Rajnath Singh Maho Visit: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार (30 दिसंबर) को मध्य प्रदेश के महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में अधिकारियों को संबोधित करते हुए युद्ध के बदलते पैटर्न और मॉडर्न चुनौतियों पर विचार साझा किया. उन्होंने कहा कि "इनफार्मेशन वॉर, एआई बेस्ड वॉर, प्रॉक्सी वॉर, इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक वॉर, अंतरिक्ष वॉर और साइबर हमले जैसे कई अपरंपरागत तरीके अब हमारे लिए चुनौती बन रहे हैं.


रक्षा मंत्री ने कहा "आज दुनिया में कई जगहों पर संघर्ष चल रहा है. साथ ही कई नई जगहों पर संघर्ष की संभावना भी देखी जा रही है. चारों तरफ अनिश्चितता का माहौल है. अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी बड़े तेजी से बदलाव हो रहे हैं. युद्ध के तरीकों में भी आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं." उन्होंने कहा कि आज के लगातार बदलते समय में अत्याधुनिक तकनीकों में महारत हासिल करना समय की मांग है और सैन्य प्रशिक्षण केंद्र हमारे सैनिकों को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.


'विकसित भारत के निर्माण की रखनी है नींव'


रक्षा मंत्री ने आगे कहा, "आपके युवा और मजबूत कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. आपको एक तरफ तो हमारी सीमाओं का भार संभालना है, वहीं दूसरी तरफ विकसित भारत के निर्माण की नींव भी रखनी है. मुझे विश्वास है कि लोहे के समान आपके ये मजबूत कंधे इस राष्ट्र के निर्माण का भार बेहद आसानी से वहन करेंगे. मेरी शुभकामनाएं आप सभी के साथ हैं."


महू कैंटोनमेंट के बारे में क्या बोले रक्षा मंत्री?
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार लगातार इस दिशा में प्रयास कर रही है कि हम तीनों ही सेनाओं के बीच में इंटीग्रेशन और जॉइंटनेस को बढ़ाएं, क्योंकि आने वाला जो समय है, उसमें हमारे सामने ऐसी चुनौतियां आने वाली हैं, जिनका सामना हमारी सर्विसेज मिलकर ज्यादा अच्छे से कर पाएंगी. मुझे यह देखकर बड़ी खुशी होती है कि महू कैंटोनमेंट में सभी विंग्स के ऑफिसर्स को हाई लेवल की ट्रेनिंग दी जाती है.


'2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य'
राजनाथ सिंह ने कहा, "2047 तक प्रधानमंत्री ने देश को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है और हाल-फिलहाल का जो समय चल रहा है, इसे मैं एक तरह से ट्रांजिशन पीरियड मानता हूं. भारत लगातार विकास के पथ पर अग्रसर है, सैन्य दृष्टिकोण से भी देखें तो हम लगातार आधुनिक हथियारों से लैस हो रहे हैं. हम न केवल हमारी सेनाओं को लैस कर रहे हैं, बल्कि देश में बने साजो-सामान दूसरे देशों को भी भेज रहे हैं."


'आर्थिक समृद्धि और सुरक्षा दोनों एक दूसरे के पूरक'
उन्होंने आगे कहा, "भारत एक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में तेजी से उभर रहा है. आज से लगभग एक दशक पहले हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट जहां लगभग दो हजार करोड़ रूपयों का हुआ करता था, सरकार के प्रयासों से आज यह 21,000 करोड़ रूपए का आंकड़ा पार कर गया है. वर्ष 2029 तक हमने 50,000 करोड़ रूपये का एक्सपोर्ट टारगेट रखा है. आप किसी भी बड़े और विकसित देश को देखिए, यदि वह सैन्य रूप से विकसित हुए तो उसका आधार उनकी आर्थिक समृद्धि थी और वे आर्थिक रूप से समृद्ध हुए तो उसके पीछे उनकी मजबूत सुरक्षा व्यवस्था थी, यानि आर्थिक समृद्धि और सुरक्षा, दोनों एक दूसरे के पूरक हैं".


रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में सेना के जवानों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि आप सबकी विलपॉवर, कमिटमेंट, डेडिकेशन और स्पिरिट के दम पर भारत बेहद मजबूती से आगे बढ़ेगा. और 2047 तक हम न सिर्फ एक विकसित राष्ट्र बनेगें, बल्कि हमारी सेना भी दुनिया की सबसे अत्याधुनिक और मजबूत सेना होगी.



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