नई दिल्ली: क्या चीन और पाकिस्तान किसी खास ‘मिशन’ के तहत भारत की सीमाओं पर तनाव पैदा करते हैं? ये सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को इस साजिश की तरफ इशारा किया. राजनाथ सिंह ने कहा कि ऐसा लगता है कि एक ‘मिशन’ के तहत चीन और पाकिस्तान भारत से सटी सात हजार किलोमीटर लंबी सीमा पर तनाव पैदा कर रहे हैं. रक्षा मंत्री आज बीआरओ द्वारा तैयार किए गए 44 पुलों के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे.


रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा?


राजनाथ सिंह ने कहा, “हमारी उत्तरी और पूर्वी सीमा (यानि चीन सीमा) पर पैदा की गई स्थितियों से आप भली भांति अवगत हैं. पहले पाकिस्तान और अब चीन के द्वारा भी मानों एक मिशन के तहत सीमा पर विवाद पैदा किए जा रहे हैं. इन देशों के साथ हमारी लगभग सात हजार किलोमीटर की सीमा मिलती है, जहां आए दिन तनाव बना रहता है.”


लेकिन राजनाथ सिंह ने कहा कि इन सभी समस्याओं (चीन, पाकिस्तान, कोविड, अर्थव्यवस्था इत्यादि) के बावजूद स प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ना केवल इन संकटों का दृढ़ता से सामना कर रहा है बल्कि इन सभी क्षेत्रों में बड़े और ऐताहिसक बदलाव भी ला रहा है.


बता दें कि पिछले पांच महीने से भारत का लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानि एलएसी पर चीन से टकराव चल रहा है. इससे पहले तक पाकिस्तान से सटी एलओसी पर पाकिस्तानी सेना की तरफ से होने वाले युद्धविराम उल्लंघन और आंतकियों की घुसपैठ से भी भारत के संबंध पाकिस्तान से तल्ख रहते हैं.


रक्षा मंत्री ने इससे पहले देश की सरहदों से सटे सात अलग अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 44 पुलों का ई-उदघाटन किया. ये सभी छोटे-बड़े स्थायी पुल बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानि बीआरओ ने बना कर तैयार किए हैं.



रक्षा मंत्रालय के मुताबिक बीआरओ द्वारा निर्मित इन 44 ब्रिज में से 10 जम्मू-कश्मीर में हैं, 8 लद्दाख, 2 हिमाचल प्रदेश, 4 पंजाब, 8 उत्तराखंड, 8 अरूणाचल प्रदेश‌ और 4 सिक्किम में है. इन सभी पुलों का उदघाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किया. इस दौरान हिमाचल प्रदेश, पंजाब, अरूणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों के साथ साथ जम्मू कश्मीर और‌‌ लद्दाख के उप-राज्यपाल भी मौजूद थे. बीआरओ के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह इस दौरान मौजूद रहे.


पहली बार सरहद पर इतनी बड़ी तादाद में पुलों का एक साथ उद्घाटन


ये पहली बार है कि देश की अलग अलग सरहदों पर बने इतनी बड़ी तादाद में पुलों का एक साथ उद्घाटन किया गया है. पिछले चार महीने से चीन से चल रही तनातनी के चलते बीआरओ दिन-रात एक कर सीमाओं की नदी-नालों पर पुलों का निर्माण कर रही है. इन 44 पुलों में से 23 अकेले चीन सीमा पर जाने के लिए तैयार किए गए हैं. इनमें से एक हिमाचल प्रदेश के दारचा में तैयार किया गया है जो करीब 350 मीटर लंबा है.



रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इन ब्रिज के साथ साथ राजनाथ सिंह ने इस मौके पर अरुणाचल प्रदेश के तवांग के लिए निचिफू टनल की आधारशिला भी रखी. इन टनल का निर्माण भी बीआरओ कर रहा है और इसके बनने से एलएसी के महत्वपूर्ण इलाके तवांग तक जाने का सफर‌ आसान हो जाएगा और समय भी बचेगा.


अटल टनल का भी रक्षामंत्री ने किया जिक्र


हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा हिमाचल प्रदेश में अटल-रोहतांग टनल के उद्घाटन का जिक्र करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि इन 44 पुलों के निर्माण से देश के पश्चिमी, उत्तरी और नार्थ-ईस्ट के दूर-दराज इलाकों में मिलिट्री और सिविल ट्रांसपोर्ट में बड़ी सुविधा मिलेगी. साथ ही सेना की तैनाती बड़ी संख्या में ऐसे इलाकों मे होते हैं जहां पूरे साल ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती है. ऐसे में ये पुल सैनिकों की मूवमेंट में अहम भूमिका निभाएंगे.


अटल टनल के बनने से कुल्लु मनाली से लाहौल-स्पिति के दारचा के रास्ते पूर्वी-लद्दाख की सप्लाई लाइन बारह महीने खुली रहेगी. क्योंकि सर्दियों के मौसम में रोहतांग पास (दर्रा) भारी बर्फबारी के चलते बंद हो जाता था.


पिछले साढ़े पांच महीने से पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भारत का चीन से टकराव चल रहा है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि रोहतांग टनल के जरिए सेना की सप्लाई लाइन पूर्वी लद्दाख के जरिए खुली रही. पूर्वी लद्दाख के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश से‌ सटी एलएसी पर भी चीनी सेना की गतिविधियां हाल के दिनों में काफी बढ़ गई हैं. ऐसे में सेना की मूवमेंट के लिए इन पुलों की सख्त‌ जरूरत थी.


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