एक घंटे चली राजनाथ सिंह-वसुंधरा राजे की मीटिंग, लेकिन नहीं पता था पर्ची में लिखा नाम, पढ़ें मुलाकात की इनसाइड स्टोरी
Rajasthan New CM: विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही ये कहा जा रहा था कि राजस्थान में बगैर वसुंधरा राजे के सरकार की कल्पना नही की जा सकती है. ऐसा दिखाई भी पड़ रहा था.
Vasundhara Raje Rajnath Singh Meeting: राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी ने चिर-परिचित अंदाज में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर चौंकाने वाला फैसला लिया. राजस्थान के सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहीं दो बार की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की जगह सांगानेर से पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को बीजेपी ने सीएम चेहरा बनाने का ऐलान किया. इस ऐलान से पहले वसुंधरा राजे और राजस्थान के पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह के बीच एक घंटे की मुलाकात भी हुई.
राजस्थान के चुनावी परिणाम सामने आने के बाद लगातार सुर्खियों में रही वसुंधरा राजे और राजनाथ सिंह के बीच बंद कमरे में ऐसा क्या हुआ कि बगावती तेवर की जगह मुस्कुराता चेहरा सबके सामने आया. आइए आपको अंदर की बात बताते है और वसुंधरा राजे और राजनाथ सिंह की मुलाकात को डिकोड करते हैं कि कैसे राजनाथ सिंह बीजेपी के लिए ट्रबल शूटर बनकर सामने आए हैं.
क्या वसुंधरा राजे ने किया था शक्ति प्रदर्शन?
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही ये कहा जा रहा था कि राजस्थान में बगैर वसुंधरा राजे के सरकार की कल्पना नही की जा सकती है. ऐसा दिखाई भी पड़ रहा था. चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद दूसरे ही दिन करीब 70 से ज्यादा विधायक वसुंधरा राजे के घर पहुंच गए. राजनीतिक गलियारे में इसकी जबरदस्त चर्चा शुरू हो गई.
वसुंधरा राजे के विरोधी इसे पार्टी से बगावत भी कहने लगे. साथ ही इसे पार्टी हाईकमान के सामने वसुंधरा की बगावत कह कर पेश करने लगे. सूत्रों की मानें तो राजस्थान के एक दिग्गज नेता ने दिल्ली के एक बड़े नेता से यह तक कह दिया कि वसुंधरा राजे बाड़ेबंदी कर रही हैं.
ये अलग बात है कि बीजेपी हाईकमान की अपनी पड़ताल में ये केवल दुष्प्रचार नजर आया. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से हुई मुलाकात में भी वसुंधरा राजे ने स्थिति को साफ किया और अपने ऊपर लग रहे आरोपों का जवाब दिया.
राजनाथ सिंह कैसे बने बीजेपी के लिए ट्रबल शूटर?
उनकी मुलाकात के बाद पर्यवेक्षकों की नियुक्ति हुई, जिससे ये माना जाने लगा कि शायद पर्यवेक्षकों की बैठक में वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री न बनाए जाने की स्थिति में उनके समर्थक विधायक हंगामा कर सकते हैं या फिर ऐसी स्थिति में खुद वसुंधरा राजे विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर सकती हैं. इन दोनों ही परिस्थितियों में बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा हो जाती.
ऐसी स्थिति पैदा न हो और सबकुछ पार्टी अनुशासन के दायरे में संपन्न हो जाए इसके लिए पार्टी हाईकमान ने राजनाथ सिंह पर ही सबकुछ छोड़ दिया. सूत्रों की मानें तो राजनाथ सिंह ने दिल्ली से उड़ान भरने से पहले वसुंधरा राजे को फोन कर एयरपोर्ट पर आने का निमंत्रण दिया और कहा कि यदि आप एयरपोर्ट आएंगी मुझे अच्छा लगेगा. जिसके बाद पहले से तय न होने के बाद भी वसुंधरा राजे एयरपोर्ट पहुंची.
मीटिंग के दौरान राजनाथ सिंह ने वसुंधरा राजे से क्या कहा?
वहां राजनाथ सिंह का स्वागत किया और इसके बाद उनके काफिले के साथ होटल पहुंचीं. होटल पहुंचते ही राजनाथ सिंह एक कमरे में चले गए और उनके साथ वसुंधरा राजे भी गईं, जबकि अन्य नेताओं को बाहर ही बैठा दिया गया.
जानकारी के अनुसार राजनाथ सिंह ने वसुंधरा राजे को पार्टी के अनुशासन के बारे में बताते हुए कहा कि उनके पास एक लिफाफा है. इस लिफाफे में एक पर्ची है. उस पर्ची में राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री का नाम लिखा गया है. यह अलग बात है कि मुझे मालूम है कि शायद इस पर्ची में आपका नाम नहीं है. बावजूद इसके मेरी इच्छा है कि राजस्थान का जो मुख्यमंत्री हो इसकी घोषणा आप स्वयं करें.
वसुंधरा राजे ने उनकी बात बड़े ही ध्यान से सुनी. वसुंधरा कुछ कहतीं, इससे पहले ही राजनाथ सिंह ने उनके वर्षों तक पार्टी में दिए गए योगदान को याद दिलाया और कहा कि आप पार्टी की एक बहुत ही समर्पित कार्यकर्ता हैं. इस पार्टी की संस्थापक सदस्य स्वयं आपकी माता विजया राजे सिंधिया रही हैं. ऐसे में कोई संदेश ऐसा नहीं जाना चाहिए, जिससे यह लगे कि बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं है.
नहीं पता था पर्ची में है किसका नाम
इस पर वसुंधरा राजे ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मेरा अब तक ऐसा एक भी व्यवहार, बयान अथवा कार्य नहीं रहा है, जो पार्टी के विरोध में गया हो और मैं ऐसी कभी कल्पना भी नहीं कर सकती. अब तक जो बातें मेरे खिलाफ सामने आई हैं, वह सिर्फ एक दुष्प्रचार था.
दोनों के बीच एक घंटे तक चली मुलाकात के दौरान कमरे में दोनों के मोबाइल फोन भी नहीं थे. इस मुलाकात के बाद वसुंधरा राजे ने बिना किसी शर्त के पार्टी हाई कमान के फैसले को मान लिया और बिना किसी अवरोध के विधायक दल की बैठक में न सिर्फ शामिल हुईं, बल्कि राजनाथ सिंह की ओर से जो भी दिशा-निर्देश दिए गए, उनका पालन किया. यह अलग बात थी कि पर्ची में किसका नाम है, राजनाथ और वसुंधरा राजे की 1 घंटे तक चली बैठक में पूर्व सीएम को नहीं बताया गया था.
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