राजनाथ सिंह ने कहा- रक्षा क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा देना भारत सरकार का प्राथमिक एजेंडा है
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शनिवार को मीडियम स्मॉल एंड माइक्रो एंटरप्राईजेज कॉन्लेव को संबोधित कर रहे थे. ये कॉन्कलेव सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चर्स और रक्षा उत्पादन विभाग ने आयोजित किया था.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जर्मनी के 'मिटलस्टैंड' की तर्ज पर देश में विश्व-प्रसिद्ध डिफेंस इंडस्ट्रियल हब बनाने का आह्वान किया है, जो ना केवल स्वदेशी बल्कि वैश्विक रक्षा जरूरतों के पूरा कर सके.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शनिवार को मीडियम स्मॉल एंड माइक्रो एंटरप्राईजेज यानि एमएसएमई कॉन्लेव को संबोधित कर रहे थे. ये कॉन्कलेव सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चर्स (एसआईडीएम) और रक्षा उत्पादन विभाग ने आयोजित किया था.
इसी दौरान सम्मलेन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों के परिणाम आज एसआईडीएम के 500 से अधिक सदस्य हैं. पिछले 7 वर्षों में हमारा रक्षा निर्यात 38 हजार करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर जाना इन्हीं नीतियों के परिणाम है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा देना भारत सरकार का प्राथमिक एजेंडा है, ताकि भारत आने वाले समय में नेट इम्पोर्टर की बजाए नेट एक्सपोर्टर बन सके. सरकार का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक 35000 करोड़ रुपये के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करना है.
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज भारत लगभग 70 देशों को रक्षा निर्यात कर रहा है और स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी), 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत रक्षा निर्यात में शीर्ष 25 देशों की सूची में है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि आप सभी संभवतः जर्मनी के ‘मिटलस्टैंड’के बारे में अवगत होंगे, जो वहां का जाना-माना इंटस्ट्रियल बेस है और वहां के निर्माण और उत्पादन का लोहा पूरी दुनिया मानती है.
उन्होनें रक्षा क्षेत्र की छोटी-बड़ी कंपनियों का आहवान करते हुए कहा, "आप सब इस बात पर विचार करें कि क्या हम इंडिया का ‘मिटलस्टैंड' तैयार नहीं कर सकते. मुझे लगता है हम यह जरूर कर सकते हैं और एक दिन कर के रहेंगे. एसआईडीएम और यहां उपस्थित सभी एमएसएमई के प्रतिनिधियों की इसमें अहम भूमिका होने वाली है."