पाकिस्तान की सीमा के पास बने हाइवे पर हुई लड़ाकू विमानों की लैंडिंग, उद्घाटन में शामिल होंगे राजनाथ और गडकरी
‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड’ (ईएलएफ) के रुप में देश को पहला ऐसा नेशनल हाईवेमिलने जा रहा है. ये नया हाईवे केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी 'भारतमाला-प्रोजेक्ट' का हिस्सा है.
बाड़मेर: पाकिस्तान सीमा से सटे सरहदी इलाके में देश की वायुसेना इतिहास रचने जा रही है. ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड’ (ईएलएफ) के रुप में देश को पहला ऐसा नेशनल हाईवे मिलने जा रहा है, जहां IAF के लड़ाकू विमान उतर सकेंगे. यहां सेना के लड़ाकू विमान सीधे हाइवे पर लैंड कर सेकेंगे. राजस्थान के बाड़मेर में बने नेशनल हाइवे पर भारतीय वायुसेना अपने लड़ाकू विमान भी उतार सकेगी. आज सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और रक्षामंत्री राजनाथ इस हाइवे का उद्घाटन करेंगे.
राजनाथ और गड़करी इमरजेंसी लैंडिंग की ड्रिल में हिस्सा लेंगे
जानकारी के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के सी-130जे सुपर-हरक्युलिस विमान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी इमरजेंसी लैंडिंग की ड्रिल में हिस्सा लेंगे. ये ड्रिल पाकिस्तानी सीमा के करीब तैयार किए गए नए हाईवे पर कराए जाएगी. ये नया हाईवे केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी 'भारतमाला-प्रोजेक्ट' का हिस्सा है. रक्षा मंत्री और परिवहन मंत्री लैंडिंग के तुरंत बाद इसहाईवे का उद्धघाटन करेंगे.
सुबह करीब 10.50 पर रक्षा मंत्री और परिवहन मंत्री काविमान बाडमेर के नेशनल हाईवे (एनएच) नंबर 925 पर इमरजेंसी लैडिंग करेगा. इस दौरान भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान भी 'टच डाउन' करेंगे. आपात परिस्थितियों के लिये भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बने नेशनल हाइवे-925ए पर यहां हवाई पट्टी बनाई गई है. इसका इस्तेमाल वायुसेना इमर्जेंसी में कर सकेगी. यह सुविधा भारतमाला परियोजना के तहत गगरिया-बखासर और सट्टा-गंधव खंड के नव विकसित ‘टू-लेनपेव्ड शोल्डर’ का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई 196.97 किलोमीटर है और इसकी लागत 765.52 करोड़ रुपये है. ‘पेव्ड शोल्डर’ उस भाग को कहा जाता है, जो राजमार्ग के उस हिस्से के पास हो जहां से वाहननियमित रूप से गुजरते हैं.
पहली बार विमान उतारने के लिए नेशल हाइवे का इस्तेमाल करेगी वायुसेना
एक आधिकारिक बयना में कहा गया कि यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित बाड़मेर और जालौर जिलों के गांवों के बीच सम्पर्क में सुधार करेगी. इसके पश्चिमी सीमा क्षेत्र में स्थित होने से भारतीय सेना को निगरानी करने में मदद के साथ-साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में भी सहायता मिलेगी. ऐसा पहली बार होगा जब भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग का इस्तेमाल आपात स्थिति में विमान उतारने के लिए किया जाएगा.
ईएलएफ का निर्माण 19 महीने के अंदर पूरा किया गया है. इसका निर्माण कार्य जुलाई 2019 में शुरू किया गया था और जनवरी 2021 में यह सम्पन्न हो गया. आईएएफ और एनएचएआई की देखरेख में ‘जीएचवी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ने इसका निर्माण किया है.
क्या है ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड’ खासियत
- बाड़मेर के गांधव (बाखासर) में NH-925A पर है आपातकालीन हवाई पट्टी
- 33 मीटर चौड़ी, 3 किलोमीटर लंबी है हवाई पट्टी
- हवाई पट्टी पर फाइटर प्लेन उतरने के बाद यहीं है पार्किंग की सुविधा
- हवाई पट्टी के सहारे से 7 मीटर चौड़ी सर्विस रोड बनाई गई
- ये हाइवे 2019 में भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया
सड़क परिवहन मंत्रालय ने इमरजेंसी लैडिंग के लिए 12 हाईवे चिंहित किए
सड़क परिवहन मंत्रालय ने इस तरह की इमरजेंसी लैडिंग के लिए कुल 12 हाईवे चिंहित किए हैं. युद्ध के समय में नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर वायुसेना के ऑपरेशन्स यानि लैंडिंग और टेक-ऑफ हो सके, उसके लिए ही ये ड्रिल कराई जा रही है. परिवहन मंत्रालय अब देश में ऐसे ही राष्ट्रीय राजमार्म और एक्सप्रेस-वे तैयार कर रहा है, जिन्हें एयर-स्ट्रीप यानि हवाई पट्टे के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके. ऐसे हाईवे जिनपर जरूरत पड़ने पर वायुसेना के ऑपरेशन्स को अंजाम दिया जा सके. क्योंकि युद्ध के समय में दुश्मन देश की वायुसेना सबसे पहले एयर-बेस और हवाई पट्टियों को ही नुकसान पहुंचाती है. ऐसे में ये हाईव एयर-स्ट्रीप वायुसेना के ऑपरेशन्स के लिए बेहद जरूरत होती हैं.
जानकारी के मुताबिक, सड़क परिवहन मंत्रालय ने इस तरह की इमरजेंसी लैडिंग के लिए कुल 12 हाईवे चिंहित किए हैं. इनमें से अधिकतर चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं के करीब हैं. राजस्थान में बाडमेर के अलावा जैसलमेर के करीब और जोधपुर के करीब इस तरह की हाईवे एयर-स्ट्रीप तैयार की गई हैं. चीन सीमा के करीब उत्तराखंड के काठगोदाम-रामपुर हाईवे पर, पश्चिम बंगाल में खड़गपुुर के करीब और असम के मोहनबाड़ी-तिनसुकिया इसमें शामिल हैं.
यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुई थी मिराज-2000 की लैंडिंग
इसके अलावा भी कई ऐसे हाईवे हैं जहां पर इस तरह की एयर-स्ट्रीप तैयार की जा रही हैं. आपको बता दें कि देश में पहली बार साल 2015 में दिल्ली-आगरा यमुना एक्सप्रेस-वे पर मथुरा के करीब मिराज-2000 की लैंडिंग कराई थी. इसके बाद आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 2016 में मिराज और सुखोई फाइटर जेट्स ने लैंडिंग की थी. लेकिन मिलिट्री-ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की लैंडिंग पहली बार होने जा रही है.