिकिस्तान के रक्षा मंत्रियों के साथ भी द्विपक्षीय बैठकें कीं. पाकिस्तान को छोड़कर चीन, रूस और एससीओ के अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्री दिल्ली में हो रही बैठक में भाग ले रहे हैं. अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ऑनलाइन माध्यम से बैठक में हिस्सा लेंगे.
रविवार को भारत और चीन के बीच कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता का 18वां दौर हुआ. हालांकि, इस बैठक में उनके तीन साल लंबे सीमा गतिरोध को समाप्त करने के लिए स्पष्ट रूप से आगे बढ़ने का कोई संकेत नहीं था. भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते.
ये भी पढ़ें: