नई दिल्ली: लोकसभा के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारत चीन सीमा विवाद पर आज राज्यसभा में सुबह 11 बजे बयान देंगे. इससे पहले राजनाथ ने कल लोकसभा में भारत चीन विवाद पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि भारत शांतिपूर्ण तरीके से सीमा मुद्दे के हल के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन पड़ोसी देश द्वारा यथास्थिति में एकतरफा ढंग से बदलाव का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य होगा.


राजनाथ ने कहा कि हम पूर्वी लद्दाख में चुनौती का सामना कर रहे हैं, हम मुद्दे का शांतिपूर्ण ढंग से हल करना चाहते हैं और हमारे सशस्त्र बल देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए डटकर खड़े हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस सदन को प्रस्ताव पारित करना चाहिए कि यह सदन और सारा देश सशस्त्र बलों के साथ है.


हमें एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए- राजनाथ


राजनाथ ने कहा कि मैं इस सदन से यह आग्रह करना चाहता हूं कि हमें एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए कि हम अपने वीर जवानों के साथ कदम-से-कदम मिलाकर खड़े हैं, जो कि अपनी जान की परवाह किए हुए बगैर देश की चोटियों की उचाइयों पर विषम परिस्थितियों के बावजूद भारत माता की रक्षा कर रहे हैं.


राजनाथ सिंह ने हाल ही में चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगहे से मॉस्को में अपनी बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने यह भी स्पष्ट किया कि हम इस मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि चीनी पक्ष हमारे साथ मिलकर काम करे. हमने यह भी स्पष्ट कर दिया कि हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं.


भारत शातिपूर्ण तरीकों से सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध- राजनाथ


उन्होंने कहा कि मैं इस बात पर बल देना चाहूंगा कि भारत शातिपूर्ण बातचीत और परामर्श से सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है. इसी उद्देश्य से मैंने चार सितंबर को चीनी रक्षा मंत्री से बातचीत की.’ राजनाथ ने कहा कि इस वर्ष की स्थिति पहले से बहुत अलग है, फिर भी हम मौजूदा स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ वह सदन को आश्वस्त करना चाहते हैं कि सरकार सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार है. सिंह ने अप्रैल के बाद से पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के हालात और सीमा पर शांति के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर किये गये प्रयासों का भी उल्लेख किया.


उन्होंने बताया कि पिछले दिनों पीएम मोदी के लद्दाख दौरे से संदेश दिया गया कि समस्त देशवासी जवानों के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा निर्धारण का प्रश्न अभी अनसुलझा है और दोनों पक्ष मानते हैं कि सीमा जटिल मुद्दा है और शांतिपूर्ण बातचीत के जरिये समाधान निकाला जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार किया जा सकता है और सीमा मुद्दे पर बातचीत की जा सकती है, लेकिन एलएसी पर किसी भी उल्लंघन वाली गतिविधि का द्विपक्षीय रिश्तों पर असर पड़ेगा.


यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने का प्रयास बर्दाश्त नहीं- राजनाथ


रक्षा मंत्री ने कहा कि समझौते में यह भी है कि सीमा मुद्दे का पूर्ण समाधान नहीं होने तक एलएसी का उल्लंघन किसी सूरत में नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमने चीन को कूटनीतिक और सैन्य चैनलों से अवगत करा दिया है कि यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने का प्रयास कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.


राजनाथ ने कहा कि दोनों देशों के बीच इन प्रमुख सिद्धांतों पर सहमति बनी है कि दोनों पक्षों को एलएसी का सम्मान करना चाहिए और कड़ाई से उसका पालन करना चाहिए, किसी भी पक्ष को यथास्थिति के उल्लंघन का प्रयास नहीं करना चाहिए और दोनों पक्षों को सभी समझौतों का पालन करना चाहिए. सिंह ने कहा कि मौजूदा स्थिति के अनुसार चीनी सेना ने एलएसी के अंदर बड़ी संख्या में जवानों और हथियारों को तैनात किया है और क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव के अनेक बिंदु हैं. उन्होंने कहा कि हमारी सेना ने भी जवाबी तैनातियां की हैं ताकि देश के सुरक्षा हितों का पूरी तरह ध्यान रखा जाए. हमारे सशस्त्र बल इस चुनौती का डटकर सामना करेंगे. हमें अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है.


कांग्रेस सदस्यों ने सदन से किया वाकआउट


रक्षा मंत्री के जवाब के बाद कांग्रेस के सदस्य भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखना चाहते थे लेकिन अध्यक्ष ओम बिरला ने नियमों का उल्लेख करते हुए उन्हें अनुमति नहीं दी. कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और गौरव गोगोई ने कहा कि उन्हें भी बोलने का अधिकार है. हालांकि आसन से अनुमति नहीं मिलने के बाद कांग्रेस सदस्यों ने विरोध स्वरूप सदन से वाकआउट किया. इससे बाद कांग्रेस सांसदो ने गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया


कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा, ‘’रक्षामंत्री के बयान से साफ़ है कि मोदी जी ने देश को चीनी अतिक्रमण पर गुमराह किया. हमारा देश हमेशा से भारतीय सेना के साथ खड़ा था, है और रहेगा. लेकिन मोदी जी, आप कब चीन के ख़िलाफ़ खड़े होंगे? चीन से हमारे देश की ज़मीन कब वापस लेंगे? चीन का नाम लेने से डरो मत.’’





रक्षा मंत्री के बयान से असंतुष्ट कांग्रेस पार्टी आज फिर संसद में चीन में बहस कराने की मांग करेगी. इसको लेकर सदन में हंगामा होगा. लद्दाख पर रक्षा मंत्री के बयान पर लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कांग्रेस के लिए देश सर्वोच्च है. हमारी सेना की बहादुरी हम सबका गौरव है. हमनें फौज के प्रति सम्मान जताने के लिए बस एक मिनट का समय मांगा. सरकार के पास सवालों का जवाब नहीं है. इसलिए सरकार हिचकिचा रही है.


सरकार ने हमारी गुजारिश नहीं मानी और हमें नहीं बोलने दिया- कांग्रेस


उन्होंने कहा कि साल 1962 में अटल बिहारी वाजपेयी ने जवाहरलाल नेहरू से चर्चा की मांग की और लगातार दो दिन सदन में चर्चा हुई. हम ऐसी ही परंपरा चाहते हैं. सरकार ने हमारी गुजारिश नहीं मानी और हमें नहीं बोलने दिया. हम जानते हैं कि सरकार को कांग्रेस के सवालों से डर लगता है. राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री की वाहवाही की. लेकिन जब सेना के लिए प्रस्ताव पारित हो रहा था था तब प्रधानमंत्री की उपस्थिति जरूरी थी. प्रधानमंत्री क्यों गायब रहे? प्रधानमंत्री ने गलवान घाटी में हमारे 20 जवानों की शहादत के बाद कहा था कि "ना कोई घुसा है, घुसा हुआ है'. इसलिए सरकार चर्चा कराने से डर रही है. अगर दिल साफ है तो सदन में चर्चा करवाने से क्या दिक्कत है? प्रस्ताव पर सहमति जताने के मौका नहीं मिला. हमें बोलने का मौका मिलता तो शायद बीजेपी पर आसमान टूट पड़ता. मजबूरन हम मीडिया में अपनी बात रख रहे हैं.