Rajnath Singh on Savarkar: राजनाथ सिंह ने कहा- सावरकर ने खुद नहीं बल्कि गांधी जी के कहने पर लगाई थी दया याचिका
Rajnath Singh on Savarkar: राजनाथ सिंह ने अंग्रेजों के समक्ष दया याचिका के बारे में एक खास वर्ग के लोगों के बयानों को गलत ठहराते हुए कहा कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने याचिका दी थी.
Rajnath Singh on Savarkar: रक्षा मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) को लेकर बड़ा बयान दिया है. राजनाथ सिंह ने कहा है कि विचारधारा के चश्मे से देखकर विनायक दामोदर सावरकर सावरकर के योगदान की उपेक्षा करना और उन्हें अपमानित करना क्षमा योग्य और न्यायसंगत नहीं है. राजनाथ सिंह ने दावा किया कि सावरकर ने महात्मा गांधी के कहने पर अंग्रेजों को दया याचिका दी थी.
सावरकर के जीवन से अपरिचित लोग उठाते हैं सवाल- राजनाथ
राजनाथ सिंह ने उदय माहूरकर और चिरायु पंडित की पुस्तक ‘‘विनायक दामोदर सावरकर सावरकर हू कुड हैव प्रीवेंटेड पार्टिशन’’ के विमोचन कार्यक्रम में यह बात कही. इसमें सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी हिस्सा लिया. राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘ एक खास विचारधारा से प्रभावित तबका विनायक दामोदर सावरकर के जीवन और विचारधारा से अपरिचित है और उन्हें इसकी सही समझ नहीं है, वे सवाल उठाते रहे हैं.’’
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में वाद प्रतिवाद हो सकते हैं, लेकिन उन्हें हेय दृष्टि से देखना किसी भी तरह से उचित और न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता है. विनायक दामोदर सावरकर महान स्वतंत्रता सेनानी थे, ऐसे में विचारधारा के चश्मे से देखकर उनके योगदान की अनदेखी करना और उनका अपमान करना क्षमा योग्य नहीं है.
विनायक दामोदर सावरकर महानायक थे और रहेंगे- राजनाथ
राजनाथ सिंह ने आगे कहा, ‘‘ विनायक दामोदर सावरकर महानायक थे, हैं और भविष्य में भी रहेंगे. देश को आजाद कराने की उनकी इच्छा शक्ति कितनी मजबूत थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों ने उन्हें दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई, कुछ विशेष विचारधारा से प्रभावित लोग ऐसे राष्ट्रवादी पर सवालिया निशान लगाने का प्रयास करते हैं.’’ उन्होंने कहा कि कुछ लोग उन पर (सावरकर) नाजीवादी, फासीवादी होने का आरोप लगाते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि ऐसा आरोप लगाने वाले लोग लेनिनवादी, मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित थे और अभी भी हैं.
राजनाथ सिंह ने कहा कि सीधे शब्दों में कहें तो सावरकर ‘यथार्थवादी’ और ‘राष्ट्रवादी’ थे जो बोल्शेविक क्रांति के साथ स्वस्थ लोकतंत्र की बात करते थे. उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व को लेकर सावरकर की एक सोच थी जो भारत की भौगोलिक स्थिति और संस्कृति से जुड़ी थी. उनके लिये हिन्दू शब्द किसी धर्म, पंथ या मजहब से जुड़ा नहीं था बल्कि भारत की भौगोलिक और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा था.
एक खास वर्ग देता है गलत बयान- राजनाथ
राजनाथ सिंह ने आगे कहा, ‘‘ इस सोच पर किसी को आपत्ति हो सकती है लेकिन इस विचार के आधार पर नफरत करना उचित नहीं है.’’ उन्होंने अंग्रेजों के समक्ष दया याचिका के बारे में एक खास वर्ग के लोगों के बयानों को गलत ठहराते हुए यह दावा किया कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने याचिका दी थी.