(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
सीमा विवाद के बीच LAC पर पहुंचे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कहा- कोई एक इंच जमीन भी नहीं छू सकता
राजनाथ सिंह आज एक दिन के दौरे पर लेह-लद्दाख पहुंचे थे.
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज चीन से सटी एलएसी पर ऐलान किया कि भारत की एक इंच जमीन पर कोई कब्जा तो दूर, छू भी नहीं सकता. राजनाथ सिंह आज एक दिन के दौरे पर लेह-लद्दाख पहुंचे थे, और उन्होनें पैंगोंग लेक पर भारतीय सेना की फॉरवर्ड पोस्ट से शंखनाद किया कि अगर भारत के स्वाभिमान को चोट पहुंचाने की कोशिश की गई तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. इस दौरान उन्होंने थलसेना और वायुसेना की ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा भी लिया.
रक्षा मंत्री ने पैंगोंग-लेक से सटे लुकुंग बेस पर सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि, "जो कुछ भी अब तक (भारत और चीन के बीच) बातचीत की प्रगति हुई है, उससे मामला हल होना चाहिए. कहां तक हल होगा इसकी गारंटी नहीं दे सकता. लेकिन इतना यक़ीन मैं ज़रूर दिलाना चाहता हूं कि भारत की एक इंच ज़मीन भी दुनिया की कोई ताक़त छू नहीं सकती, उस पर कोई कब्ज़ा नहीं कर सकता." आपको बता दें कि लुकुंग से फिंगर-4 की दूरी करीब 40 किलोमीटर है (43), जहां मई के महीने से भारत और चीन की सेनाओं के बीच टकराव चल रहा है और 5-6 मई को झगड़ा भी हुआ था.
सुबह 8 बजे लेह एयरबेस पहुंचे राजनाथ सिंह सुबह करीब 8 बजे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राजधानी दिल्ली से लेह एयरबेस पहुंचे. लेह एयरबेस से रक्षा मंत्री हेलीकॉप्टर के जरिए सीधे 25 किलोमीटर दूर स्टकना बेस पहुंचे. उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे और उत्तरी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी भी थे. वहां पर उनकी आगुवानी लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने की.
स्टकना में रक्षा मंत्री की मौजूदगी में थलसेना और वायुसेना ने अपनी ताकत का परिचय दिया. इस बिहाइंड द एनेमी लाइंस' मिलिट्री-ड्रिल में थलसेना के स्पेशल फोर्स के पैरा-एसएफ कमांडोज़ ने वायुसेना के एन32 एयरक्राफ्ट से पैरा-जंप लगाकर दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला बोलने का अभ्यास किया. पैरा-एसएफ के हमले के तुरंत बाद वायुसेना के अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर्स से दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकाने पर हमला बोला जाता है. साथ ही टैंक और बीएमपी व्हीकल्स से आर्मर्ड-अटैक कर दुश्मन की सीमा पर अधिकार कर लिया जाता है.
रक्षा मंत्री ने खुद ली हथियारों की जानकारी इस सैन्य-अभ्यास के दौरान रक्षा मंत्री ने खुद सैनिकों के हथियारों के बारे में जानकारी ली. उन्होनें खुद थलसेना की 'पीका' मशीन गन को उठाया. उन्होनें पैराएसफ कमांडोज़ की स्नाइपर राइफल के बारे में भी जाना, जो फिनलैंड से ली गई है ( 'साको-टीआरजी 42'). कमांडोज़ के अमेरिका से लिए गए बैलेस्टिक हेलमेट को भी देखा.
इसके बाद राजनाथ सिंह ने टी-90 टैंक के साथ फोटो खिंचवाई. इस दौरान सीडीएस, थलसेना प्रमुख और लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी तो थे ही, टैंक के कमांडर, कैप्टन जोरावर भी दिखाई पड़े. 'जोरावर' नाम इसलिए थोड़ा चौकाता है क्योंकि 18वी सदी में जम्मू-कश्मीर के एक बड़े जनरल, जोरावर सिंह ने लद्दाख के जरिए तिब्बत के उस इलाके पर कब्जा किया था जो चीनी साम्राज्य का हिस्सा था. जोरावर सिंह चीनी साम्राज्य का झंडा वहां से ले आए थे अपनी विजय के तौर पर. ये झंडा आज भी सेना की, जम्मू-कश्मीर राईफल्स (जैकरिफ) के रेजीमेंटल सेंटर में रखा गया है, क्योंकि जोरावर सिंह की सेना (जम्मू कश्मीर राजा की सेना) ही बाद में जैकरिफ में तब्दील हो गई थी. जोरावर सिंह का आज भी लेह में किला है जो अब सेना की छावनी में तब्दील हो चुका है.
ये शायद पहली और आखिरी बार था जब किसी भारतीय यौद्धा ने ना केवल चीन की सेना को हराया था बल्कि उनकी चौकियों और इलाकों पर कब्जा किया था. यहां ये बात दीगर है कि उत्तरी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी (करगिल युद्ध के हीरो) जैकरिफ रेजीमेंट से ताल्लुक रखते हैं.
स्टकना के बाद रक्षा मंत्री सीधे पैंगोंग लेक से सटे लुकुंग पहुंचे. यहां पर उन्होनें जवानों को संबोधित किया और उनके साथ चाय-नाश्ता कर हौसला अफजाई की. गलवान घाटी में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते उन्होनें कहा कि,"हम अशांति नहीं चाहते हम शांति चाहते हैं.हमारा चरित्र रहा है कि हमने किसी भी देश के स्वाभिमान पर चोट मारने की कभी कोशिश नहीं की है. भारत के स्वाभिमान पर यदि चोट पहुंचाने की कोशिश की गई तो हम किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे और मुंहतोड़ जवाब देंगे."
लद्दाख से सटी एलएसी पर जारी है पिछले ढाई महीने से तनाव आपको बता दें कि पिछले ढाई महीने से पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी पर भारत और चीन के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. 15-16 जून की रात को गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी जिसमें भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे. चीनी सेना को भी इस लड़ाई में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था, हालांकि चीन ने अपने नुकसान का आधिकारिक तौर से अभी तक खुलासा नहीं किया है.
उसके बाद से दोनों देशों के सैन्य कमांडर और राजनियक तनाव कम और एलएसी पर डिसइंगेजमेंट के लिए लगातार बैठक कर रहे हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल भी इस बावत चीनी काउंसलर, वांग यी से बात कर चुके हैं. इसका नतीजा ये हुआ कि गलवान घाटी, गोगरा और हॉट-स्प्रिंग में तो स्थिति सामान्य की तरफ बढ़ रही है लेकिन फिंगर एरिया और डेपसांग प्लेन में मामला फंसा हुआ है. यही वजह है कि रक्षा मंत्री ने दो टूक शब्दों में कहा कि चीन के साथ बातचीत तो चल रही है लेकिन कहां तक ये बातचीत सफल होती है उसकी 'कोई गारंटी नहीं है.'
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में ये भी कहा कि "भारत दुनिया का इकलौता देश है जिसने सारे विश्व को शांति का संदेश दिया है. हमने किसी भी देश पर कभी आक्रमण नहीं किया है और न ही किसी देश की ज़मीन पर हमने क़ब्ज़ा किया है. भारत ने वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया है."
करीब चार घंटे बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लेह से श्रीनगर के लिए रवाना हो गए. वहां पर राजनाथ सिंह आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन सहित अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा का जायजा भी लेंगे. रक्षा मंत्री पाकिस्तान से सटी एलओसी का भी दौरा करेंगे. शनिवार की दोपहर वे राजधानी दिल्ली लौट आएंगे.
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